हम साथ साथ हैं सूरज बड़जात्या, जो भारतीय सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित निर्देशकों में से एक हैं, ने हाल ही में ‘इंडियन आइडल 15’ में शिरकत की।
इस दौरान उन्होंने अपनी फिल्मों से जुड़े कई दिलचस्प किस्से साझा किए। खासतौर पर, उन्होंने ‘हम साथ साथ हैं’ फिल्म के गाने ‘मैया यशोदा ये तेरा कन्हैया’ के शूटिंग के दौरान हुए एक अनुभव के बारे में बताया, जिसने उनके फिल्ममेकिंग स्टाइल को हमेशा के लिए बदल दिया। यह घटना करिश्मा कपूर से जुड़ी थी और इसकी वजह से सूरज बड़जात्या ने मॉनिटर पर परफॉर्मेंस को जज करना हमेशा के लिए छोड़ दिया।
हम साथ साथ हैं सूरज बड़जात्या और करिश्मा कपूर का अनोखा अनुभव
‘इंडियन आइडल 15’ में जब सूरज बड़जात्या आए, तो उन्होंने अपनी सुपरहिट फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ के शूटिंग के दौरान हुई एक महत्वपूर्ण घटना का जिक्र किया। इस किस्से को सुनकर करिश्मा कपूर भी हैरान रह गईं। उन्होंने बताया कि ‘मैया यशोदा ये तेरा कन्हैया’ गाने की शूटिंग के दौरान उन्होंने महसूस किया कि मॉनिटर पर बैठकर परफॉर्मेंस को जज करना गलत हो सकता है।
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‘मैया यशोदा’ गाने की शूटिंग के दौरान क्या हुआ था?
सूरज बड़जात्या ने बताया कि जब ‘मैया यशोदा’ गाने का शूट चल रहा था, तब वह मॉनिटर पर बैठकर हर शॉट को देख रहे थे। करिश्मा कपूर अपने किरदार में पूरी तरह डूबी हुई थीं और हर शॉट को बखूबी निभा रही थीं। लेकिन सूरज बड़जात्या को लग रहा था कि कुछ कमी रह गई है, इसलिए उन्होंने लगातार टेक्स कराए।
उन्होंने कहा, “मैं मॉनिटर पर बैठा था और लगातार शॉट्स को देख रहा था। यह एक मिड शॉट था, चौथा और पांचवां टेक भी हो चुका था, लेकिन मुझे अब भी कुछ कमी महसूस हो रही थी। मैंने करिश्मा से कहा कि एक और टेक देना होगा, क्योंकि जो परफेक्शन मैं चाहता था, वह नहीं मिल रहा था।”
जब सूरज बड़जात्या को अपनी गलती का अहसास हुआ
सूरज बड़जात्या ने आगे बताया कि जब पांचवां शॉट चल रहा था, तो उन्होंने खुद सेट पर जाकर देखा कि करिश्मा कितनी शानदार परफॉर्मेंस दे रही थीं। उस वक्त उन्हें एहसास हुआ कि वे एक स्क्वेयर इंच के छोटे से मॉनिटर पर परफॉर्मेंस को जज कर रहे थे, जबकि असल में सेट पर जाकर देखने से चीजें काफी अलग लगती हैं।
उन्होंने कहा, “जब मैंने सेट पर जाकर लाइव देखा, तो करिश्मा एकदम परफेक्ट परफॉर्म कर रही थीं। मैं बेवकूफों की तरह एक छोटे से मॉनिटर पर देख रहा था और जज कर रहा था कि शॉट सही नहीं है। उस दिन मैंने तय कर लिया कि अब मैं कभी भी किसी भी स्टार की परफॉर्मेंस को मॉनिटर पर बैठकर नहीं देखूंगा। उस दिन के बाद से, मैंने मॉनिटर का इस्तेमाल पूरी तरह बंद कर दिया।”
सूरज बड़जात्या और करिश्मा कपूर के बीच अनसुना किस्सा
सूरज बड़जात्या की यह बात सुनकर करिश्मा कपूर खुद भी चौंक गईं। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि उनकी वजह से सूरज बड़जात्या ने मॉनिटर पर शॉट देखने की अपनी आदत को छोड़ दिया। यह उनके लिए भी एक नया अनुभव था। उन्होंने हंसते हुए कहा, “मुझे तो अब पता चला कि मेरी वजह से आपने मॉनिटर पर देखना छोड़ दिया। यह सुनकर अच्छा लग रहा है कि मेरी परफॉर्मेंस ने आपको इतना प्रभावित किया।”
‘हम साथ साथ हैं’ – 1999 की सुपरहिट फिल्म
यह किस्सा फिल्म ‘हम साथ साथ हैं’ के समय का है, जो 1999 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म उस साल की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में से एक थी। इसमें करिश्मा कपूर के अलावा सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, मोहनिश बहल, सोनाली बेंद्रे, और नीलम कोठारी मुख्य भूमिकाओं में थे। फिल्म की कहानी एक संयुक्त परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है और इसमें पारिवारिक मूल्यों को खूबसूरती से दर्शाया गया है।
फिल्म के गाने भी जबरदस्त हिट हुए थे, जिनमें ‘मैया यशोदा’, ‘याद पिया की आने लगी’, ‘हम साथ साथ हैं’, और ‘अभी मुझ में कहीं’ जैसे गीत शामिल थे। फिल्म के हर किरदार को दर्शकों ने खूब पसंद किया था और आज भी यह फिल्म परिवारों में देखी जाती है।
सूरज बड़जात्या की डायरेक्टिंग स्टाइल में बदलाव
इस घटना के बाद सूरज बड़जात्या ने अपने डायरेक्टिंग स्टाइल में बड़ा बदलाव किया। उन्होंने मॉनिटर पर बैठकर परफॉर्मेंस देखने की जगह खुद सेट पर जाकर एक्टर्स की परफॉर्मेंस को लाइव देखना शुरू कर दिया। उनका मानना था कि कैमरा के जरिए जो चीजें दिखती हैं, वे वास्तविकता से अलग हो सकती हैं। सेट पर जाकर देखने से वे बेहतर ढंग से समझ पाते थे कि कौन-सा सीन कैसा लग रहा है।
उन्होंने कहा, “कभी-कभी, कैमरा की नज़र से चीजें वैसी नहीं दिखतीं जैसी असल में होती हैं। जब मैंने लाइव देखा, तो करिश्मा की परफॉर्मेंस बिल्कुल परफेक्ट थी। मुझे समझ आया कि मॉनिटर पर देखने से कलाकार के भावनाओं की गहराई पूरी तरह महसूस नहीं की जा सकती।”
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सूरज बड़जात्या के अनुभव से फिल्म इंडस्ट्री को मिली नई सीख
सूरज बड़जात्या का यह अनुभव सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरी फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक बड़ी सीख थी। आज भी कई डायरेक्टर्स मॉनिटर पर बैठकर शॉट्स को जज करते हैं, लेकिन यह घटना बताती है कि असली परफॉर्मेंस को महसूस करने के लिए सेट पर मौजूद रहना कितना जरूरी है।
करिश्मा कपूर की परफॉर्मेंस से बदला सूरज बड़जात्या का नजरिया
सूरज बड़जात्या का यह खुलासा फिल्मी दुनिया में एक दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी के रूप में देखा जा सकता है। करिश्मा कपूर की शानदार परफॉर्मेंस ने उन्हें यह एहसास दिलाया कि कलाकारों की मेहनत और डेडिकेशन को मॉनिटर की बजाय लाइव देखना अधिक महत्वपूर्ण होता है। इस घटना के बाद उन्होंने अपनी पूरी डायरेक्टिंग प्रक्रिया बदल दी और मॉनिटर पर देखने की बजाय खुद सेट पर जाकर हर शॉट को महसूस करने लगे।
‘हम साथ साथ हैं’ आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे यादगार फिल्मों में से एक मानी जाती है और इसका यह अनसुना किस्सा इसे और भी खास बना देता है।