KERALA HC: केरल हाईकोर्ट ने RSS कार्यकर्ता श्रीनिवासन हत्या मामले में सात आरोपियों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया। यह मामला राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA) द्वारा जांचा जा रहा है, जिसमें आरोप है कि पीएफआई (Popular Front of India) के सदस्य “भारत 2047” के एजेंडे के तहत एक बड़ी आतंकवादी साजिश में शामिल थे।
हाईकोर्ट ने विशेष अदालत द्वारा जमानत याचिकाओं को खारिज किए जाने के फैसले को सही ठहराया और अभियोजन पक्ष के आरोपों को प्रमाणित किया।
KERALA HC: मामला और आरोप
यह मामला श्रीनिवासन की हत्या से जुड़ा हुआ है, जिसे कथित तौर पर पीएफआई के कुछ सदस्यों द्वारा आतंकवादी उद्देश्यों के तहत हत्या कर दी गई थी। NIA ने आरोपियों पर आरोप लगाया कि वे एक बड़ा आतंकवादी नेटवर्क चला रहे थे और उन्होंने हत्या के जरिए राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश की थी। इस मामले में 51 लोगों को आरोपित किया गया है, जिनमें प्रमुख आरोपियों में आरोपी संख्या 47, 48, 49, और 55 शामिल हैं।
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आरोपी संख्या 31, 35, 36, 47, 48, 49 और 55 ने अपनी जमानत याचिकाओं के खारिज होने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। इन आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य मिलने पर विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं। अब, हाईकोर्ट ने भी इन याचिकाओं को खारिज करते हुए अभियोजन पक्ष के आरोपों को प्राइमाफेसी सही ठहराया।
KERALA HC: कोर्ट का अवलोकन
न्यायमूर्ति A.K. जयसांकरण नांबियार और न्यायमूर्ति K.V. जयकुमार की खंडपीठ ने कहा, “अभियोजन पक्ष ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों को प्राइमाफेसी सही साबित किया है।” अदालत ने रिकॉर्ड्स की समीक्षा के बाद पाया कि आरोपी संख्या 47 ने हमलावरों के लिए मोटरसाइकिल की व्यवस्था की थी, जिसका इस्तेमाल हमलावरों ने हत्या के लिए की योजना बनाने और हत्या करने के लिए किया था।
अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि आरोपी 48 और 49 ने एक और मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया था, और रात में उन्होंने हत्या के लिए रैकी की थी। इसके अलावा, आरोपी 44 द्वारा छिपाई गई मोबाइल फोन को आरोपी 48 के बयान पर बरामद किया गया था।
कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि आरोपी संख्या 55 अन्य पीएफआई नेताओं के साथ मिलकर श्रीनिवासन की हत्या की साजिश में शामिल था। हाईकोर्ट ने पाया कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त प्रमाण हैं जो उनके खिलाफ दायर आरोपों को साबित करते हैं, और इसलिए उन्हें जमानत देने का कोई आधार नहीं था।
KERALA HC: साक्ष्य और निष्कर्ष
हाईकोर्ट ने विशेष रूप से उन साक्ष्यों का हवाला दिया, जो अभियोजन पक्ष ने पेश किए थे, जिसमें एक विवादास्पद प्रश्न पत्र भी शामिल था, जिसे अली के घर से जब्त किया गया था। इस प्रश्न पत्र से पहले हाथ काटने की घटना का संबंध था, जो इस नेटवर्क के आतंकवादी अभियानों को उजागर करता है।
इसके अलावा, आरोपी 55 ने आरोप लगाया था कि वह और अन्य पीएफआई नेता हत्या की साजिश रचने के लिए एक लॉज में एकत्रित हुए थे, जहां उन्होंने योजना बनाई थी। कोर्ट ने इन सभी आरोपों और साक्ष्यों को सही ठहराया और कहा कि आरोपी यूए (पी) अधिनियम की धारा 43D(5) के तहत जमानत के हकदार नहीं हैं।
KERALA HC: अंतिम निर्णय
केरल हाईकोर्ट ने इन सभी बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त प्रमाण हैं और वे आतंकवादी कृत्य में संलिप्त हैं, तब तक उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।
मामला: हनीफा और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य
संदर्भ: 2024:KER:87679
अधिवक्ता:
- याचिकाकर्ता: एडवोकेट E.A. हारिस, रंजीत बी. मारार, पी.पी. हारिस
- प्रतिवादी: सीनियर अधिवक्ता सास्थामंगलम एस अजीतकुमार, एडवोकेट श्रीनाथ शशिधरण
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