‘रावण के वंशज’ आरोप: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के लिए चुनावी माहौल गरमाया हुआ है, और इस बार राजनीति में रामायण पर आधारित बयानों ने जोर पकड़ा है।
आम आदमी पार्टी (AAP) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल द्वारा रामायण से जुड़ी टिप्पणी करने के बाद भाजपा ने तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त की है। केजरीवाल ने एक जनसभा में कहा था कि रामायण के सीता हरण की घटना में रावण ने स्वर्ण हिरण का रूप धारण किया था, जो भाजपा नेताओं को बेहद आपत्तिजनक लगा। भाजपा ने इसे सनातन धर्म और रामायण का अपमान बताते हुए इसका विरोध किया और इसके खिलाफ उपवास रखने का ऐलान किया।
‘रावण के वंशज’ आरोप: AAP ने BJP को राक्षसों का वंशज बताते हुए पलटवार किया
इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए AAP के नेताओं ने भाजपा पर पलटवार किया। AAP नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भाजपा नेताओं को राक्षसों का वंशज बताते हुए कहा कि भाजपा नेता रावण के अपमान पर उपवास करने की बात कर रहे हैं, जबकि वे रावण के वंशज हैं। उनका कहना था कि भाजपा नेता अपने कुलदेवता रावण के अपमान पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जबकि रावण उनका आदर्श है। संजय सिंह ने दिल्ली की जनता से अपील की कि वे इन नेताओं से सावधान रहें, क्योंकि ये लोग राक्षसों की तरह समाज का भक्षण करने वाले हैं।
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संजय सिंह ने आगे कहा, “बीजेपी का नारा अब बन चुका है ‘रावण है आदर्श हमारा’। वे रावण के कुल देवता को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, इससे साफ है कि ये लोग रावण के वंशज हैं।” यह बयान चुनावी माहौल में और भी तूल पकड़ गया, और AAP के नेताओं ने भाजपा के नेताओं के इस रवैये को उनकी घटिया राजनीति का हिस्सा बताया।
AAP नेता मनीष सिसोदिया ने बीजेपी के चुनावी एजेंडे को लेकर जताई चिंता
वहीं, मनीष सिसोदिया ने भी इस पर सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने ट्वीट किया, “कल केजरीवाल जी ने रावण से जुड़ी एक टिप्पणी की, और पूरी भाजपा तुरंत रावण के बचाव में कूद पड़ी, जैसे वे खुद रावण के वंशज हों। इनकी राजनीति इतनी नीचे गिर चुकी है कि अब यह रावण जैसे प्रतीक का सहारा लेकर अपनी झूठी बयानबाजी को सही ठहराने में जुट गए हैं।” सिसोदिया ने दिल्ली की जनता से अपील की कि वे इन नेताओं की असली मंशा को पहचानें और सतर्क रहें। उनका कहना था कि भाजपा का असली एजेंडा सिर्फ सत्ता हासिल करना है, और वे गरीबों, मजदूरों, और झुग्गीवासियों के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकते हैं।
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सिसोदिया ने इस बारे में आगे कहा, “ये चुनाव के बाद गरीबों और झुग्गीवासियों को परेशान करने की साजिश रच रहे हैं। इनसे सावधान रहना जरूरी है, क्योंकि इनका असली लक्ष्य सिर्फ और सिर्फ सत्ता में आना है। ये झूठे नाटकों के सहारे अपनी राजनीतिक चालें चल रहे हैं।” उनके इस बयान ने भाजपा के खिलाफ कड़ा आक्रोश व्यक्त किया, और यह चुनावी माहौल को और भी गर्म कर दिया।
कल केजरीवाल जी ने एक जनसभा में रावण से जुड़ी एक टिप्पणी की, और पूरी बीजेपी तुरंत रावण के बचाव में कूद पड़ी, जैसे वे खुद रावण के वंशज हों।
— Manish Sisodia (@msisodia) January 21, 2025
इनकी राजनीति इतनी नीचे गिर चुकी है कि अब यह रावण जैसे प्रतीक का सहारा लेकर अपनी झूठी बयानबाजी को सही ठहराने में जुट गए हैं। मैं दिल्ली की…
सचदेवा का बयान: सनातन धर्म का पालन करते हुए पाप का प्रायश्चित करना जरूरी
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने इस पूरे विवाद पर कहा कि वे उपवास करेंगे, ताकि अरविंद केजरीवाल के बयान की कोई छाप ना पड़े। उन्होंने कहा कि “अगर आप सनातन धर्म का पालन करते हैं, तो आपको पाप का प्रायश्चित करना होता है, और इसके लिए हमें कष्ट उठाना पड़ता है। हम हिंदू धर्म के लिए, दिल्ली के लोगों के लिए उपवास कर रहे हैं, ताकि उस अधर्मी (केजरीवाल) के बयान का कोई असर ना हो।” उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल ने रामायण की गलत व्याख्या की है, और इसे ठीक करने के लिए यह कदम उठाया गया है।
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यह विवाद इस बात का उदाहरण बन गया है कि कैसे धार्मिक प्रतीकों और ग्रंथों को चुनावी राजनीति में इस्तेमाल किया जाता है। रामायण जैसी धार्मिक कृतियों का राजनीतिकरण करने से न केवल धार्मिक भावनाएं प्रभावित होती हैं, बल्कि यह मतदाता वर्ग में विभाजन भी उत्पन्न कर सकता है। दोनों ही पक्षों ने अपनी-अपनी बात को जनता के सामने रखने के लिए राक्षस और देवता की उपमाएं दी हैं, जिससे विवाद और भी बढ़ गया है।
जिस प्रकार से रामायण की गलत व्याख्या और हमारे धर्म का अपमान करने की कोशिश अरविंद केजरीवाल द्वारा की गई ये पहली बार नहीं है। ये अधर्मी लोग हैं… कल इन्होंने कहा है कि राक्षस सोने का हिरण बन कर आया था ये अभी तक शीशमहल के गोल्ड प्लेटेड सोने से बाहर नहीं आए हैं… आज हम यहां क्षमा… pic.twitter.com/orZz8nIznS
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) January 21, 2025
रामायण टिप्पणी पर चुनावी विवाद: भाजपा और AAP ने स्पष्ट की अपनी स्थिति
इस विवाद ने यह भी दिखाया कि दिल्ली में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में धर्म और धार्मिक प्रतीकों को लेकर राजनीति का स्तर और भी निचला जा सकता है। इस मामले में भाजपा और AAP दोनों ही अपने-अपने दृष्टिकोण और विचारधाराओं के अनुसार अपनी-अपनी स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं। जहां भाजपा के नेता इसे सनातन धर्म का अपमान मानते हैं, वहीं AAP के नेता इसे भाजपा की घटिया राजनीति बताते हैं।
यह चुनावी विवाद रामायण पर आधारित टिप्पणी के कारण न केवल धार्मिक मुद्दे को उठाता है, बल्कि यह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और आरोपों का एक तंत्र भी बनता जा रहा है। भाजपा और AAP दोनों ही दल अपने समर्थकों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी पार्टी ही सही है और दूसरे पक्ष की आलोचना करना उनकी जिम्मेदारी बनती है।
आखिरकार, इस विवाद ने चुनावी राजनीति को और भी तंग बना दिया है, जहां मतदाताओं को इस प्रकार के बयानबाजी से परे जाकर अपने मतदान निर्णय लेने की आवश्यकता है।