मध्य प्रदेश हाईकोर्ट: यदि मुकदमे या अपील के लंबित रहने के दौरान किशोर आरोपी वयस्क हो जाता है, तो जमानत या सजा निलंबन के लिए क्या होना चाहिए विचार?

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि जब कोई बच्चा, जो कानून के साथ संघर्ष में है (Child

MADHYA PRADESH HC

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने हालिया फैसले में स्पष्ट किया है कि जब कोई बच्चा, जो कानून के साथ संघर्ष में है (Child in Conflict with Law – CCIL), मुकदमे या अपील के दौरान वयस्क हो जाता है, तो उसे ‘किशोर’ के रूप में ही मुकदमे का सामना करना चाहिए। जमानत देने के संबंध में भी उसे ‘किशोर’ मानते हुए विचार करना चाहिए। यह फैसला किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 और पूर्व के कानूनी फैसलों के अनुसार लिया गया है।

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का निर्देश: किशोर से वयस्क होने पर भी ‘किशोर’ के रूप में होगी सुनवाई, जमानत पर पुनर्वास को प्राथमिकता

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला ने यह टिप्पणी की कि किसी किशोर की जमानत के मामले में उसे वयस्क नहीं माना जा सकता, भले ही उसने 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो और वह ट्रायल के दौरान वयस्क बन गया हो। न्यायालय ने बताया कि ऐसी स्थिति में जमानत देने पर विचार करते समय किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानों को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जिसमें पुनर्वास और सुधारात्मक उपायों पर विशेष ध्यान दिया गया है, न कि सजा देने पर।

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प्रमुख मुद्दे और निर्णय

इस मामले में, याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 के तहत हत्या का आरोप था। इससे पहले, उसे जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। न्यायमूर्ति विजय कुमार शुक्ला की पीठ ने स्पष्ट किया कि ट्रायल के दौरान जब कोई बच्चा वयस्क हो जाता है, तो उसे ‘किशोर’ के रूप में ही मुकदमे का सामना करना चाहिए। जमानत पर विचार करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम की धारा 12 के प्रावधान और पूर्व में दिए गए फैसलों का पालन करना चाहिए।

अदालत ने यह भी कहा कि जमानत या सजा निलंबन को अस्वीकार करने का अधिकार केवल विशेष परिस्थितियों में होता है, जैसे सुरक्षा या न्याय के हित से जुड़ी स्थितियां। प्रोबेशन अधिकारी की रिपोर्ट इस संबंध में एक महत्वपूर्ण विचार होगी। ट्रायल के दौरान 21 वर्ष की आयु पूरी कर चुके किसी भी किशोर के मामले में जमानत का आवेदन केवल अपराध की गंभीरता या अपराध के तरीके को ध्यान में रखकर अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, आपराधिक प्रक्रिया संहिता के प्रावधान भी लागू हो सकते हैं।

जमानत की शर्तें और निगरानी का निर्देश

इस मामले में, याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आदित्य जैन उपस्थित हुए और प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता सुर्या कुमार गुप्ता उपस्थित हुए। अदालत ने सख्त निगरानी के तहत महिला और बाल विकास विभाग के प्रोबेशन अधिकारी द्वारा शाजापुर में याचिकाकर्ता की रिहाई का आदेश दिया।

अदालत ने स्पष्ट किया कि केवल अपराध की गंभीरता ही कानून के साथ संघर्ष में रहने वाले किसी किशोर को जमानत देने से इनकार करने का आधार नहीं बन सकती। जमानत का उद्देश्य मुख्यतः पुनर्वास पर आधारित होना चाहिए, जिससे किशोर का सुधार संभव हो सके।

निगरानी और प्रोबेशन अधिकारी की भूमिका

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि प्रोबेशन अधिकारी को रिहा किए गए किशोर के व्यवहार पर नजर रखनी होगी। इसके लिए अदालत ने प्रोबेशन अधिकारी को हर छह महीने में एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। यदि किसी भी प्रतिकूल रिपोर्ट के संकेत मिलते हैं, तो अभियोजन पक्ष को जमानत रद्द करने का अनुरोध करने का अधिकार रहेगा। इसके अतिरिक्त, किशोर को प्रत्येक दो महीने में प्रोबेशन अधिकारी को रिपोर्ट करना अनिवार्य होगा।

अदालत ने कहा, “ऐसी स्थिति में अदालत को यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिनियम का मुख्य उद्देश्य किशोर का पुनर्वास है, न कि दंड।” किशोर न्याय अधिनियम का मुख्य उद्देश्य समाज में सुधार और किशोर को एक नई दिशा देने का है, और इस उद्देश्य के तहत ही सभी निर्णय लिए जाने चाहिए।

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परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर दोष सिद्धि

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की स्थिति की जांच करते हुए पाया कि प्रोबेशन अधिकारी ने उसके व्यवहार के संबंध में कोई प्रतिकूल रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की थी। यद्यपि याचिकाकर्ता एक मृत व्यक्ति के साथ वाहन में पाया गया था, लेकिन उपलब्ध साक्ष्यों से यह संकेत नहीं मिलता कि उसे शव की उपस्थिति की जानकारी थी। दोष सिद्धि मुख्य रूप से परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित थी, जिससे अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला कि इस मामले में निरंतर हिरासत अनुचित है।

अदालत ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को 25,000 रुपये के व्यक्तिगत बांड पर रिहा किया जाए। इसके अतिरिक्त, प्रोबेशन अधिकारी को याचिकाकर्ता के व्यवहार की निगरानी करने और हर छह महीने में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया। यदि कोई प्रतिकूल रिपोर्ट मिलती है, तो अभियोजन पक्ष जमानत रद्द करने के लिए आवेदन कर सकता है।

मामला शीर्षक: किशोर X बनाम मध्य प्रदेश राज्य

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस फैसले में किशोर न्याय अधिनियम के उद्देश्य और पुनर्वास की भावना को ध्यान में रखते हुए यह महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं। इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि न्याय प्रणाली को किशोरों के मामलों में दंडात्मक दृष्टिकोण के बजाय पुनर्वास और सुधारात्मक दृष्टिकोण को अपनाना चाहिए। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी किशोर को अपराध की गंभीरता के आधार पर दंडित करने के बजाय उसे समाज में एक नई दिशा देने और सुधारने के उद्देश्य से प्रावधानों का पालन करना चाहिए।

इस प्रकार, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला न्याय प्रणाली में किशोरों के मामलों में सुधारात्मक दृष्टिकोण अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज में सकारात्मक परिवर्तन और किशोरों के पुनर्वास को प्राथमिकता देता है।

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GEMINI 3 FEATURES उन्नत reasoning और मल्टीमॉडल कौशल

Gemini 3, LMArena leaderboard में शीर्ष स्थान पर है, PhD-स्तर की reasoning क्षमता रखता है और विज्ञान, गणित जैसे विषयों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। वीडियो, इमेज और मल्टीमॉडल क्वेरी पर भी यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है, जो इसे व्यापक और बहु-आयामी प्रश्नों के लिए उपयुक्त बनाता है।

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Gemini 3 Deep Think मोड

यह नया मोड Gemini 3 की reasoning और समझ को और भी गहरा बनाता है, जिससे कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान संभव होता है। इसका प्रदर्शन AI परीक्षाओं में अप्रत्याशित रूप से बेहतर है, जो इसे विश्लेषण और योजना कार्यों में उपयोगी बनाता है।

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सीखना, बनाना, और योजना बनाना

Gemini 3 के साथ सीखना आसान है, चाहे वह परिवार की परंपरागत रेसिपी ट्रांसलेट करना हो या ऐडवांस रिसर्च पेपर का विश्लेषण। यह ब्लॉक्स, कोड और विजुअलाइजेशन के माध्यम से जटिल जानकारियों को समझाने और प्रदर्शित करने में सक्षम है।

डेवलपर्स के लिए नया अनुभव

Google ने Google Antigravity नामक एजेंटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिससे डेवलपर्स Gemini 3 के साथ अधिक स्वायत्त और कार्य-केंद्रित एप्लिकेशन बना सकते हैं। यह कोडिंग को नए स्तर पर ले जाता है और निरंतर स्व-पुष्टिकरण प्रदान करता है।

योजना और ऑटोमेशन में सुधार

Gemini 3 लंबे समय के लिए योजना बनाने और जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है। यह आपके ईमेल को व्यवस्थित कर सकता है, स्थानीय सेवाएं बुक कर सकता है, और दैनिक कार्यों में मदद करता है।

सुरक्षा और जिम्मेदारी

Google ने Gemini 3 को सबसे सुरक्षित AI मॉडल बनाया है। इसमें साइबर हमलों, गलत जानकारी, और हानिकारक प्रोत्साहनों से सुरक्षा के लिए व्यापक परीक्षण और सहयोग किया गया है।

Gemini 3 का भविष्य

Gemini 3 अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और जल्द ही इसके कई नए संस्करण और फीचर जारी होंगे। Google इसे Google एजेंसियों, डेवलपर्स, और एंटरप्राइज क्लाइंट्स तक पहुंचा रहा है।

Gemini 3 की उपलब्धता

Gemini 3 एप्लिकेशन, AI Studio, Vertex AI, Google Antigravity, और Gemini CLI के माध्यम से उपलब्ध है। कॉलैबोरेशन प्लेटफॉर्म्स जैसे GitHub, Replit में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

Gemini 3 पर Google की यह नई पहल AI के आयामों का विस्तार करती है और इसे हर क्षेत्र में व्यावहारिक, सुलभ और अधिक सक्षम बनाती है। इसका लक्ष्य AI को उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना है।

विषयविवरण
मॉडल का नामGemini 3
मुख्य विशेषताएंउन्नत reasoning, मल्टीमॉडल इनपुट, एजेंटिक कोडिंग
प्रमुख प्रदर्शन मानकLMArena leaderboard topper, PhD-level reasoning
नया मोडGemini 3 Deep Think
उपयोगकर्ता लाभबेहतर सीखना, निर्माण, योजना, और ऑटोमेशन
डेवलपर टूल्सGoogle Antigravity, AI Studio, Vertex AI
सुरक्षाव्यापक परीक्षण, सुरक्षा सुधार
उपलब्धताGemini app, AI Studio, Vertex AI, CLI, Dritt platforms
भविष्य की योजनानए संस्करण, फीचर्स, व्यापक उपयोग
लक्ष्यAI को ज्यादा प्रभावी और व्यक्तिकृत बनाना