OBC वोटर्स पर फोकस: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने दिल्ली विधानसभा चुनाव 2024 के लिए अपनी रणनीति में ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) वोटरों को प्राथमिकता दी है।
बीजेपी का लक्ष्य 26 साल बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी करना है, और इसके लिए पार्टी ने हरियाणा और महाराष्ट्र मॉडल को अपनाते हुए ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की योजना बनाई है।
पार्टी ने ओबीसी समुदाय और उनकी 52 उपजातियों तक पहुँचने के लिए बड़े पैमाने पर बैठकें और सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है। 11 दिसंबर से शुरू हुई इन बैठकों का उद्देश्य ओबीसी समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना है। पार्टी ने 52 सम्मेलनों की योजना बनाई है, जो आगामी चुनाव में ओबीसी वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं।
OBC वोटर्स पर फोकस: ओबीसी वोटरों पर बीजेपी का फोकस
OBC वोटर्स पर फोकस: दिल्ली बीजेपी ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष सुनील यादव के अनुसार, दिल्ली की कुल जनसंख्या में ओबीसी और उनकी उपजातियों का हिस्सा लगभग 55-60 प्रतिशत है। दिल्ली में यादव, गुर्जर, जाट जैसे समुदायों के अलावा माइग्रेटेड ओबीसी समुदायों की भी बड़ी संख्या है, जो अनधिकृत कॉलोनियों और शहरी क्षेत्रों में निवास करते हैं।
पार्टी का मानना है कि दिल्ली के करीब 30 गांव यादव बहुल हैं, जबकि गुर्जर और जाट समुदायों के गांव भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अब तक आम आदमी पार्टी (आप) ने ओबीसी वोटों के बल पर चुनावी सफलता हासिल की है। इसे देखते हुए बीजेपी ने इस बार ओबीसी समुदाय को साधने के लिए विशेष प्रयास शुरू किए हैं।
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OBC वोटर्स पर फोकस: हरियाणा और महाराष्ट्र मॉडल की तर्ज पर रणनीति
बीजेपी ने हरियाणा और महाराष्ट्र में ओबीसी वोटरों को एकजुट करके विधानसभा चुनावों में सफलता पाई थी। हरियाणा में, ओबीसी समुदाय और उनकी उपजातियों को संगठित करने के लिए बैठकें आयोजित की गई थीं, जिससे पार्टी ने 38 प्रतिशत ओबीसी वोट हासिल किए। महाराष्ट्र में भी मराठा ध्रुवीकरण के मुकाबले पिछड़ी जातियों को संगठित किया गया था। इन सफलताओं से प्रेरित होकर, बीजेपी ने दिल्ली में भी इसी रणनीति को लागू करने का निर्णय लिया है।
OBC वोटर्स पर फोकस: सम्मेलनों और बैठकों का कार्यक्रम
बीजेपी ने ओबीसी समुदाय के लिए कुल 52 बड़े सम्मेलनों का आयोजन करने की योजना बनाई है। 11 दिसंबर को प्रदेश कार्यालय में पहली बैठक आयोजित हुई, जिसमें पाल और बघेल समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल भी शामिल हुए।
आगामी बैठकों में विभिन्न ओबीसी उपजातियों के साथ संवाद किया जाएगा। 12 दिसंबर को सोनार और वर्मा समुदाय के साथ बैठक आयोजित की गई। इन बैठकों में संबंधित समुदायों के प्रमुख बीजेपी नेता उपस्थित रहेंगे।
बाहरी दिल्ली के जीटी करनाल रोड पर भी ओबीसी समुदाय के लोगों के साथ एक सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें कई मुद्दों पर चर्चा की गई। इसके अलावा, पार्टी हरियाणा और महाराष्ट्र की तरह ओबीसी के लिए विशेष घोषणाएं कर सकती है।
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OBC वोटर्स पर फोकस: लोकसभा चुनाव में मिली सीख
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पिछले लोकसभा चुनाव में ओबीसी वोटरों का समर्थन कमजोर पड़ने के बाद बीजेपी ने इसे गंभीरता से लिया है। हरियाणा में, पार्टी को 44 प्रतिशत ओबीसी वोट मिले थे, जो पिछले चुनाव के मुकाबले 29 प्रतिशत कम थे। वहीं, कांग्रेस ने 51 प्रतिशत ओबीसी वोट हासिल कर बीजेपी को पीछे छोड़ दिया था।
इस गिरावट को देखते हुए, बीजेपी ने ओबीसी समुदाय को एकजुट करने के लिए दिल्ली चुनावों में अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव किया है। पार्टी को उम्मीद है कि यह योजना उसे चुनाव में बढ़त दिलाने में सफल होगी।
बीजेपी की चुनावी तैयारी और ओबीसी वोट बैंक का महत्व
दिल्ली के ओबीसी वोटरों को साधने की यह कोशिश बीजेपी के लिए एक महत्वपूर्ण दांव साबित हो सकती है। इस वर्ग की संख्या और चुनावी प्रभाव को देखते हुए बीजेपी ने इसे अपने मुख्य फोकस में रखा है। पार्टी को उम्मीद है कि ओबीसी वोटरों को लुभाकर वह न केवल आम आदमी पार्टी को चुनौती दे सकेगी, बल्कि दिल्ली की सत्ता में भी वापसी कर सकेगी।
ओबीसी वोट बैंक पर ध्यान केंद्रित करते हुए, बीजेपी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस बार दिल्ली चुनाव को गंभीरता से ले रही है। अब देखना यह होगा कि पार्टी की यह रणनीति उसे कितना लाभ पहुंचाती है।