KERALA HIGH COURT: POCSO आरोपी को बिना छुपाई गई अभियोजन रिकॉर्ड की प्रतियां देने पर केरल हाईकोर्ट का फैसला

KERALA HIGH COURT: केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि POCSO (बाल यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012) के तहत

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KERALA HIGH COURT: केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि POCSO (बाल यौन अपराधों से संरक्षण अधिनियम, 2012) के तहत आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई के लिए अभियोजन रिकॉर्ड की बिना छुपाई गई प्रतियां दी जा सकती हैं। हालांकि, इस पर कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं ताकि पीड़ित की गोपनीयता का उल्लंघन न हो।

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अदालत ने स्पष्ट किया कि आरोपी और उसके वकील इस बात के लिए बाध्य हैं कि इन दस्तावेजों का उपयोग पीड़ित की पहचान उजागर करने या उसकी गोपनीयता भंग करने के उद्देश्य से नहीं किया जाए। उन्हें इस प्रकार के दस्तावेजों को प्रकाशित, प्रिंट या रिपोर्ट करने से बचना होगा, जिससे पीड़ित की निजता को किसी भी प्रकार की हानि पहुंच सकती है।

KERALA HIGH COURT: मामला और न्यायालय की सुनवाई

यह मामला उन क्रिमिनल मिक्स्ड केसों से संबंधित था जो POCSO अधिनियम के तहत केरल की एक विशेष अदालत में लंबित थे। याचिकाकर्ता ने एक आवेदन दाखिल किया था, जिसमें मांग की गई थी कि उसे बिना छुपाई गई चार्जशीट और अन्य अभियोजन रिकॉर्ड की प्रतियां दी जाएं ताकि वह अपना बचाव कर सके और मुकदमे का सामना कर सके। हालांकि, विशेष अदालत ने याचिकाकर्ता का यह आवेदन खारिज कर दिया था।

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याचिकाकर्ता ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की, जिसमें अभियोजन रिकॉर्ड की प्रतियां उपलब्ध कराने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति ए. बदरुद्दीन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।

KERALA HIGH COURT: न्यायालय का अवलोकन

अदालत ने कहा कि आरोपी का अपने मामले का बचाव करने और अपनी निर्दोषता साबित करने का अधिकार एक संवैधानिक अधिकार है। इसके लिए उसे अभियोजन पक्ष के रिकॉर्ड मिलना जरूरी है ताकि वह अभियोजन पक्ष के मामले में खामियों की पहचान कर सके और अपनी निर्दोषता साबित कर सके। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि अभियोजन के सभी दस्तावेज मुकदमे से पहले आरोपी को प्रदान किए जाने चाहिए, जिससे वह मुकदमे में सही तरीके से अपनी रक्षा कर सके।

आपराधिक प्रक्रिया संहिता (Cr.P.C.) के अनुसार, मजिस्ट्रेट और सत्र न्यायालय दोनों अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां देने के लिए अधिकृत हैं। Cr.P.C. की धारा 207 के तहत, मजिस्ट्रेट अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट और अन्य दस्तावेजों की प्रतियां उपलब्ध कराते हैं, जबकि सत्र न्यायालय Cr.P.C. की धारा 208 के तहत यह कार्य करते हैं।

अदालत ने कहा कि अभियोजन रिकॉर्ड को बिना छुपाए उपलब्ध कराना आवश्यक है, क्योंकि छुपाए गए बयान गवाहों के साथ विरोधाभास स्थापित करने में मुश्किल पैदा कर सकते हैं। यदि अभियोजन पक्ष के बयानों को छिपा दिया जाता है, तो आरोपी पक्ष के लिए गवाहों के बयानों का सही ढंग से सामना करना कठिन हो सकता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 145 और Cr.P.C. की धारा 162 के तहत, गवाहों को विरोधाभासी साबित करने के लिए बयान महत्वपूर्ण होते हैं। ऐसे में छुपाए गए बयान आरोपी की रक्षा में बाधा डाल सकते हैं।

KERALA HIGH COURT: डिजिटल सबूत और गोपनीयता

हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब डिजिटल सबूत, जैसे कि पेनड्राइव, मेमोरी कार्ड, सीडी, या डीवीडी में ऐसी सामग्री हो जो पीड़ित की गोपनीयता को नुकसान पहुंचा सकती है, तो ऐसे मामलों में आरोपी को उन सबूतों की प्रतियां नहीं दी जानी चाहिए। अदालत ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि यदि किसी डिजिटल माध्यम में पीड़ित की निजी बातचीत या विजुअल मौजूद हैं, तो उन सबूतों को आरोपी को नहीं दिया जा सकता।

अदालत ने गोपालकृष्णन @ दिलीप बनाम केरल राज्य [2019 (4) KLT 853] के मामले का उल्लेख किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि डिजिटल सबूत, जो पीड़ित की गोपनीयता का उल्लंघन कर सकते हैं, को अभियुक्त के साथ साझा नहीं किया जा सकता। इस फैसले के आलोक में, केरल हाईकोर्ट ने भी यही राय दी कि ऐसे सबूत आरोपी को नहीं दिए जाने चाहिए।

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अंत में, केरल हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और अभियोजन रिकॉर्ड की बिना छुपाई गई प्रतियां आरोपी को प्रदान करने की अनुमति दी। अदालत ने यह भी सुनिश्चित किया कि पीड़ित की गोपनीयता का हर हाल में सम्मान किया जाएगा, और अभियोजन रिकॉर्ड का दुरुपयोग न हो।

इस प्रकार, अदालत ने आरोपी के संवैधानिक अधिकार और पीड़ित की गोपनीयता के बीच संतुलन स्थापित किया। यह फैसला न केवल POCSO जैसे संवेदनशील मामलों में कानूनी प्रक्रिया को स्पष्ट करता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि अभियोजन और बचाव पक्ष दोनों को उचित अधिकार और सुरक्षा मिले।

मामला शीर्षक: शरुन बनाम राज्य केरल (न्यूट्रल सिटेशन: 2024:KER:76155)

KERALA HIGH COURT: प्रमुख बिंदु

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  1. केरल हाईकोर्ट ने कहा कि POCSO मामलों में आरोपी को बिना छुपाई गई अभियोजन रिकॉर्ड की प्रतियां दी जा सकती हैं।
  2. अभियोजन रिकॉर्ड की प्रतियां आरोपी को दी जानी चाहिए ताकि वह अपनी निर्दोषता साबित कर सके।
  3. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि डिजिटल सबूत, जो पीड़ित की गोपनीयता को नुकसान पहुंचा सकते हैं, आरोपी को नहीं दिए जाएंगे।
  4. आरोपी और उसके वकील यह सुनिश्चित करने के लिए बाध्य होंगे कि पीड़ित की गोपनीयता का उल्लंघन न हो।
  5. अदालत ने विशेष अदालत के आदेश को खारिज कर दिया और क्रिमिनल मिक्स्ड केसों को मंजूरी दी।
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Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और

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Gemini 3 Features ने AI की दुनिया में तहलका मचा दिया है। इसके उन्नत फीचर्स और नए एल्गोरिदम इंसानों के काम करने के तरीके को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

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GEMINI 3 FEATURES उन्नत reasoning और मल्टीमॉडल कौशल

Gemini 3, LMArena leaderboard में शीर्ष स्थान पर है, PhD-स्तर की reasoning क्षमता रखता है और विज्ञान, गणित जैसे विषयों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। वीडियो, इमेज और मल्टीमॉडल क्वेरी पर भी यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है, जो इसे व्यापक और बहु-आयामी प्रश्नों के लिए उपयुक्त बनाता है।

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Gemini 3 Deep Think मोड

यह नया मोड Gemini 3 की reasoning और समझ को और भी गहरा बनाता है, जिससे कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान संभव होता है। इसका प्रदर्शन AI परीक्षाओं में अप्रत्याशित रूप से बेहतर है, जो इसे विश्लेषण और योजना कार्यों में उपयोगी बनाता है।

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सीखना, बनाना, और योजना बनाना

Gemini 3 के साथ सीखना आसान है, चाहे वह परिवार की परंपरागत रेसिपी ट्रांसलेट करना हो या ऐडवांस रिसर्च पेपर का विश्लेषण। यह ब्लॉक्स, कोड और विजुअलाइजेशन के माध्यम से जटिल जानकारियों को समझाने और प्रदर्शित करने में सक्षम है।

डेवलपर्स के लिए नया अनुभव

Google ने Google Antigravity नामक एजेंटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिससे डेवलपर्स Gemini 3 के साथ अधिक स्वायत्त और कार्य-केंद्रित एप्लिकेशन बना सकते हैं। यह कोडिंग को नए स्तर पर ले जाता है और निरंतर स्व-पुष्टिकरण प्रदान करता है।

योजना और ऑटोमेशन में सुधार

Gemini 3 लंबे समय के लिए योजना बनाने और जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है। यह आपके ईमेल को व्यवस्थित कर सकता है, स्थानीय सेवाएं बुक कर सकता है, और दैनिक कार्यों में मदद करता है।

सुरक्षा और जिम्मेदारी

Google ने Gemini 3 को सबसे सुरक्षित AI मॉडल बनाया है। इसमें साइबर हमलों, गलत जानकारी, और हानिकारक प्रोत्साहनों से सुरक्षा के लिए व्यापक परीक्षण और सहयोग किया गया है।

Gemini 3 का भविष्य

Gemini 3 अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और जल्द ही इसके कई नए संस्करण और फीचर जारी होंगे। Google इसे Google एजेंसियों, डेवलपर्स, और एंटरप्राइज क्लाइंट्स तक पहुंचा रहा है।

Gemini 3 की उपलब्धता

Gemini 3 एप्लिकेशन, AI Studio, Vertex AI, Google Antigravity, और Gemini CLI के माध्यम से उपलब्ध है। कॉलैबोरेशन प्लेटफॉर्म्स जैसे GitHub, Replit में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

Gemini 3 पर Google की यह नई पहल AI के आयामों का विस्तार करती है और इसे हर क्षेत्र में व्यावहारिक, सुलभ और अधिक सक्षम बनाती है। इसका लक्ष्य AI को उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना है।

विषयविवरण
मॉडल का नामGemini 3
मुख्य विशेषताएंउन्नत reasoning, मल्टीमॉडल इनपुट, एजेंटिक कोडिंग
प्रमुख प्रदर्शन मानकLMArena leaderboard topper, PhD-level reasoning
नया मोडGemini 3 Deep Think
उपयोगकर्ता लाभबेहतर सीखना, निर्माण, योजना, और ऑटोमेशन
डेवलपर टूल्सGoogle Antigravity, AI Studio, Vertex AI
सुरक्षाव्यापक परीक्षण, सुरक्षा सुधार
उपलब्धताGemini app, AI Studio, Vertex AI, CLI, Dritt platforms
भविष्य की योजनानए संस्करण, फीचर्स, व्यापक उपयोग
लक्ष्यAI को ज्यादा प्रभावी और व्यक्तिकृत बनाना