KARNATAKA HC: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को बेंगलुरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में निकिता सिंघानिया द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि प्रथम दृष्टया एफआईआर में आत्महत्या के लिए उकसाने के सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं।
KARNATAKA HC: न्यायालय की टिप्पणी
न्यायमूर्ति एसआर कृष्ण कुमार की पीठ ने कहा, “शिकायत और एफआईआर में पर्याप्त तथ्य और सामग्री दी गई है, जो कि अपराध का स्पष्ट संकेत देती हैं। इसे खारिज करने का कोई आधार नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 306 और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत अपराध के लिए आवश्यक सभी तत्व रिकॉर्ड पर हैं।
पीठ ने आगे टिप्पणी की, “एफआईआर में अपराध के बारे में सभी जानकारी दी गई है। इसमें आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध की सामग्री स्पष्ट रूप से दर्ज है। इस मामले में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।”
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निकिता सिंघानिया के वकील ने याचिका में तर्क दिया कि एफआईआर में अपराध का कोई विशेष विवरण नहीं है और इसे रद्द किया जाना चाहिए। हालाँकि, न्यायालय ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि एफआईआर और शिकायत में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिसमें आरोपों की गंभीरता और आत्महत्या के लिए उकसाने के पर्याप्त तथ्य शामिल हैं।
KARNATAKA HC: घटनाक्रम
34 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने हाल ही में बेंगलुरु में आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने अपने सुसाइड नोट और वीडियो में अपनी पत्नी निकिता सिंघानिया और उनके परिवार पर उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।
सुसाइड नोट में उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी और उसके परिवार ने उनके खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए, जिसके कारण वे मानसिक तनाव में थे। उन्होंने वीडियो में बताया कि उत्तर प्रदेश के जौनपुर की एक पारिवारिक अदालत में तलाक, गुजारा भत्ता और बच्चे की कस्टडी से संबंधित विवाद के चलते उन्हें लगातार परेशान किया गया।
अतुल की आत्महत्या के बाद, निकिता और उनके परिवार के तीन अन्य सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और धारा 108 के तहत मामला दर्ज किया गया।
इसके बाद, बेंगलुरु पुलिस ने निकिता, उनकी माँ और भाई को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
KARNATAKA HC: उच्च न्यायालय में याचिका
निकिता सिंघानिया ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर एफआईआर को रद्द करने की मांग की। उन्होंने तर्क दिया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित और मनगढ़ंत हैं।
हालाँकि, न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया और टिप्पणी की कि इस मामले में प्रथम दृष्टया पर्याप्त सामग्री मौजूद है।
न्यायालय ने अभियोजन पक्ष को अब तक की गई जांच और एकत्रित सामग्री का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
निकिता सिंघानिया को इस मामले में 4 जनवरी को एक निचली अदालत से अंतरिम जमानत मिल गई थी।
इस मामले ने सोशल मीडिया और समाज में एक नई बहस को जन्म दिया। अतुल सुभाष के वीडियो और सुसाइड नोट ने कई सवाल खड़े किए, जिनमें वैवाहिक विवादों के कारण उत्पन्न तनाव और मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।
KARNATAKA HC: न्यायालय की भविष्य की कार्रवाई
न्यायालय ने इस मामले को स्थगित करते हुए कहा कि जांच की गई सामग्री के आधार पर यदि कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है, तो इसे रद्द किया जा सकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया कि अभियोजन पक्ष और पुलिस इस मामले में उचित और निष्पक्ष तरीके से कार्रवाई करें।