भोपाल, 5 जून 2025: कांग्रेस नेता RAHUL GANDHI ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के दौरान ऐसी टिप्पणी की है, जिससे कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं की राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
राहुल ने पार्टी की बैठक में कहा, “अब रेस के घोड़ों और बारात के घोड़ों को अलग करना होगा, और लंगड़े घोड़ों को रिटायर करना है।” उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है, और माना जा रहा है कि इसका संकेत मध्य प्रदेश के दिग्गज कांग्रेस नेताओं – कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया और रामेश्वर नीखरा जैसे बुजुर्ग नेताओं की ओर है।
वरिष्ठ नेताओं पर इशारा?
RAHUL GANDHI के इस कथन से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस में अब पीढ़ी परिवर्तन की प्रक्रिया को गति दी जा रही है। वह ऐसे नेताओं को संगठन से बाहर करना चाहते हैं, जो अब पार्टी के लिए सक्रिय योगदान नहीं दे पा रहे हैं। हालांकि ये वही नेता हैं जिन्होंने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय से कांग्रेस का नेतृत्व किया है और पार्टी के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित किया है। अब सवाल उठता है कि क्या इनकी उपयोगिता वास्तव में समाप्त हो गई है?
पार्टी के इतिहास से टकराता है फैसला
कांग्रेस का इतिहास बताता है कि पार्टी ने अपने बुजुर्ग नेताओं को हमेशा सम्मान दिया है। मध्य प्रदेश की ही बात करें तो दिवंगत जमुना देवी को अंतिम सांस तक नेता प्रतिपक्ष बनाए रखा गया। अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज नेता को केंद्र में मंत्री पद मिला और उम्रदराज नेताओं को राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद देकर सम्मानित किया गया। लेकिन राहुल गांधी का ताजा बयान इस परंपरा से अलग नजर आता है, जो पार्टी की भावनात्मक संवेदनशीलता के पैमाने पर भी खरी नहीं उतरती।
उम्र का फॉर्मूला कितनी दूर तक कारगर?
भारतीय राजनीति में उम्र के आधार पर नेताओं को दरकिनार करने का फार्मूला अधिक सफल नहीं रहा है। BJP ने भी इस दिशा में कदम उठाया था, लेकिन बाद में खुद ही पीछे हट गई। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे नेताओं ने कांग्रेस के लिए दशकों तक संघर्ष किया है। ऐसे में उन्हें ससम्मान संगठन के मार्गदर्शक मंडल में शामिल करना एक बेहतर विकल्प होता, बजाय सार्वजनिक रूप से ‘लंगड़ा घोड़ा’ जैसे शब्दों से रिटायरमेंट का इशारा देने के।
राहुल की नई टीम और कार्यशैली
RAHUL GANDHI ने बैठक में यह भी कहा कि पार्टी की नई टीम बनाई जाएगी जिसमें 55 नए नेता तैयार किए जाएंगे जो कांग्रेस का भविष्य होंगे। उन्होंने कहा, “यहां जो लोग बैठे हैं, उनमें भाजपा को हराने का टैलेंट है। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो डिप्रेशन में हैं या भाजपा के लिए काम कर रहे हैं।” राहुल का इशारा पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी और असंतोष की ओर भी था। उनका कहना था कि कई वरिष्ठ नेता उभरते नेताओं की टांग खींचने का काम कर रहे हैं, जिससे पार्टी को नुकसान हो रहा है।
संगठन में नई ऊर्जा की कोशिशें
RAHUL GANDHI की इस टिप्पणी को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ता भी दो धड़ों में बंटे नजर आ रहे हैं। कुछ इसे संगठन में नई जान फूंकने की दिशा में उठाया गया साहसिक कदम मान रहे हैं, जबकि कई कार्यकर्ता इसे वरिष्ठ नेताओं का सार्वजनिक अपमान कह रहे हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस को सशक्त करने के लिए युवा नेतृत्व जरूरी है, लेकिन पार्टी की नींव रहे नेताओं को इस तरह दरकिनार करना न केवल अनुचित है, बल्कि राजनीतिक नुकसान भी दे सकता है।
कांग्रेस की आंतरिक एकता पर खतरा
RAHUL GANDHI के हालिया बयान से यह स्पष्ट है कि वह कांग्रेस को एक नई दिशा देने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जिस अंदाज़ में उन्होंने वरिष्ठ नेताओं पर निशाना साधा है, वह पार्टी की आंतरिक एकता और संस्कृति पर सवाल खड़े करता है। कांग्रेस के लिए अब सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह कैसे युवा और अनुभव का संतुलन साधकर आगे बढ़े, ताकि न केवल संगठन मजबूत हो, बल्कि पार्टी का पुराना आधार और आत्मा भी बनी रहे।