DTC BUS MARSHAL 2024: दिल्ली में बस मार्शलों की बहाली पर सुरक्षा, न्याय और सम्मान के लिए संघर्ष करते आप पार्टी के विधायक राजेश गुप्ता ओर डी टी सी बस मार्शल । इस पूरे मामले पर आप पार्टी ओर दिल्ली सरकार पुरी तरह से गंभीर नजर आ रही है ।
DTC BUS MARSHAL 2024: दिल्ली में बस मार्शलों की बहाली पर विवाद एक व्यापक विश्लेषण
DTC BUS MARSHAL 2024: नई दिल्ली, 2024 दिल्ली में बस मार्शलों की बहाली का मुद्दा हाल के दिनों में जोर पकड़ चुका है। वज़ीरपुर विधानसभा के विधायक राजेश गुप्ता ने इस मामले पर एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) पर तीखे सवाल उठाए हैं, और कहा है कि महिलाओं की सुरक्षा को खतरे में डालकर दिल्ली के एलजी सो रहे हैं। नवरात्रों के पवित्र दिनों में भी महिलाओं के साथ हो रही हिंसा की घटनाओं ने आम जनता और सरकार के बीच रोष पैदा कर दिया है। बसों में मार्शल्स की अनुपस्थिति की वजह से महिलाओं की सुरक्षा और शहर में बढ़ते अपराधों पर सवाल उठने लगे हैं।
बस मार्शलों की बहाली का मामला क्या है?
दिल्ली सरकार ने कुछ समय पहले महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बसों में मार्शलों की नियुक्ति की थी। यह कदम महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया था ताकि वे सार्वजनिक परिवहन में सुरक्षित महसूस कर सकें। हालांकि, हाल ही में 11,000 बस मार्शलों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं, जिससे यह मामला तूल पकड़ गया।
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राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप:
विधायक राजेश गुप्ता ने कहा, “हमारी सरकार तीन बार बने या तीस बार बने, हम बस मार्शलों और उनके परिवारों के साथ खड़े हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि एलजी ने बस मार्शलों की बहाली की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं किए, जिसके कारण न केवल बस मार्शलों के परिवार बल्कि दिल्ली की महिलाएं भी असुरक्षित महसूस कर रही हैं। गुप्ता ने यह भी कहा कि भाजपा विधायक इस मुद्दे को नजरअंदाज कर रहे हैं और बस मार्शलों का मजाक बना रहे हैं, जबकि दिल्ली पुलिस, जो केंद्र सरकार के तहत आती है, आम आदमी पार्टी (AAP) के विरोधों को दबाने का प्रयास कर रही है।
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विरोध प्रदर्शन और धरना
विधायक गुप्ता ने बस मार्शलों के समर्थन में एलजी कार्यालय के बाहर धरना दिया। उनका कहना था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कई अन्य विधायक भी इस मुद्दे पर सवाल उठा चुके हैं, लेकिन एलजी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। यह विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब नवरात्रों के दौरान सार्वजनिक बसों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाएं बढ़ने लगीं। गुप्ता ने कहा, “नवरात्रों के दौरान महिलाएं पूजा और धार्मिक कार्यक्रमों के लिए बसों का उपयोग करती हैं, लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं। यह दिल्ली के लिए शर्म की बात है।”
बस मार्शलों के परिवारों की पीड़ा
11,000 बस मार्शलों की बहाली न होने से उनके परिवारों की आजीविका पर संकट आ गया है। बहुत से मार्शल्स ने अपनी नौकरी खो दी है और वे अपने परिवारों के लिए आर्थिक सहायता के बिना संघर्ष कर रहे हैं। गुप्ता ने कहा, “यह सिर्फ बस मार्शलों की बात नहीं है, बल्कि उनके परिवारों की भी बात है। सरकार ने उन्हें रोजगार दिया था, लेकिन अब वे सड़क पर आ गए हैं। यह नाइंसाफी है।”
बस मार्शलों के परिजन भी इस धरने में शामिल हुए और अपनी समस्याओं को साझा किया। उनका कहना था कि वे अपने परिवारों को पालने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनकी बहाली जल्द से जल्द की जाए।
भाजपा और AAP के बीच तकरार
यह मामला एक बार फिर से भाजपा और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच तीखे राजनीतिक तकरार का कारण बन गया है। AAP विधायक और मंत्री लगातार एलजी को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि भाजपा नेता इसे एक प्रशासनिक मुद्दा बताकर AAP को दोष दे रहे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि दिल्ली सरकार ने समय पर आवश्यक कदम नहीं उठाए, जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है।
हालांकि, AAP ने इसे सिरे से खारिज किया है और सीधे तौर पर केंद्र सरकार और भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, “दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बस मार्शलों की बहाली का मामला फाइलों में लटका हुआ है क्योंकि एलजी साहब ने उस पर साइन नहीं किए हैं। यह सीधा केंद्र सरकार का दबाव है।”
खबर के बिन्दु
दिल्ली पुलिस और सुरक्षा व्यवस्था
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार के अधीन आती है और इस मुद्दे पर उनका कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है। हालांकि, दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया है कि वे महिलाओं की सुरक्षा के प्रति पूरी तरह सजग हैं और बसों में गश्त बढ़ाने का काम किया जा रहा है, फिर भी मार्शलों की बहाली को लेकर किसी ठोस योजना का अभाव नज़र आता है।
महिला सुरक्षा पर सवाल
यह मामला सीधे तौर पर दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा से जुड़ा है। हाल के कुछ महीनों में बसों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की घटनाओं में इजाफा हुआ है। नवरात्रों के दौरान इस तरह की घटनाएं बढ़ने से यह स्पष्ट है कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए मार्शलों की बहाली अनिवार्य है।
राजेश गुप्ता ने कहा, “हमारे बस मार्शल दिल्ली की महिलाएं और आम जनता को सुरक्षा प्रदान कर रहे थे। अब जब वे नौकरी से बाहर हो गए हैं, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। यह सरकार के लिए एक गंभीर चिंता का विषय होना चाहिए।”
आगे का रास्ता
दिल्ली सरकार और AAP विधायक इस मुद्दे को सड़क से लेकर सदन तक उठाने की बात कर रहे हैं। गुप्ता ने कहा कि वे इस मुद्दे पर चुप नहीं बैठेंगे और एलजी से मांग करेंगे कि वे जल्द से जल्द बस मार्शलों की बहाली पर हस्ताक्षर करें।
आम जनता और महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोई ठोस समाधान निकलेगा। लेकिन इस बीच, यह स्पष्ट है कि इस मुद्दे ने दिल्ली की राजनीति में नई तकरार को जन्म दिया है।
संघर्ष की कहानी
आप विधायक राजेश गुप्ता
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