Delhi Chunav 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 नजदीक हैं, और जैसे-जैसे चुनावी सरगर्मी बढ़ रही है, नए-नए मुद्दे सियासी चर्चा के केंद्र में आ रहे हैं।
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर छिड़े विवाद ने इस चुनावी माहौल को और गरमा दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संविधान पर चर्चा के दौरान दिए गए बयान का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया और इसे अंबेडकर का अपमान करार दिया। इस विवाद ने न केवल राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि दिल्ली की राजनीति में भी हलचल मचा दी है।
Delhi Chunav 2025: अंबेडकर विवाद कैसे शुरू हुआ मामला?
Delhi Chunav 2025: अंबेडकर विवाद की शुरुआत संसद के शीतकालीन सत्र में हुई, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान और लोकतंत्र पर अपनी बात रखते हुए एक बयान दिया। उनके बयान के कुछ अंश को लेकर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि उन्होंने अंबेडकर का अपमान किया है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और बीजेपी सरकार पर दलित समुदाय की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया।
दूसरी ओर, बीजेपी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर पलटवार करते हुए दावा किया कि अंबेडकर का असली अपमान तो कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ था। यह विवाद देखते ही देखते राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गया, और अब इसका असर दिल्ली के आगामी विधानसभा चुनाव पर भी दिख रहा है।
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Delhi Chunav 2025: सी-वोटर का सर्वे अंबेडकर विवाद का असर किसे मिलेगा?
इस पूरे विवाद के बीच, सी-वोटर ने एक सर्वे किया, जिसमें दिल्ली के आम लोगों से पूछा गया कि अंबेडकर विवाद से किस पार्टी को सबसे अधिक फायदा होगा। सर्वे के नतीजे कई मायनों में चौंकाने वाले हैं।
Delhi Chunav 2025: सर्वे के प्रमुख बिंदु:
- आप को सबसे अधिक फायदा:
सर्वे के मुताबिक, 26.5% लोगों का मानना है कि अंबेडकर विवाद का सबसे अधिक फायदा आम आदमी पार्टी (AAP) को होगा। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने इस मुद्दे को आक्रामक तरीके से उठाया और इसे दलित समुदाय से जोड़ते हुए कई कदम उठाए हैं। - बीजेपी को भी बढ़त:
सर्वे में 22% लोगों ने कहा कि बीजेपी को इस विवाद से फायदा हो सकता है। बीजेपी ने भी इस मुद्दे पर कांग्रेस को घेरते हुए अंबेडकर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है। - कांग्रेस की स्थिति:
कांग्रेस, जो लंबे समय तक दलित समुदाय की पसंदीदा पार्टी रही है, उसे इस विवाद से 15.9% का फायदा होता दिख रहा है। हालांकि यह फायदा अपेक्षाकृत कम है, लेकिन पार्टी के लिए यह सकारात्मक संकेत हो सकता है। - असर नहीं होने की संभावना:
सर्वे में 25.1% लोगों ने कहा कि अंबेडकर विवाद का दिल्ली चुनाव पर खास असर नहीं पड़ेगा। यह बताता है कि दिल्ली के मतदाता मुख्यतः स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। - अनिश्चितता:
10.6% लोगों ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया, जो दर्शाता है कि कई लोग अभी भी इस मुद्दे पर अपनी राय बनाने में असमर्थ हैं।
Delhi Chunav 2025: आप की रणनीति दलित वोट बैंक पर फोकस
दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने अंबेडकर विवाद को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर बीजेपी को आड़े हाथों लिया और आरोप लगाया कि केंद्र सरकार बाबा साहेब का अपमान कर रही है। इसके अलावा, केजरीवाल सरकार ने दलित छात्रों के लिए डॉ. अंबेडकर स्कॉलरशिप स्कीम की घोषणा की है, जो उनकी रणनीति का अहम हिस्सा है।
AAP ने अंबेडकर की विरासत को लेकर कई सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए और अपने प्रचार में बाबा साहेब के नाम का इस्तेमाल किया। यह रणनीति दलित वोट बैंक को साधने की ओर इशारा करती है, जो दिल्ली की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
बीजेपी की प्रतिक्रिया कांग्रेस पर निशाना
बीजेपी ने इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है। पार्टी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए दावा किया कि अंबेडकर का असली अपमान उनके समय में हुआ था। बीजेपी ने अंबेडकर के नाम पर कई योजनाओं और कार्यक्रमों का हवाला देते हुए यह साबित करने की कोशिश की है कि वह दलित समुदाय के हितों की रक्षा कर रही है।
कांग्रेस का रुख पुराने आधार को मजबूत करने की कोशिश
कांग्रेस, जो एक समय दलित समुदाय की प्रमुख प्रतिनिधि पार्टी थी, इस विवाद के जरिए अपना खोया हुआ आधार वापस पाने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने अंबेडकर विवाद को उठाते हुए बीजेपी और AAP दोनों पर निशाना साधा और दलित समुदाय के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
दलित वोट बैंक का महत्व
दिल्ली की राजनीति में दलित वोट बैंक का विशेष महत्व है। दलित समुदाय राजधानी के कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाता है। ऐसे में अंबेडकर विवाद ने इस वोट बैंक को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है।
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क्या कहता है इतिहास?
दिल्ली में दलित वोट बैंक पर लंबे समय तक कांग्रेस का दबदबा रहा है। हालांकि, पिछले कुछ चुनावों में AAP ने इस वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत की है। बीजेपी ने भी दलित वोटर्स को लुभाने के लिए कई प्रयास किए हैं, लेकिन पार्टी अब भी इस समुदाय में पूरी तरह पैठ नहीं बना पाई है।
आने वाले चुनाव का असर
अंबेडकर विवाद ने दिल्ली की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित किया है। जहां AAP ने इसे दलित समुदाय से जोड़कर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश की है, वहीं बीजेपी और कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
क्या अंबेडकर विवाद दिल्ली चुनावी नतीजों पर असर डालेगा?
दिल्ली चुनाव 2025 में अंबेडकर विवाद एक अहम मुद्दा बनकर उभरा है। सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक, इस विवाद से AAP को सबसे अधिक फायदा होने की संभावना है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस भी इससे लाभ उठाने की कोशिश कर रही हैं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाद वाकई में चुनावी नतीजों पर असर डालता है या नहीं।
आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा कि दिल्ली के मतदाता किसके पक्ष में अपना भरोसा जताएंगे। फिलहाल, अंबेडकर विवाद ने राजनीतिक दलों को एक नया चुनावी मुद्दा दे दिया है, और सभी दल इसे भुनाने में जुट गए हैं।