ALLAHABAD HC: राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की है। सिब्बल ने यह मांग मुस्लिम समुदाय के खिलाफ जस्टिस यादव की हालिया विवादास्पद टिप्पणियों के आधार पर की।
मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में सिब्बल ने घोषणा की कि वह अन्य सांसदों और नेताओं के साथ मिलकर न्यायमूर्ति यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रहे हैं।
ALLAHABAD HC: महाभियोग प्रस्ताव की तैयारी
सिब्बल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हम जल्दी ही सांसदों से मिलेंगे और जज साहब के खिलाफ एक महाभियोग प्रस्ताव लाएंगे। अब कोई और रास्ता नहीं बचा है। पिछले कई वर्षों में हमने देखा है कि न्यायपालिका में जिस तरह की समस्याएँ सामने आ रही हैं, वे बेहद चिंताजनक हैं।”
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सिब्बल ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय से भी इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसे न्यायाधीशों को न्याय की कुर्सी पर बैठने की अनुमति न दी जाए। उन्होंने कहा, “जब तक वह न्यायपालिका में हैं, उनके समक्ष कोई मामला नहीं जाना चाहिए।”
न्यायमूर्ति यादव ने हाल ही में एक कार्यक्रम में मुस्लिम समुदाय के खिलाफ टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “भारत को बहुसंख्यक समुदाय की इच्छा के अनुसार कार्य करना चाहिए” और मुस्लिम समुदाय के संदर्भ में “कठमुल्ला” शब्द का उपयोग किया। यह शब्द आमतौर पर मुस्लिम समुदाय के प्रति अपमानजनक रूप में इस्तेमाल होता है।
ALLAHABAD HC: न्यायपालिका में पक्षपात की चिंता
सिब्बल ने न्यायपालिका में इस प्रकार की प्रवृत्तियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “अगर एक न्यायाधीश इस तरह की बयानबाजी कर सकता है, तो सवाल यह उठता है कि ऐसे लोगों की नियुक्ति कैसे हो रही है? और यह प्रवृत्ति पिछले दस वर्षों में क्यों बढ़ी है?”
उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय का उदाहरण भी दिया, जिन्होंने पद से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल होने का फैसला किया था।
सिब्बल ने कहा कि न्यायमूर्ति यादव की टिप्पणी न्यायिक आचरण के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। उन्होंने कहा, “न्यायाधीशों को सार्वजनिक बहस में शामिल होने, राजनीतिक मामलों पर विचार व्यक्त करने, या किसी ऐसे मुद्दे पर टिप्पणी करने की अनुमति नहीं है जो उनके समक्ष लंबित है या भविष्य में हो सकता है।”
ALLAHABAD HC: प्रधानमंत्री और सरकार से आग्रह
सिब्बल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य नेताओं से अपील की कि वे इस मामले में तुरंत कार्रवाई करें। उन्होंने कहा, “यह देश इस तरह के न्यायाधीशों को बर्दाश्त नहीं कर सकता।” उन्होंने यह भी कहा कि इस महाभियोग प्रक्रिया का उद्देश्य न्यायपालिका और संविधान की गरिमा को बनाए रखना है।
महाभियोग लाने के लिए संसद के कम से कम 100 सदस्यों के हस्ताक्षर आवश्यक हैं। यदि यह प्रस्ताव लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है, तो राष्ट्रपति इसे मंजूरी देते हैं। सिब्बल ने कहा कि वह इस प्रक्रिया को शुरू करने के लिए अन्य सांसदों का समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे।
ALLAHABAD HC: निष्कर्ष
यह पहली बार नहीं है जब न्यायपालिका में किसी न्यायाधीश के बयान को लेकर विवाद हुआ हो। लेकिन सिब्बल का यह कदम न्यायपालिका में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और अन्य राजनीतिक दल इस पर क्या रुख अपनाते हैं।












