दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) को लंबित विवादों के समाधान में तेजी लाने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं। जस्टिस धर्मेश शर्मा की बेंच ने DDA के पैनल में शामिल हर वकील को दिल्ली हाईकोर्ट में कम से कम दस मामलों की पहचान कर उनके प्रमुख मुद्दों के समाधान पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है। मुख्य मुद्दों में संपत्तियों का म्यूटेशन और सीमांकन, लीजहोल्ड से फ्रीहोल्ड में रूपांतरण, फ्लैटों का आवंटन और स्वीकृत योजनाओं से अलग या अनधिकृत निर्माण से जुड़े मामले शामिल हैं।
इसके अलावा, कोर्ट ने DDA के उपाध्यक्ष को एक समीक्षा समिति गठित करने का निर्देश दिया है, जो इस प्रक्रिया की निगरानी करेगी। यह समिति DDA के पैनल वकीलों से सीलबंद कवर में प्राप्त सुझावों की समीक्षा करेगी। समिति विभिन्न विभागों के अधिकारियों से इनपुट लेकर, इन विवादों को लोक अदालतों या दिल्ली हाईकोर्ट के मध्यस्थता और सुलह केंद्र के माध्यम से समाधान करने का प्रयास करेगी।
दिल्ली हाईकोर्ट ने DDA को विवाद निपटारे की प्रक्रिया में तेजी लाने के आदेश दिए
दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के खिलाफ दायर अवमानना मामले में कड़ी समयसीमा तय की है। कोर्ट ने आदेश में कहा, “अवमानना कार्यवाही के तहत सजा के रूप में, अवमाननाकर्ता को 4 सितंबर 2024 तक समीक्षा समिति गठित करने का निर्देश दिया जाता है। समिति 7 सितंबर 2024 तक पैनल वकीलों से इनपुट प्राप्त करेगी और 9 सितंबर 2024 से रोज़ाना कम से कम एक घंटे की बैठकें करेगी।”
समिति 12 सितंबर 2024 तक दिल्ली हाईकोर्ट लीगल सर्विसेज कमेटी के सचिव को मामलेवार प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी ताकि 14 सितंबर 2024 को होने वाली आगामी लोक अदालत में इन्हें उठाया जा सके। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि लोक अदालत में विवादों का समाधान संभव न हो, तो मामले दिल्ली हाईकोर्ट मध्यस्थता और सुलह केंद्र को भेजे जा सकते हैं। इसके अलावा, प्रत्येक महीने के अंत में एक बैलेंस शीट तैयार करने का निर्देश दिया गया है, ताकि रेफरल और निपटाए गए मामलों की समीक्षा की जा सके।
समीक्षा समिति को सख्त समयसीमा में विवाद समाधान की जिम्मेदारी सौंपा गया
यह निर्देश DDA के खिलाफ दायर अवमानना याचिका के संदर्भ में आया है। हालांकि कोर्ट ने DDA के अधिकारियों को अवमानना से मुक्त कर दिया है, लेकिन इसने DDA से जुड़े मामलों में देरी और अनावश्यक मुकदमों पर गंभीर चिंता व्यक्त की है, जिससे DDA देश के सबसे बड़े मुकदमेबाजों में से एक बन गया है।
याचिकाकर्ता: अधिवक्ता दिलीप सिंह और आर. कार्तिक
प्रतिवादी: वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद वर्मा, अधिवक्ता शोभना टकियार, स्मृति शर्मा और कुलजीत
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