MCD ELECTION: नई दिल्ली- दिल्ली नगर निगम (MCD) में शुक्रवार को होने जा रहे मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी चरम पर है।
जहां एक ओर सिविक सेंटर में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) के इस चुनाव का बहिष्कार करने के निर्णय ने चुनावी समीकरणों को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। AAP ने स्पष्ट किया है कि वह न तो अपने उम्मीदवार खड़े करेगी और न ही चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा लेगी। इस निर्णय से बीजेपी को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अब उसके सामने चुनाव में किसी प्रकार की बाधा या टकराव की स्थिति नहीं बनेगी।
MCD ELECTION: AAP के बहिष्कार के बाद BJP को मिली चुनावी राहत
बीजेपी की तैयारियां और कांग्रेस से मुकाबला अब जबकि AAP चुनावी मैदान से बाहर हो चुकी है, बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस से रह गया है, जिसके पास मात्र 8 निगम पार्षद हैं। ऐसे में बीजेपी की जीत लगभग तय मानी जा रही है। हालांकि चुनाव के दौरान किसी अप्रत्याशित परिस्थिति से निपटने के लिए सिविक सेंटर में दिल्ली पुलिस और आउटर फोर्स को तैनात कर दिया गया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और नेता विपक्ष राजा इकबाल सिंह के कार्यालय की ओर से हर पार्षद को शुक्रवार को दोपहर 12 बजे तक प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में अनिवार्य रूप से पहुंचने का निर्देश भी जारी किया गया है।
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MCD ELECTION: ‘ट्रिपल इंजन सरकार’ के बाद पूरी ज़िम्मेदारी अब BJP की
AAP का आरोप: ‘बीजेपी ने छल से हासिल की सत्ता’ आम आदमी पार्टी की ओर से पूर्व मेयर शैली ओबेरॉय, नेता सदन मुकेश गोयल और निगम पार्षद अंकुश नारंग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पार्टी ने इस बार चुनाव बहिष्कार का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि अब दिल्ली में बीजेपी की ‘ट्रिपल इंजन’ सरकार है। उन्होंने कहा, “अब केंद्र, दिल्ली सरकार और एमसीडी तीनों में बीजेपी की सत्ता है, तो दिल्ली को सुधारने की पूरी जिम्मेदारी भी बीजेपी की है। हम विपक्ष में रहकर रचनात्मक भूमिका निभाएंगे, लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट है कि बीजेपी सत्ता का दुरुपयोग कर रही है।”
AAP का यह भी कहना है कि 2022 से अब तक एमसीडी में स्थायी समिति (Standing Committee) का गठन तक नहीं हो पाया है, जिसकी वजह से कई नीतिगत फैसलों में बाधा आई। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि उसकी ओर से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अनादर किया गया और एमसीडी कमिश्नर को पार्टी हित में काम करने के लिए मजबूर किया गया।
अब बहाने नहीं चलेंगे BJP को निभानी होगी जिम्मेदारी
हाउस टैक्स और कर्मचारियों से जुड़े प्रस्तावों को बताया गया दबाव का शिकार आप नेताओं ने बताया कि पार्टी ने एमसीडी में कई महत्वपूर्ण जनकल्याणकारी प्रस्ताव पारित किए लेकिन उन्हें लागू नहीं होने दिया गया। इनमें प्रमुख था हाउस टैक्स में छूट का प्रस्ताव, जिसमें 100 गज तक के मकानों को पूरी तरह टैक्स मुक्त करने और 100 से 500 गज तक के मकानों पर टैक्स को आधा करने का प्रस्ताव शामिल था। यह प्रस्ताव हाउस से पारित हुआ था, लेकिन कमिश्नर ने इसे लागू नहीं किया। इसके अलावा लगभग 12,000 अनुबंधित कर्मचारियों को पक्का करने का प्रस्ताव भी पारित हुआ था, लेकिन उस पर भी कार्रवाई नहीं हुई।
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‘बीजेपी को अब बहाने नहीं बनाने चाहिए’ AAP नेताओं ने कहा कि अब जब बीजेपी को मेयर की कुर्सी मिल रही है और एमसीडी में स्पष्ट बहुमत भी है, तो उसे जनहित के प्रस्तावों को लागू करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा, “हम चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, लेकिन हम जनता के हितों की रक्षा के लिए बीजेपी की हर कार्रवाई पर नजर रखेंगे। अगर बीजेपी अब भी जनहित से जुड़े काम नहीं कर पाई तो यह उसके असली चेहरे को उजागर करेगा।”
एमसीडी चुनाव बना दिल्ली की राजनीति का टर्निंग पॉइंट
सुरक्षा के सख्त इंतजाम पिछले वर्षों में एमसीडी चुनावों के दौरान हुए हंगामों को देखते हुए इस बार प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरती है। सिविक सेंटर के आसपास बैरिकेडिंग की गई है और अतिरिक्त पुलिस बल के साथ-साथ विशेष शाखा के जवान भी तैनात किए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति से समय रहते निपटा जा सके।
बीजेपी के अंदरूनी हलचल बीजेपी के कुछ पार्षदों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें भरोसा है कि कांग्रेस के उम्मीदवार अपना नामांकन चुनाव से पहले ही वापस ले सकते हैं, क्योंकि उन्हें आम आदमी पार्टी के समर्थन की उम्मीद थी, जो अब नहीं मिल रहा। हालांकि, यदि कांग्रेस मैदान में बनी भी रहती है, तो भी चुनाव प्रक्रिया सहज ढंग से संपन्न होने की उम्मीद है।
दिल्ली की राजनीति में एमसीडी चुनावों का हमेशा विशेष महत्व रहा है और इस बार भी ऐसा ही है। आम आदमी पार्टी का चुनाव से हट जाना न केवल राजनीतिक रणनीति है, बल्कि बीजेपी को खुला मैदान देने का भी संकेत है। अब देखना यह होगा कि बीजेपी इस अवसर को कैसे भुनाती है और एमसीडी के संचालन में किन नीतियों को प्राथमिकता देती है। वहीं, AAP अब विपक्ष की भूमिका में कितनी मुखर और प्रभावी बनी रहती है, यह भी भविष्य की राजनीति की दिशा तय करेगा।