हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति : देश आज दर्द और पीड़ा में है हाथरस कांड में अब तक 122 लोगो की जान जा चुकी है , और कई लोग अभी भी एक एक साँस के लिए लड़ रहे है । जब इतनी बड़ी घटना हुई है तो राजनीती होना तो लाज़मी है ही , और हो भी ऐसा ही रहा है । प्रदेश के मुख्य मंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ पुरे हाथरस कांड पर एक प्रेस वार्ता करते है , और इस हाथरस कांड का जिम्मेदार विपक्ष के नेताओ को बना देते है , और यहाँ तक कह जाते है , की इस पुरे मामले में साज़िश भी हो सकती है ।
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति : योगी जी ने इशारो इशारो में अखिलेश यादव पर निशाना साधा की आप देख ही सकते है की बाबा की तस्वीरें किस के साथ नज़र आ रही है । इस पर समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भी योगी जी को आड़े हाथो लेते हुए उन्हें घेर लिया । अखिलेश यादव ने कहा की ये घटना दर्द नाक है । इसके लिए जितनी भी बाते कही जाये हमें दुःख ओर हमारी पार्टी को दुःख है । जिनके परिवार के सदस्यों की जान गई है, मै भी ओर मेरी पार्टी भी उनके साथ है ।
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हाथरस हादसे की लाइव अपडेट
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हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति : भगवान उनको इस दुःख को सहने की सकती मिले जो हादसा हुआ है । उसमे पूरी सरकार की लापरवाही है , प्रशासन की लापरवाही है और ऐसा नहीं है , की उतर प्रदेश की सरकार या लोग न जानते हो ये बाते की जब कभी भी इस तरह के कार्यक्रम होते है । बड़ी संख्या में लोग यहाँ पर आकर शामिल होते है । जो जानकारी सरकार के पास थी उसके बावजूद सरकार को जो काम करना चाहिए था , वो इंतज़ाम नहीं किये गए है । इस लापरवाही की वजह से जो जाने गई है , उसकी जिम्मेदार सरकार है ।
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बहुत से लोगो की जान बच सकती थी । न समय पर एम्बुलेंस का इंतज़ाम कर पाए और अगर कोई हॉस्पिटल पहुंच भी गया तो उसे पर्याप्त इलाज नहीं मिल पाया है , जो इलाज मिलना चाहिए था । न ऑक्सीजन मिली न दवा मिली और न कोई इंतज़ाम किया ।
हाथरस की हृदय विदारक और कारुणिक घटना से अब तो चेतें सरकारें !
धर्म के नाम पर वोट बैंक के खातिर, आखिर कब तक यह सब होता रहेगा? प्रदेश में भी दो संरक्षण प्राप्त बाबा यही सब तो कर रहे हैं। इन्हें कोई शैक्षणिक ज्ञान और अनुभव के किसी प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं, ये स्वयंभू हैं और जितना अधिक से अधिक ढोंग, आडम्बर तथा अंधविश्वास फैला सकें, इसकी प्रतियोगिता करते रहते हैं।
हमारी भोली जनता तुलसी, कबीर और रैदास आदि को भुला कर क्षणिक और तत्काल अपनी विपदाओं के निवारण तथा कामनाओं के लिए इन ढोंगी बाबाओं को ही सब कुछ मान बैठती है। मीडिया विशेषकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का क्या कहना, उन्हें अच्छे बुरे से क्या मतलब; वह तो अपना व्यवसाय कर रहे हैं। यह बात अलग है कि नाक रगड़ कर माफी मांगना भी दिखाकर वाहवाही भी बटोर लेते हैं।
राजनेता और राजनीति भी इन बाबाओं के मामले में दलगत हो जाती है, जब राजनेता, मीडिया और समाज सभी इन्हें बढ़ावा देंगे तो शिक्षा का जनविस्तार और प्राथमिकता निरर्थक, निष्फल और निष्प्रभावी रह जाएगा।
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: आखिर अब तो जागो सरकार !
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: प्रदेश में सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों के लाउडस्पीकर उतरवाकर सराहनीय काम हुआ है, लेकिन इन बाबाओं का आडम्बर, ढोंग और अंधविश्वास को बिना वोट बैंक की परवाह किए आखिर कब रोका जाएगा? यह देश और समाज के खातिर बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न है।
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: सौ से ज्यादा नागरिकों, जिसमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, की हुई दर्दनाक मौत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए सभी मृतक व घायल लोगों को उचित मुआवजा और घायलों के बेहतर इलाज की सरकार से अपील करता हूँ।
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: मीडिया रिपोर्ट के हवाले से यह खबर आ रही है थी हाथरस में हो रहे सत्संग में बड़े पैमाने पर भीड़ इकट्ठा हो सकती है, इसकी सूचना जिला प्रशासन को थी, बावजूद इसके जिला प्रशासन ने इसकी अनदेखी की और वहां समुचित इंतजाम न करके घोर लापरवाही बरती है। जिसकी सरकार को न्यायिक जांच करानी चाहिए और घटना की जवाबदेही तय करनी चाहिए।
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जवाबदेही तय होती नहीं है और ऐसे हादसे होते रहते हैं।
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: अनुमति से तीन गुना ज्यादा भीड़, मौके पर प्रशासन नहीं, भीड़ मैनेजमेंट का इंतजाम नहीं, भीषण गर्मी से बचने का कोई उपाय नहीं, कोई मेडिकल टीम नहीं, घटना के बाद एंबुलेंस नहीं, मदद के लिए फोर्स नहीं, अस्पताल में डॉक्टर और सुविधाएं नहीं… लापरवाहियों की इतनी लंबी लिस्ट लेकिन किसी की कोई जवाबदेही नहीं। हाथरस में जो दुखद घटना घटी, उसका जिम्मेदार कौन है?
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: कभी पुल गिरने से, कभी ट्रेन एक्सीडेंट से, कभी भगदड़ से सैकड़ों मौतें होती हैं। लीपापोती करने की बजाए सरकार का दायित्व होता है कि कार्रवाई करे और ऐसे हादसों को रोकने की योजना तैयार करे।
हाथरस कांड पर गरमाई राजनीति: यह बहुत दुखद स्थिति है, इस समय सत्ता के सहयोग से जो बड़े पैमाने पर बाबाओं का कारोबार फल फूल रहा है और जनता की आस्था का दोहन किया जा रहा है, उससे जनता को सचेत होना होगा।
10,000 लोगों की सभा के लिए सरकारी दिशानिर्देश:
अनुमति प्राप्त करना:
- आयोजकों को स्थानीय अधिकारियों से उचित अनुमति प्राप्त करनी होगी।
- इसमें पुलिस, नगरपालिका और आपदा प्रबंधन विभाग शामिल हो सकते हैं।
- अनुमति के लिए आवेदन में सभा की तारीख, समय, स्थान, अनुमानित उपस्थिति, सुरक्षा प्रबंधन योजना और अन्य प्रासंगिक विवरण शामिल होने चाहिए।
सुरक्षा:
- पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाने चाहिए, जिसमें पुलिस, सिविल डिफेंस और निजी सुरक्षा गार्ड शामिल हो सकते हैं।
- धातु डिटेक्टर और बैग स्कैनिंग जैसे सुरक्षा उपायों का उपयोग किया जाना चाहिए।
- आपातकालीन निकास और प्राथमिक चिकित्सा सुविधाओं की स्पष्ट योजना होनी चाहिए।
आग से बचाव:
- आग से बचाव के मानकों का पालन करना होगा।
- इसमें पर्याप्त संख्या में आग बुझाने वाले यंत्र, आपातकालीन निकास और अग्निशमन योजनाएं शामिल हैं।
स्वास्थ्य और स्वच्छता:
- स्वच्छता बनाए रखने और संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त संख्या में शौचालय और हाथ धोने की सुविधाएं होनी चाहिए।
- प्रथमोपचार और चिकित्सा सहायता के लिए डॉक्टरों और नर्सों की मौजूदगी होनी चाहिए।
ध्वनि प्रदूषण:
- ध्वनि प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए ध्वनि प्रणाली का उचित उपयोग किया जाना चाहिए।
- शोर के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों, जैसे अस्पतालों और आवासीय क्षेत्रों, पर विचार किया जाना चाहिए।
पार्किंग और यातायात:
- पर्याप्त पार्किंग सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए, खासकर यदि बड़ी संख्या में वाहनों की अपेक्षा है।
- यातायात प्रबंधन योजना बनाई जानी चाहिए और सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए।
अन्य दिशानिर्देश:
- स्थानीय कानूनों और नियमों का पालन करना होगा।
- पड़ोसियों को सभा के बारे में सूचित किया जाना चाहिए और उनकी सहमति प्राप्त की जानी चाहिए।
- सभा के बाद सफाई का उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल सामान्य दिशानिर्देश हैं। विशिष्ट आवश्यकताएं स्थान, सभा के प्रकार और उपस्थिति के आकार के आधार पर भिन्न हो सकती हैं। आयोजकों को हमेशा नवीनतम नियमों और विनियमों के लिए स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।