DELHI RIOTS: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों के एक महत्वपूर्ण मामले में देवांगना कलिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पुलिस को केस डायरी सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। इस निर्देश में विशेष रूप से केस डायरी के खंड संख्या 9989 और 9990 को सुरक्षित करने का आदेश शामिल है। यह मामला नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास हुई घटनाओं से संबंधित है।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने देवांगना कलिता की याचिका पर यह फैसला पारित किया, जिसमें उन्होंने केस डायरी में गवाहों के बयानों में छेड़छाड़ और पूर्व-तिथि के आरोप लगाए थे।
DELHI RIOTS: मामले का विवरण और देवांगना कलिता का आरोप
देवांगना कलिता पिंजरा तोड़ आंदोलन से जुड़ी एक सक्रिय कार्यकर्ता हैं। 2020 में जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क जाम और अन्य घटनाओं से संबंधित एक आपराधिक मामले में उन्हें आरोपी बनाया गया है।
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कलिता ने आरोप लगाया कि केस डायरी में दर्ज गवाहों के बयान में छेड़छाड़ की गई है और उनके बयान की तिथि में भी बदलाव किया गया है। इसके चलते उन्होंने केस डायरी को सुरक्षित रखने और उचित प्रक्रिया का पालन सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
इससे पहले, एक निचली अदालत ने केस डायरी को सुरक्षित रखने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 161 के तहत दर्ज किए गए बयान सबूत के महत्वपूर्ण हिस्से नहीं हैं। इस आधार पर केस डायरी को सुरक्षित करने की प्रक्रिया को रोक दिया गया था।
हालांकि, हाईकोर्ट ने इस निर्णय को खारिज करते हुए पुलिस को केस डायरी को फिर से सुरक्षित करने और संरक्षित करने के निर्देश दिए हैं।
DELHI RIOTS: हाईकोर्ट ने क्या कहा?
जसमीत सिंह की पीठ ने अपने आदेश में कहा, “यह निर्देश दिया जाता है कि वर्तमान मामले में शामिल केस डायरी को प्रतिवादी द्वारा संरक्षित किया जाए। विशेष रूप से खंड संख्या 9989 और खंड संख्या 9990 को सुरक्षित रखना अनिवार्य है।”
साथ ही, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की सुनवाई कर रहे मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट का कोई भी निर्णय कलिता की याचिका के परिणाम पर निर्भर होगा।
दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी 2025 को तय की है। इस बीच, केस डायरी के सुरक्षित रखे जाने का मामला न्यायालय के समक्ष विचाराधीन रहेगा।
देवांगना कलिता की ओर से इस मामले में कई अधिवक्ता पेश हुए हैं। उनके वकील आदित एस पुजारी, वान्या छाबड़ा, सिद्धार्थ कौशल और चैतन्य सुंदरियाल ने मामले में कलिता का पक्ष रखा। वहीं, सरकार की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक सुनील कुमार गौतम और अन्य अधिवक्ता भी अदालत में पेश हुए।
निचली अदालत ने केस डायरी को सुरक्षित करने से इनकार करते हुए कहा था कि आरोपी पक्ष के वकीलों की दलीलों में तो दम हो सकता है, लेकिन अदालत आरोपों की सत्यता और सच्चाई पर इस स्तर पर विचार नहीं कर सकती। इसके बाद मामला उच्च न्यायालय में आया और हाईकोर्ट ने केस डायरी को सुरक्षित रखने का आदेश पारित कर दिया।
DELHI RIOTS: सम्बंधित पक्षों के दावे
इस मुद्दे पर पक्षकारों के बीच काफी विवाद और कानूनी दलीलें हैं। देवांगना कलिता का आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई और केस डायरी में दखल उनके अधिकारों के उल्लंघन के साथ-साथ मामले की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है।
दूसरी ओर, सरकार और पुलिस का पक्ष भी अदालत के समक्ष रखा गया है। मामले के हर पहलू की गहराई से जांच और केस डायरी की सही स्थिति सुनिश्चित करने के लिए अदालत ने सुरक्षित रखने के आदेश दिए हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट का यह आदेश एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह मामले में कानून के तहत अधिकारों और प्रक्रियाओं के सही क्रियान्वयन की ओर एक संकेत करता है। केस डायरी के सुरक्षित रखे जाने से मामले की निष्पक्ष जांच की प्रक्रिया में मदद मिलेगी।
सुपरवाइजरी भूमिका निभा रहे न्यायालय ने यह भी साफ किया कि मामले की प्रक्रिया में किसी भी तरह की अनियमितता सहन नहीं की जाएगी और सभी कानूनी प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
इस आदेश के बाद से इस मामले में आने वाली कानूनी प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
DELHI RIOTS: मुख्य बिंदु:
- केस डायरी सुरक्षित रखने का आदेश – दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस को देवांगना कलिता के खिलाफ केस डायरी को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया।
- खंड संख्या 9989 और 9990 पर विशेष ध्यान – अदालत ने इन विशेष खंडों को सुरक्षित रखने के आदेश दिए।
- निचली अदालत का रुख और हाईकोर्ट की कार्रवाई – निचली अदालत ने केस डायरी सुरक्षित न रखने का आदेश दिया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर पुनर्विचार किया।
- याचिकाकर्ता देवांगना कलिता का आरोप – बयान में छेड़छाड़ और पूर्व-तिथि के आरोप।
- अगली सुनवाई 31 जनवरी, 2025 को होगी – मामला कानूनी प्रक्रिया के तहत कोर्ट में आगे बढ़ेगा।