DELHI HC,: दिल्ली हाईकोर्ट ने असाधारण पेंशन की स्वीकृति के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है, जिसमें कहा गया है कि फोर्स कर्मी की मृत्यु ‘ड्यूटी के दौरान’ होनी चाहिए। यह निर्णय एक याचिका में दिया गया, जिसे एक दिवंगत निरीक्षक (जनरल ड्यूटी) की विधवा ने दायर किया था, जिनकी मृत्यु दुर्भाग्यवश Indo-Tibetan Border Police Force (ITBPF) की 54वीं बटालियन में सेवा करते हुए हो गई थी।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शलिंदर कौर की बेंच ने यह आदेश जारी करते हुए कहा कि असाधारण पेंशन की पात्रता के लिए यह साबित करना जरूरी है कि मृतक कर्मी की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई थी और उसका कारण सरकारी सेवा से संबंधित या इसके द्वारा बढ़ी हुई परिस्थितियों के कारण था।
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विशेष रूप से, जो बीमारियाँ किसी कर्मी को होती हैं, वे hostile work environment, जैसे कि चरम मौसम स्थितियाँ या पेशेवर जोखिमों के कारण होनी चाहिए, जो अंततः मृत्यु का कारण बन सकती हैं। प्राकृतिक कारणों से मृत्यु सरकारी सेवा से संबंधित नहीं मानी जाती, और इस प्रकार पुरानी हृदय और गुर्दा संबंधी बीमारियाँ नियमों के तहत कवर नहीं होतीं।
DELHI HC: याचिका का तथ्यात्मक विवरण
यह याचिका उस महिला द्वारा दायर की गई थी, जिसका पति ITBPF में कांस्टेबल (GD) के रूप में 1980 में सेवा में शामिल हुआ था और उसने अपनी सेवा के दौरान कई प्रमोशन प्राप्त किए थे। वह अंततः 2011 में निरीक्षक (GD) के पद पर प्रमोट हुआ और 2016 में जब वह 54वीं बटालियन में सीमा गार्ड ड्यूटी पर तैनात थे, तो उसे सीने में तीव्र दर्द हुआ।
शुरू में उसे यह दर्द बैडमिंटन खेलते वक्त मांसपेशियों में खिंचाव के कारण लगा, लेकिन जैसे-जैसे दर्द बढ़ने लगा और पीठ तक फैल गया, उसने अपने अधिकारियों को सूचित किया। अस्पताल में जांच के बाद पता चला कि उनके हृदय की स्थिति खराब थी और उन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता थी। हालांकि, उन्हें इलाज के लिए एक दूरस्थ स्थान पर ले जाया गया और उस यात्रा के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।
DELHI HC: हाईकोर्ट का निर्णय
दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि दिवंगत पति की मृत्यु ड्यूटी के दौरान हुई थी, और यह सरकारी सेवा से संबंधित स्थितियों के कारण हुई थी। कोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को असाधारण पेंशन दी जाए और यह 12 सप्ताह के भीतर बकाया राशि के साथ भुगतान की जाए। इसके अलावा, कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 35 लाख रुपये का एकमुश्त एक्स-ग्रेशिया मुआवजा भी प्रदान करने का आदेश दिया।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता को असाधारण पेंशन का भुगतान नियमों के अनुसार किया जाए, और भविष्य में भी इसे जारी रखा जाए। यह आदेश विशेष रूप से इस बात को मान्यता देता है कि ड्यूटी के दौरान हुए किसी कर्मी के निधन की स्थिति में उन्हें सरकार की ओर से उचित पेंशन और मुआवजा मिलना चाहिए।
DELHI HC: मामला का संदर्भ
मामला: सीमा जमवाल बनाम भारत संघ और अन्य (न्यूट्रल सिटेशन: 2025:DHC:1217-DB)
याचिकाकर्ता: वकील अंकुर छिब्बर
प्रत्यावेदन: SPC अंशुमान, वकील गोकुल शर्मा और पीयूष आहलुवालिया
यह निर्णय सरकारी सेवा में काम कर रहे कर्मियों के परिवारों के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल प्रस्तुत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि जो कर्मी अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपनी जान गंवाते हैं, उन्हें उचित सम्मान और समर्थन मिले।