ELECTORAL BOND: सीबीआई जांच की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणी

ELECTORAL BOND: दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई की जिसमें चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को

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ELECTORAL BOND: दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई की जिसमें चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दिए गए दानों में कथित भ्रष्टाचार की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा अदालत की निगरानी में जांच कराने की मांग की गई थी। यह याचिका सुदीप नारायण तमणकर बनाम केंद्रीय जांच ब्यूरो और अन्य के मामले में दायर की गई थी।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से पेश की गई दलीलों को अस्वीकार करते हुए इसे “भ्रमात्मक” और “मछली पकड़ने की जांच” करार दिया।

ELECTORAL BOND: न्यायालय की टिप्पणी

अदालत ने याचिकाकर्ता के अनुरोध को खारिज करते हुए कहा कि याचिका में कोई ठोस सामग्री प्रस्तुत नहीं की गई है। पीठ ने कहा, “यह पूरी तरह से भटकावपूर्ण और मछली पकड़ने वाली जांच है। यहां कोई सामग्री नहीं है।” न्यायालय ने सीबीआई को निर्देश देने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को भी खारिज कर दिया और सीबीआई से इस मामले में निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगने का अनुरोध स्वीकार किया।

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अदालत ने स्पष्ट किया कि वह सीबीआई को किसी हलफनामे के माध्यम से जवाब दाखिल करने के लिए मजबूर नहीं करेगी।

न्यायालय ने आगे टिप्पणी करते हुए कहा, “आपने सभी दानदाताओं को केवल उनके आयकर मामलों से जोड़ा है। यह कहां से आ रहा है? हम उनसे हलफनामा दाखिल करने के लिए नहीं कहने जा रहे हैं। हमें तो यह भी नहीं लगता कि यह एक वास्तविक याचिका है।”

ELECTORAL BOND: याचिकाकर्ता का दावा

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चुनावी बॉन्ड योजना के तहत राजनीतिक दलों को दिए गए दानों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के स्पष्ट संकेत हैं। याचिका में यह भी दावा किया गया कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर इस योजना में अनियमितताओं की संभावना है, जिसमें कंपनियों द्वारा चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सत्तारूढ़ दलों को भारी मात्रा में योगदान दिया गया।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि इन दानों की गहन जांच से राजनीतिक दलों, निगमों और सरकारी अधिकारियों के बीच संभावित भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का खुलासा हो सकता है।

याचिका में यह भी कहा गया कि कई दानदाता कंपनियां ऐसी थीं जो पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या आयकर विभाग (आईटी) की जांच के अधीन थीं। इन कंपनियों ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सत्तारूढ़ दलों को योगदान दिया, जिससे नियामक जांच की आवश्यकता और अधिक बढ़ गई।

ELECTORAL BOND: सुप्रीम कोर्ट का संदर्भ

याचिकाकर्ता ने यह भी उल्लेख किया कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पहले चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह छूट दी थी कि अगर सीबीआई जांच से इनकार करती है या क्लोजर रिपोर्ट दायर करती है, तो याचिकाकर्ता उचित मंच पर याचिका दायर कर सकता है।

इस पृष्ठभूमि में, याचिकाकर्ता ने अप्रैल 2024 में सीबीआई के समक्ष शिकायत दर्ज की थी। शिकायत में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कंपनियों द्वारा दिए गए दानों में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के पहलुओं की जांच की मांग की गई थी। लेकिन याचिकाकर्ता का कहना है कि सीबीआई ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

सीबीआई की ओर से पेश वकील ने याचिका की स्वीकार्यता पर प्रारंभिक आपत्ति जताई। उन्होंने अदालत से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा। अदालत ने सीबीआई को निर्देश लेने की अनुमति दी, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि वह इस मामले में कोई नोटिस जारी नहीं करेगी।

इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी 2024 को निर्धारित की गई है। अदालत ने इस बीच सीबीआई को अपने निर्देश प्राप्त करने के लिए समय दिया है।

ELECTORAL BOND: चुनावी बॉन्ड योजना पर विवाद

चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत 2018 में की गई थी, ताकि राजनीतिक दलों को पारदर्शी तरीके से दान प्राप्त हो सके। हालांकि, आलोचकों का दावा है कि इस योजना ने दानदाताओं और राजनीतिक दलों के बीच लेन-देन को और अधिक गोपनीय बना दिया है।

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इस योजना के तहत, कोई भी व्यक्ति या कंपनी बैंक से चुनावी बॉन्ड खरीदकर इसे अपने पसंदीदा राजनीतिक दल को दान कर सकता है। हालांकि, दानदाता की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाती। आलोचकों का कहना है कि इस गोपनीयता ने भ्रष्टाचार और अवैध फंडिंग की संभावनाओं को बढ़ावा दिया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस याचिका पर गंभीरता से विचार करने से इनकार करते हुए इसे “भटकावपूर्ण” करार दिया। अदालत ने याचिकाकर्ता की दलीलों को कमजोर पाया और कहा कि यह याचिका प्रथम दृष्टया एक वास्तविक मामला नहीं लगती।

हालांकि, सीबीआई को मामले में निर्देश प्राप्त करने का समय दिया गया है, और अगली सुनवाई 8 जनवरी 2024 को होगी। इस मामले का अंतिम परिणाम चुनावी बॉन्ड योजना की पारदर्शिता और वैधता पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।

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JUDGES ON LEAVE
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DIGITAL INDIA की सुविधा: अब नहीं होगी RC गुम होने की टेंशन, जानिए आसान डिजिटल तरीका 2025 !

DIGITAL INDIA: अगर आपकी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) खो गई है या आप उसे साथ

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DIGITAL INDIA: अगर आपकी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) खो गई है या आप उसे साथ ले जाना भूल गए हैं, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

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अब भारत सरकार की ओर से लॉन्च किए गए DigiLocker और mParivahan जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की मदद से आप अपनी RC को मोबाइल फोन से ही डाउनलोड कर सकते हैं। यह डिजिटल डॉक्यूमेंट कानूनी रूप से मान्य होता है और ट्रैफिक पुलिस या किसी भी सरकारी जांच एजेंसी द्वारा इसे स्वीकार किया जाता है।

क्या है RC और क्यों है जरूरी?

DIGITAL INDIA: RC यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट वह दस्तावेज है, जो यह प्रमाणित करता है कि वाहन कानूनी रूप से रजिस्टर्ड है और किस व्यक्ति के नाम पर है। जब आप कोई नई गाड़ी खरीदते हैं, चाहे वह दोपहिया हो या चारपहिया, तो RTO द्वारा जारी की गई RC आपके नाम पर दी जाती है। इसमें वाहन की रजिस्ट्रेशन संख्या, इंजन नंबर, चेसिस नंबर और मालिक की जानकारी जैसे विवरण होते हैं।

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RC की जरूरत तब पड़ती है जब:

  • आप ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोके जाते हैं
  • गाड़ी बेचनी हो
  • इंश्योरेंस क्लेम करना हो
  • वाहन के लोन या ट्रांसफर की प्रक्रिया करनी हो
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RC खो गई? ऐसे करें ऑनलाइन डाउनलोड

DIGITAL INDIA अगर आपकी RC गुम हो गई है तो आप उसे घर बैठे ही दो तरीके से डाउनलोड कर सकते हैं — पहला Vahan Portal के जरिए और दूसरा DigiLocker App के जरिए।

1. Vahan Portal से RC डाउनलोड करने की प्रक्रिया:
  1. सबसे पहले Vahan Parivahan वेबसाइट पर जाएं।
  2. “Online Services” टैब पर क्लिक करें और “Vehicle Related Services” को चुनें।
  3. अब अपने राज्य का चयन करें।
  4. अगली स्क्रीन पर आपसे रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और OTP मांगा जाएगा, उसे दर्ज करें।
  5. लॉग इन करने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर डालना होगा।
  6. इसके बाद ‘Download Document’ या ‘RC Print’ जैसा विकल्प चुनें।
  7. कुछ ही सेकंड में आपकी डिजिटल RC स्क्रीन पर दिखाई दे जाएगी, जिसे आप डाउनलोड या प्रिंट कर सकते हैं।
2. DigiLocker से RC डाउनलोड करने का तरीका:
  1. DigiLocker ऐप या वेबसाइट पर जाएं।
  2. अपने आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर से लॉगिन करें।
  3. ‘Issued Documents’ सेक्शन में जाएं और ‘Ministry of Road Transport and Highways’ को सिलेक्ट करें।
  4. अब ‘Registration Certificate’ पर क्लिक करें।
  5. अपने वाहन की डिटेल्स (जैसे रजिस्ट्रेशन नंबर) भरें।
  6. ध्यान रखें कि आधार पर जो नाम है, वही RC पर भी होना चाहिए, तभी डॉक्यूमेंट लिंक हो पाएगा।
  7. डॉक्यूमेंट आपके अकाउंट में सेव हो जाएगा, जिसे आप कभी भी देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर प्रेजेंट कर सकते हैं।

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क्या डिजिटल RC मान्य है?

जी हां, भारत सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया है कि DigiLocker या mParivahan से डाउनलोड की गई डिजिटल आरसी पूरी तरह से वैध है। आप चाहे किसी भी राज्य में हों, यह डॉक्यूमेंट सभी सरकारी अधिकारियों और ट्रैफिक पुलिस द्वारा स्वीकार किया जाएगा। फिजिकल कॉपी साथ न होने की स्थिति में डिजिटल डॉक्यूमेंट दिखाना पर्याप्त है।

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DIGITAL INDIA अब ऑनलाइन पाए मिनटों में समाधान

DIGITAL INDIA की पहल के तहत अब वाहन संबंधित दस्तावेजों को ऑनलाइन एक्सेस करना बेहद आसान हो गया है। RC जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज को गुम हो जाने पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। बस अपने मोबाइल से कुछ स्टेप्स फॉलो करें और कुछ ही मिनटों में कानूनी रूप से मान्य RC प्राप्त करें। यह सुविधा ना केवल समय बचाती है, बल्कि आपको कागजी दस्तावेजों को साथ रखने की झंझट से भी छुटकारा देती है।