DELHI HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के एक कांस्टेबल को सहायक उपनिरीक्षक (ASI) के पद पर पदोन्नति के लिए आवश्यक ऊंचाई में छूट प्रदान करते हुए कहा कि नियमित पदोन्नति और सीमित विभागीय प्रतियोगी परीक्षा (LDCE) के माध्यम से पदोन्नति के लिए अलग-अलग मानदंड तय करना अनुचित और असंवैधानिक है। कोर्ट ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है।
DELHI HC: खंडपीठ का फैसला
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा,
“याचिकाकर्ता को तेज पदोन्नति के अवसर से वंचित करना न केवल मनमाना है, बल्कि इससे याचिकाकर्ता की सेवा के विकास के अधिकारों का उल्लंघन होता है।”
याचिकाकर्ता CISF में एक कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने वर्ष 2022 में सहायक उपनिरीक्षक (कार्यकारी) के 706 पदों पर भर्ती के लिए LDCE के तहत आवेदन किया था। आवेदन पत्र के अनुसार, केवल वे उम्मीदवार पात्र थे, जिन्होंने अपनी नियुक्ति के पांच वर्ष पूरे कर लिए हों। याचिकाकर्ता ने लिखित परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी।
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हालांकि, जब उन्हें शारीरिक दक्षता परीक्षण (PET) और शारीरिक मानक परीक्षण (PST) के लिए बुलाया गया, तो उनकी ऊंचाई 165 सेमी से कम होने के कारण उन्हें परीक्षण में भाग लेने से रोक दिया गया। याचिकाकर्ता की ऊंचाई 162.5 सेमी थी, जो पूर्वोत्तर राज्यों के लिए निर्धारित मानक के अनुसार थी।
DELHI HC: याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता ने कोर्ट से निवेदन किया कि वह पहले से ही CISF में सेवा दे रहे हैं और उनकी नियुक्ति के समय उनकी ऊंचाई में छूट प्रदान की गई थी। ऐसे में पदोन्नति के लिए अलग मानक लागू करना अनुचित और असंवैधानिक है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार का भेदभावपूर्ण नियम उन्हें उनकी सेवाओं में विकास के अवसर से वंचित करेगा।
उत्तरदाताओं ने दलील दी कि विज्ञापन में केवल पूर्वोत्तर राज्यों, जैसे मणिपुर के उम्मीदवारों के लिए ऊंचाई में छूट दी गई थी। लेकिन याचिकाकर्ता विज्ञापन में दिए गए 165 सेमी के मानक को पूरा करने में असफल रहे।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि CISF में उनकी नियुक्ति के समय 2013 और 2024 की अधिसूचनाओं के अनुसार, उनकी ऊंचाई 162.5 सेमी को मान्यता दी गई थी। ऐसे में उनके लिए पदोन्नति के लिए अलग मानक लागू करना मनमाना और असंवैधानिक है।
DELHI HC: अन्य मामलों का संदर्भ
कोर्ट ने थोलू रॉकी बनाम CISF निदेशक जनरल और टी.डी. सिरिल मिमिन जोउ बनाम भारत संघ जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन मामलों में भी ऊंचाई में छूट प्रदान की गई थी। इन मामलों में यह स्पष्ट किया गया था कि यदि छूट नहीं दी गई तो याचिकाकर्ता सेवा में प्रगति के अवसर से वंचित हो जाएंगे।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा,
“याचिकाकर्ता को चयन प्रक्रिया के अन्य सभी मानदंडों को पूरा करने पर ऊंचाई में छूट प्रदान की जाए और उनकी उम्मीदवारी पर विचार किया जाए।”
इसके साथ ही, कोर्ट ने CISF को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता को LDCE प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दें और उनकी उम्मीदवारी का पुनः मूल्यांकन करें।
- मामला: नोंगथोम्बम हीरोजीत मैते बनाम भारत संघ और अन्य
- प्रतिनिधित्व:
- याचिकाकर्ता के लिए: अधिवक्ता रजत अरोड़ा, नीरज कुमार, सौरभ और रवि रंजन मिश्रा।
- उत्तरदाता के लिए: CGSC जगदीश चंद्रा और उनकी टीम।
दिल्ली हाईकोर्ट का यह फैसला न केवल याचिकाकर्ता के लिए राहत लेकर आया है, बल्कि यह समानता और न्याय के सिद्धांतों को भी मजबूती प्रदान करता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक ही पद के लिए अलग-अलग मानदंड लागू करना भेदभावपूर्ण है और इसे समाप्त किया जाना चाहिए।
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