नई दिल्ली। Sachin Pilot का केंद्र सरकार पर हमला देश में जनगणना को लेकर एक बार फिर सियासी तापमान बढ़ गया है।
इस बार Congress Party ने केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए जनगणना अधिसूचना में जातिवार जनगणना का उल्लेख न होने को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इस अहम सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे से कन्नी काट रही है, और इससे एक बार फिर महिला आरक्षण विधेयक जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है – जिसे संसद से तो पारित किया गया, लेकिन आज तक लागू नहीं हुआ।
574 करोड़ के बजट से नहीं होगी जातिवार गणना
कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाने के लिए अपने वरिष्ठ नेता और ओबीसी समुदाय के प्रतिनिधि Sachin Pilot को आगे किया, जिन्होंने मंगलवार को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय इंदिरा भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला।
Sachin Pilot ने कहा कि 2020 में जनगणना की तैयारियां पूरी हो चुकी थीं और तकनीकी रूप से यह पूरी प्रक्रिया अंतिम चरण में थी। इसके बावजूद 2021 में कोरोना के बाद सरकार ने चुनाव, सर्वेक्षण और अन्य बड़े आयोजन कर लिए, लेकिन जनगणना को आगे नहीं बढ़ाया गया। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर जनगणना में छह साल की देरी क्यों की गई?
Sachin Pilot ने केंद्र पर आरोप लगाया कि जनगणना के लिए जरूरी 10,000 करोड़ रुपये की तुलना में इस साल केवल 574 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिससे स्पष्ट है कि सरकार इसे प्राथमिकता देने के मूड में नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार वास्तव में गंभीर है तो उसे तेलंगाना मॉडल को अपनाना चाहिए, जिसमें जातिवार गणना के लिए व्यापक परामर्श और समाज के विभिन्न वर्गों की भागीदारी के साथ प्रश्नावली तैयार की गई थी।
जातिगत जनगणना को लेकर केंद्र कि चुप्पी पर काँग्रेस का हमला
Sachin Pilot ने केंद्र सरकार पर केवल “सियासी विमर्श को मैनेज” करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि सरकार देश के जनमत को भांप कर दबाव में तो जातिवार जनगणना को सैद्धांतिक मंजूरी देती है, लेकिन जब अधिसूचना आती है तो उसमें इसका कोई जिक्र नहीं होता। उन्होंने इसे जानबूझकर पैदा किया गया “भ्रम और असंतोष” बताया।
पायलट ने यह भी आशंका जताई कि सरकार जातिवार जनगणना को भाजपा शासित राज्यों को फायदा पहुंचाने वाले नए परिसीमन को ध्यान में रखकर 2027 में कराना चाहती है। उन्होंने कहा कि Congress Party शुरू से जातिवार जनगणना की मांग करती रही है और राहुल गांधी ने इस पर लगातार आवाज उठाई है, लेकिन भाजपा ने इसे शहरी नक्सलवाद करार देकर विरोध किया था।
Congress Party के नेता ने मांग की कि केंद्र सरकार को तत्काल पारदर्शिता के साथ जातिवार जनगणना की स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और इस संबंध में एक स्पष्ट रोडमैप सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह केवल आंकड़ों की बात नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय और समावेशिता की दिशा में एक बड़ा कदम है।
पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द इस मुद्दे पर स्थिति स्पष्ट नहीं की, तो यह मामला आने वाले चुनावों में बड़ा मुद्दा बन सकता है। साथ ही, जातिवार जनगणना को टालना ओबीसी समुदाय और देश के अन्य पिछड़े वर्गों के साथ धोखा माना जाएगा।
Congress Party की ओर से उठाए गए इन सवालों और आरोपों ने केंद्र सरकार को एक बार फिर बैकफुट पर ला दिया है। जहां एक ओर भाजपा सरकार इस मुद्दे पर फिलहाल चुप्पी साधे हुए है, वहीं विपक्ष इसे सामाजिक न्याय के बड़े मुद्दे के रूप में भुनाने की तैयारी में है। आने वाले दिनों में यह विवाद और भी तेज़ हो सकता है, और जातिवार जनगणना राष्ट्रीय राजनीति का एक केंद्रीय मुद्दा बन सकती है।