Legal Complexities: संपत्ति के अंतरण में लीज और पारिवारिक समझौते के बीच जटिल संबंध होते हैं, जिनका कानूनी प्रभाव संपत्ति धारकों, किरायेदारों और उत्तराधिकारियों पर पड़ता है।
यदि एक व्यक्ति अपनी संपत्ति किसी अन्य को पट्टे (लीज) पर देता है और उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी संपत्ति में अधिकार प्राप्त करते हैं। ऐसी स्थिति में, यदि पारिवारिक सहमति से संपत्ति किसी एक उत्तराधिकारी को दी जाती है, तो इसे कानूनी रूप से मान्यता दी जा सकती है, बशर्ते कि सभी पक्ष इस पर सहमत हों।
Legal Complexities: संपत्ति का पारिवारिक समझौते के आधार पर हस्तांतरण
यदि किसी संपत्ति का स्वामी अपने जीवनकाल में उसे पट्टे पर देता है और उसकी मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी संपत्ति पर अधिकार प्राप्त करते हैं, तो वे पारिवारिक समझौते के माध्यम से संपत्ति का विभाजन कर सकते हैं। यदि सभी उत्तराधिकारी सहमत होते हैं, तो संपत्ति को किसी एक उत्तराधिकारी को हस्तांतरित किया जा सकता है। यदि बहनों ने अपने अधिकार का त्याग कर भाइयों को संपत्ति सौंप दी, तो इसे एक कानूनी हस्तांतरण माना जाएगा।
इस स्थिति में, यदि भाइयों में से एक विदेश में रहता है और उसने कोई आपत्ति नहीं जताई, तो यह समझौता मान्य होगा। यदि संपत्ति को आगे बेचा जाता है और नया स्वामी किरायेदारों को बेदखल करने का प्रयास करता है, तो यह मामला ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट, 1882 की धारा 109 के तहत आएगा।
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धारा 109 के तहत संपत्ति अंतरण के नियम
धारा 109 कहती है कि यदि संपत्ति को लीज के अधीन किसी व्यक्ति को हस्तांतरित किया जाता है, तो नया मालिक पूर्ववर्ती मालिक के अधिकारों और दायित्वों का उत्तराधिकारी बन जाता है। इस संदर्भ में:
- किरायेदार (Lessee) – वह व्यक्ति जो लीज के तहत संपत्ति में रहता है।
- मूल स्वामी (Lessor) – जिसने संपत्ति पट्टे पर दी।
- नया स्वामी (Transferee) – जिसे संपत्ति बेची गई।
यदि नया स्वामी किरायेदारों को बेदखल करने का प्रयास करता है, तो किरायेदार इस आधार पर विरोध कर सकते हैं कि उन्हें लीज समाप्त होने तक संपत्ति में रहने का अधिकार है।
न्यायालय द्वारा संपत्ति अंतरण का निर्णय
अदालत ने इस मामले में निर्णय दिया कि:
- बहनों ने अपने अधिकारों का त्याग कर संपत्ति भाइयों को सौंप दी थी।
- भाइयों ने पारिवारिक समझौते के तहत संपत्ति विक्रेता को हस्तांतरित कर दी।
- विदेश में रहने वाले भाई ने इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
- संपत्ति का नया स्वामी लीज धारकों को कानूनी रूप से निष्कासित कर सकता है।
किरायेदारों के अधिकार और दायित्व
किरायेदारों के संबंध में धारा 109 यह कहती है कि:
- यदि किरायेदार को संपत्ति हस्तांतरण की सूचना नहीं दी गई, तो वह पुराने स्वामी को किराया चुका सकता है।
- नया स्वामी, किरायेदारों से केवल उसी दिनांक से किराया मांग सकता है जिस दिन से वह संपत्ति का मालिक बना है।
- यदि किरायेदार ने पहले ही किराया पुराने स्वामी को चुका दिया, तो उसे पुनः नया स्वामी को भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी।
न्यायालय के अनुसार किरायेदारों की स्थिति
अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि किसी किरायेदार को अंतरण की सूचना मिल जाती है, तो उसे नए स्वामी को किराया चुकाना होगा। यदि लीज की अवधि समाप्त हो चुकी है, तो नया स्वामी किरायेदारों को निष्कासित कर सकता है। लेकिन यदि किरायेदारों ने लीज की अवधि के दौरान किराया नियमित रूप से चुकाया है, तो नया स्वामी उन्हें बेदखल करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता।
संपत्ति क्रय करने वाले के अधिकार
यदि कोई व्यक्ति संपत्ति खरीदता है, तो उसके पास निम्नलिखित अधिकार होते हैं:
- संपत्ति के पूरे स्वामित्व का अधिकार।
- संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार।
- किरायेदारों से किराया प्राप्त करने का अधिकार।
लेकिन यदि संपत्ति पहले से ही लीज पर दी गई है, तो नया स्वामी पट्टे की शर्तों के अनुसार बाध्य होगा। यदि किरायेदार ने लीज के दौरान किराया चुकाया है, तो नया स्वामी उन्हें अवैध रूप से बेदखल नहीं कर सकता।
कानूनी मिसालें
विभिन्न न्यायिक मामलों में यह देखा गया है कि:
- यदि संपत्ति का हस्तांतरण पारिवारिक समझौते के तहत होता है, तो वह मान्य होता है।
- यदि लीज के अंतर्गत संपत्ति दी गई है, तो नया स्वामी पट्टे की शर्तों से बाध्य होगा।
- यदि लीजधारी को अंतरण की सूचना नहीं दी गई, तो वह पुराने स्वामी को किराया चुका सकता है और नए स्वामी को दोबारा भुगतान करने से मुक्त रहेगा।
- यदि संपत्ति क्रय करने के बाद नया स्वामी किरायेदारों को निष्कासित करता है, तो उसे कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा।
लीजधारी के अधिकार और उनकी कानूनी सुरक्षा
संपत्ति के हस्तांतरण में पारिवारिक समझौते और लीजधारी के अधिकार महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धारा 109 के तहत संपत्ति अंतरण के बाद नया स्वामी, पुराने स्वामी के अधिकारों का उत्तराधिकारी बन जाता है। लेकिन यदि संपत्ति लीज पर दी गई है, तो किरायेदारों को कानूनी रूप से संरक्षित किया जाता है। न्यायालय द्वारा लिए गए निर्णयों से स्पष्ट होता है कि संपत्ति अंतरण में सभी पक्षों को अपने अधिकारों और दायित्वों को समझकर निर्णय लेना चाहिए।
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