सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के चुनाव नतीजों को लेकर फिर से मतगणना की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ को जानकारी दी गई है कि अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में कुछ उम्मीदवारों द्वारा उठाई गई शिकायतों और मतदान में पाई गई संभावित विसंगतियों के चलते चुनाव परिणामों की फिर से समीक्षा की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन: चुनाव समिति की रिपोर्ट पर कोर्ट लेगा अंतिम निर्णय
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की खंडपीठ के समक्ष सीनियर एडवोकेट विजय हंसारीया, जो चुनाव समिति के सदस्य हैं, ने बताया कि अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी रहे डॉ. आदिश सी अग्रवाल और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप राय की शिकायतों को गंभीरता से लिया गया है। हंसारीया ने कहा, “हमें इन शिकायतों की जांच के बाद कुछ विसंगतियां मिली हैं, इसलिए हमने निर्णय लिया है कि अध्यक्ष पद और कार्यकारी समिति के सदस्य पदों के लिए पुनर्मतगणना की जाएगी।”
खंडपीठ ने यह निर्देश दिया कि मतों की पुनर्मतगणना पूरी होने के बाद चुनाव परिणाम घोषित न किए जाएं। सबसे पहले पुनर्मतगणना की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाए। इसके पश्चात् ही यह निर्णय लिया जाएगा कि परिणामों को सार्वजनिक किया जाए या नहीं। अदालत ने यह भी कहा कि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना सर्वोपरि है, विशेष रूप से जब मामला देश की सर्वोच्च अदालत की बार एसोसिएशन से जुड़ा हो।
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सुप्रीम कोर्ट ने डॉ. आदिश अग्रवाल को दी चेतावनी
चुनाव समिति ने पुनर्मतगणना की प्रक्रिया में उच्चतम न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल से पर्यवेक्षक के रूप में उपस्थित रहने का अनुरोध किया है, ताकि मतगणना की पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके। हंसारीया ने बताया कि पुनर्मतगणना में करीब दो से तीन दिन का समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि फिलहाल अध्यक्ष पद के लिए मतों की पुनर्गणना की जाएगी और इसके बाद अन्य कार्यकारी पदों पर आगे विचार होगा।
अदालत में सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने डॉ. आदिश सी अग्रवाल से भी नाराजगी व्यक्त की। वह वर्चुअल माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए थे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव समिति के सदस्यों को धमकाने या उन पर किसी भी प्रकार का दबाव बनाने का कोई भी प्रयास स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, “चुनाव समिति के सदस्य न्यायालय की विस्तारित भुजाओं की तरह हैं, और उनके प्रति सम्मान बनाए रखना आवश्यक है।”
SCBA चुनाव आमतौर पर शांतिपूर्वक और पेशेवर माहौल में होते हैं, लेकिन इस बार चुनाव के परिणामों पर सवाल खड़े होने से इस प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर बहस छिड़ गई है। आदिश अग्रवाल और प्रदीप राय जैसे वरिष्ठ अधिवक्ताओं की शिकायतें, और अदालत का इस पर संज्ञान लेना, यह दर्शाता है कि इस बार चुनावों को लेकर बार और बेंच दोनों में चिंता का माहौल है।
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सुप्रीम कोर्ट रखेगा पूरी प्रक्रिया पर नजर
SCBA देश की सबसे प्रतिष्ठित बार एसोसिएशनों में से एक है और इसके पदों पर होने वाले चुनाव देश के न्यायिक और कानूनी परिदृश्य में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ऐसे में, इस चुनाव में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि देश भर के वकीलों का इस संस्था पर विश्वास बना रहे।
इस पूरे घटनाक्रम को देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि सुप्रीम कोर्ट स्वयं इस प्रक्रिया पर कड़ी निगरानी रखेगा। पुनर्मतगणना के बाद यदि अदालत यह पाती है कि मतदान प्रक्रिया में गंभीर खामियां थीं, तो परिणामों को रद्द किया जा सकता है या फिर आगे की कार्रवाई तय की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई यह हिदायत कि पुनर्मतगणना के पश्चात परिणामों की घोषणा न की जाए, एक महत्वपूर्ण कदम है जो संस्था की गरिमा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को बनाए रखने के प्रयास को दर्शाता है। यह मामला आने वाले दिनों में कानूनी बिरादरी के बीच चर्चाओं का विषय बना रहेगा।