PRIYA DIXIT CASE: लखनऊ की नवविवाहिता प्रिया दीक्षित की आत्महत्या का मामला समाज, कानून और प्रशासनिक व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े करता है।
एक होनहार युवती, जिसने चार बार TET पास किया और बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में चयनित हुई थी, उसे दहेज की मांगों और ससुराल में उत्पीड़न के कारण आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा।
एक होनहार बेटी की दर्दनाक कहानी
प्रिया दीक्षित की शादी 10 दिसंबर 2024 को लखनऊ के ठाकुरगंज निवासी शुभम टंडन से हुई थी, जो बाराबंकी के फतेह सराय स्थित प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक हैं। शादी के कुछ ही समय बाद, प्रिया को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। ससुराल पक्ष ने 6 लाख रुपये और एक SUV गाड़ी की मांग की, जिसे पूरा न करने पर प्रिया को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
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सुसाइड नोट में उठाए गए गंभीर आरोप
प्रिया ने आत्महत्या से पहले दो पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने पति शुभम और ससुरालवालों पर उत्पीड़न और हत्या की कोशिश जैसे गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने लिखा कि 1 फरवरी को ससुरालवालों ने तकिए से मुंह दबाकर उनकी हत्या करने की कोशिश की थी। उन्होंने डायल-112 पर कॉल किया, लेकिन कोई मदद नहीं मिली। प्रिया ने डीएम, पुलिस कमिश्नर और महिला आयोग तक से शिकायत की, लेकिन हर जगह से यही जवाब मिला कि अगर पति नहीं रखना चाहता तो रिश्ता खत्म कर दो।
सिस्टम की विफलता और न्याय की मांग
प्रिया के परिवार ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार पुलिस और प्रशासन से मदद मांगी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। 13 मई को प्रिया ने अपने पति और ससुरालवालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज कराया था। 17 मई को महिला थाने में मीडिएशन के दौरान शुभम ने प्रिया को जान से मारने की धमकी दी।
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पूरे परिवार पर दहेज हत्या का केस
प्रिया के पिता दिनेश दीक्षित ने बताया कि उनकी बेटी ने कई बार समझौते की कोशिश की, लेकिन ससुरालवालों को केवल पैसों से मतलब था। उन्होंने बताया कि प्रिया को 3 फरवरी को ससुराल से निकाल दिया गया था और वह छह घंटे तक घर के बाहर खड़ी रही। पुलिस को बुलाने के बाद ही उसे अंदर आने दिया गया। प्रिया के भाई पीयूष दीक्षित की तहरीर पर पति शुभम टंडन, ससुर गिरधर नारायण टंडन, सास, ननद, नंदोई, मामा और मामी के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।
दहेज उत्पीड़न के खिलाफ चाहिए सख्त कानून और जागरूकता
प्रिया दीक्षित की आत्महत्या केवल एक व्यक्तिगत त्रासदी नहीं है, बल्कि यह समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, महिलाओं के प्रति हिंसा और सिस्टम की उदासीनता का प्रतिबिंब है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि कब तक हमारी बेटियां ऐसे अत्याचारों का शिकार होती रहेंगी। समाज, कानून और प्रशासन को मिलकर ऐसे मामलों की रोकथाम के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में कोई और प्रिया अपनी जान न गंवाए।












