आज दिल्ली नगर निगम के वार्ड समिति के चुनाव सम्पन्न हुए इसका धन्यवाद किसे मिलना चाहिए ओर किसे नहीं ये सब नूरा कुश्ती के खेल मे फसा हुआ है । बहरहाल चुनाव सम्पन्न हुआ ओर दिल्ली के सभी वार्ड कमेटी मे चेयरमेन ओर डिप्टी चेयरमेन चुन लिए गए है लेकिन इस पुरी प्रक्रिया की जमीनी हकीकत क्या रही इसे समझने की कोशिश करते है
नगर निगम चुनाव में देरी: चुनाव प्रक्रिया में बाधाएं और अदालत का हस्तक्षेप।
दिल्ली नगर निगम: सबसे पहले तो हमे यह समझना है की जिस चुनाव को एक साल पहले ही हो जाना था उसे इतनी देरी से क्यों किया गया ओर जब देरी से ही सही जब चुनाव हो रहे है तो आनन फानन मे क्यों हो रहे है असल मे दिल्ली नगर निगम मे जनता ने तो अपना समर्थन देकर निगम की चुनावी प्रक्रिया को सम्पन्न कर दिया लेकिन निगम का मेयर , स्टैन्डींग कमेटी , वार्ड कमेटी चुनने का काम जीते हुए पार्षदों दिल्ली सरकार ओर दिल्ली के उपराज्यपाल को मिलकर बनाना था लेकिन इनमे से दिल्ली की मेयर का चुनाव गनीमतन कर दिया गया था लेकिन स्टैन्डींग कमेटी, वार्ड कमेटी ओर नोमीमनटेड पार्षदों को चुनने का काम रह गया था जिसे अदालत के हस्तक्षेप के बाद किया गया । 4 सितंबर 2024 को नगर निगम मे दिल्ली की सभी वार्ड समिति के चुनाव सम्पन्न कीए गए है ओर अब से दिल्ली के सभी ज़ोन मे चेयरमेन ओर डिप्टी चेयरमेन ज़ोन की जिम्मेदारी संभालेंगे इसी तरह से स्टैन्डींग कमेटी के सदस्यों का भी चयन किया गया है जो स्टैन्डींग कमेटी मे चेयरमेन ओर डिप्टी चेयरमेन बनेगे लेकिन अभी स्टैन्डींग कमेटी का चुनाव होना बाकी है अब समझते है 4 सितंबर के चुनाव की जमीनी हकीकत को
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मेयर शैली ऑबरोइय का पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से इनकार: क्या थी इसकी असली वजह?
दिल्ली नगर निगम: 4 सितंबर के चुनाव से एक दिन पहले यानि की 3 सितंबर 2024 को मेयर शैली ऑबरोइय ने पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से मना किया जिसको लेकर कई वजाहत भी दी गई लेकिन फिर भी चुनाव हुआ अगर यह सब मेयर साहिबा जानती थी तो ऐसा कदम ही क्यों उठाया जिसका कोई असर ही नहीं होना था बल्कि नगर निगम के इतिहास मे यह दर्ज हो गया है की दिल्ली का मेयर पद पंगु बन गया है ओर जो चुनाव आप पार्टी के पार्षदों के नेतृत्व मे सम्पन्न होता ओर दल गत की राजनीति से ऊपर उठने का काम किया जाता ओर गौरवान्वित होते उसे आप पार्टी ने गवा दिया ओर मेयर पद की गरिमा को तार तार करने का काम किया गया अब नगर निगम की गरिमा हो या पद की गरिमा हो किस की वजह से तार तार हो रही है इसका आरोप कोई भी अपने सर लेने को तैयार नहीं है । आखिर मेयर शैली ऑबरोई ने पीठासीन अधिकारी को नियुक्त नहीं करने की ओर चुनाव को आगे बढ़ाने की क्या वजाहत दी थी उसकी भी जमीनी हकीकत को समझते है
मेयर डॉ. शेली ओबेरॉय का लोकतंत्र पर जोर: अलोकतांत्रिक प्रक्रिया का विरोध।
दिल्ली नगर निगम: मेयर डॉ. शेली ओबेरॉय ने पीठासीन अधिकारी को नियुक्त करने से इनकार करते समय कहा- अंतरात्मा उन्हें अलोकतांत्रिक चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं देती है जिस पर उन्होंने बताया की केवल एक दिन के नोटिस पर नामांकन दाखिल करने में असमर्थता जताते हुए कई पार्षदों से हमे ज्ञापन प्राप्त हुए हैं जिस पर निकलकर आया की चुनाव पहले भी हुए है लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ की एक दिन का ही नोटिस दिया हो ओर चुनाव संभव हो गया हो मेयर डॉ शैली ने बताया की जब 2017 मे चुनाव हुआ था तब नोटिस की तारीख से नॉमिनेशन भरने तक 5 दिन का समय मिला था ओर चुनाव पूरा होने तक कुल 12 दिन मिले थे इसी तरह जब 2018 मे चुनाव हुआ था तब नोटिस की तारीख से नॉमिनेशन भरने तक 6 दिन का समय मिला था ओर चुनाव पूरा होने तक कुल 17 दिन मिले थे ओर इसी तरह से जब 2019 मे
दिल्ली नगर निगम: चुनाव हुआ था तब नोटिस की तारीख से नॉमिनेशन भरने तक 7 दिन का समय मिला था ओर चुनाव पूरा होने तक कुल 11 दिन मिले थे ओर जब 2020 मे चुनाव हुआ था तब नोटिस की तारीख से नॉमिनेशन भरने तक 6 दिन का समय मिला था ओर चुनाव पूरा होने तक कुल 14 दिन मिले थे ओर जब 2021 मे
चुनाव हुआ था तब नोटिस की तारीख से नॉमिनेशन भरने तक 7 दिन का समय मिला था ओर चुनाव पूरा होने तक कुल 12 दिन मिले थे ओर जब आज 2024 मे चुनाव हो रहा है तो समय दिया जा रहा है
दिल्ली नगर निगम: नोटिस की तारीख से नॉमिनेशन भरने तक 1 दिन का समय ओर चुनाव पूरा होने तक कुल 7 दिन मिल रहे है जोकी न्याय पूर्ण नहीं लग रहा है इन वजाहत को देते हुए चुनाव को आगे बढ़ाने की मांग की गई लेकिन एक दिन पहले यानि की 2 सितंबर 2024 को भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने एक गजेट यानि की राजपत्र जारी किया था जिस कारण नगर निगम की मेयर का पीठासीन अधिकारी नहीं नियुक्त करना भी चुनाव मे कोई भी असर नहीं डालेगा लेकिन उसके बाद भी मेयर साहिब ने ऐसा कदम क्यों उठाया समझ से बाहर है ओर चुनाव अपने तय समय पर पूरा हो गया खेर चुनाव सम्पन्न तो हुए लेकिन उस राज पत्र मे क्या लिखा हुआ है उसकी भी जमीनी हकीकत को समझते है
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उपराज्यपाल की शक्ति और मेयर का निर्णय: विवाद के पीछे की सच्चाई।
दिल्ली नगर निगम: इसमे लिखा हुआ है की राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम ओर अनुच्छेदों के अनुसार दिल्ली के उपराज्यपाल राष्ट्रपति के नियंत्रण के अधीन अगले आदेश तक कीसी भी प्राधिकरण बोर्ड आयोग या कीसी भी वैधानिक निकाय के गठन के लिए , चाहे उसे कीसी भी नाम से बुलाया जाए या ऐसे प्राधिकरण , बोर्ड आयोग या कीसी भी वैधानिक निकाय कीसी सरकारी अधिकारी या पड़ें सदस्य की नियुक्ति के लिए हो राष्ट्रपति की शक्तियों का प्रयोग दिल्ली का उपराज्यपाल करेगा जब यह सब पहले से ही मालूम था तो मेयर साहिब ने पीठासीन अधिकारी को नियुक्त कर देना था लेकिन किस के इशारे पर मेयर साहिबा चलती है जो अपनी सूझ बुझ का इस्तेमाल नहीं कर पा रही है अब इस पूरे मामले पर दिल्ली नगर निगम के सियासी अखाड़े में भारतीय जनता पार्टी के सामने आम आदमी पार्टी बुरी तरह से लड़खड़ाकर गिर गई है । वार्ड समितियों के चुनाव टलवाने की जी तोड़ कोशिशों के बावजूद उपराज्यपाल ने आप पार्टी और मेयर के अरमानों पर बुरी तरह से पानी फेर दिया। दिल्ली नगर निगम: मेयर ने जब मंगलवार को चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति करने से मना कर दिया तो निगम आयुक्त ने आदेश जारी करते हुए जोन के उपायुक्तों को चुनाव अधिकारी नियुक्त करने का आदेश जारी करके बुधवार को वार्ड समितियों के चुनाव करवा दिये। यह तो आपको मालूम ही होगा की आम आदमी पार्टी और मेयर शैली ओबरॉय ने पूरी कोशिश की थी कि किसी भी तरह से सभी 12 जोन के अध्यक्षों, उपाध्यक्षों और स्टेंडिंग कमेटी के एक-एक सदस्यों के चुनाव टल जायें। इसके लिए पहले कई आप नेता दिल्ली हाई कोर्ट भी गये थे, परंतु अगले दिन उन्होंने फटकार के डर से अपनी याचिका वापस ले ली थी। अगर आप हाई कोर्ट की उस फटकार की कॉपी पढ़ना चाहते है तो उसका लिंक नीचे डिस्क्रिप्शन मे दिया गया है आप वह से जाकर पढ़ सकते है हिन्दी अनुवाद के साथ अब आते है वापिस खबर पर
मेयर ओबेरॉय का चुनाव टलवाने का प्रयास: निगम आयुक्त की अवहेलना।
दिल्ली नगर निगम: मेयर शैली ओबरॉय ने निगम आयुक्त को पत्र लिखकर चुनाव की तारीख टलवाने और नई तारीख की घोषणा करने के लिए पत्र लिखा था। परंतु उपराज्यपाल के आदेश पर निगम आयुक्त ने चुनाव अधिकारियों की घोषणा कर दी और आप नेताओं के इस चुनाव को टलवाने के सारे मनसूबे धरे के धरे रह गये। बताया जा रहा है कि बीजेपी की वार्ड समितियों में बढ़त को देखकर आप नेता डर गये थे। दिल्ली नगर निगम: जिस तरह से 25 अगस्त को ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिये आप के 5 निगम पार्षद बीजेपी में शामिल हो गये थे, उसी के साथ बीजेपी को 12 में 7 वार्ड समितियों में बढ़त हासिल हो गई थी। हालांकि अगले ही दिन आप के एक पार्षद ने घर वापसी कर ली थी, परंतु इसका चुनावी नतीजों पर कोई भी असर नहीं पड़ा । क्योंकि एक ही झटके में नरेला और सेंट्रल जोन पर बीजेपी का प्रभुत्व स्थापित हो गया है ।
पीठासीन अधिकारी नियुक्त करना मेयर की भूल
मेयर द्वारा पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति की अनदेखी: चुनाव का अधिकार खोना।
दिल्ली नगर निगम: अब समझते है उस जमीनी हकीकत को की अगर मेयर नॉमिनेट करती पीठासीन अधिकारी तो आप पार्षद कराते चुनाव आप नेताओं की नासमझी और चालाकी की वजह से वार्ड समितियों के चुनाव कराने का अधिकार सत्ताधारी पार्टी के हाथ से निकल गया। यदि समय रहते मेयर चुनाव अधिकारियों को मनोनीत कर देतीं तो यह चुनाव आप पार्षद कराते। परंतु आप नेताओं की अव्यवहारिक सोच की वजह से यह अधिकार सीधे उपराज्यपाल के हाथों में चला गया है। दिल्ली नगर निगम: शायद आप नेताओं को इसका आभास भी नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है, क्योंकि दिल्ली नगर निगम के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब उपराज्यपाल के दिशानिर्देशन पर निगम आयुक्त ने बिना मेयर की मर्जी के सीधे पीठासीन अधिकारी को मनोनीत किया हो इस पुरी जमीनी हकीकत की खबर मे आपको अगर इस नूर कुश्ती या नासमझी का खेल समझ आ गया हो तो खबर पर कमेंट्स करके अपनी राय जरूर साझा करे