SC का अहम फैसला: समझौता डिक्री के खिलाफ सीधे अपील नहीं, पहले ट्रायल कोर्ट जाना होगा 2025 !

SC का अहम फैसला: नई दिल्ली-सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि किसी मुकदमे में

SC का अहम फैसला: समझौता डिक्री के खिलाफ सीधे अपील नहीं, पहले ट्रायल कोर्ट जाना होगा 2025 !

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SC का अहम फैसला: नई दिल्ली-सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि किसी मुकदमे में पारित समझौता डिक्री को कोई पक्षकार चुनौती देना चाहता है, तो उसे पहले ट्रायल कोर्ट से संपर्क करना होगा।

SC का अहम फैसला: समझौता डिक्री के खिलाफ सीधे अपील नहीं, पहले ट्रायल कोर्ट जाना होगा 2025 !
SC का अहम फैसला: समझौता डिक्री के खिलाफ सीधे अपील नहीं, पहले ट्रायल कोर्ट जाना होगा 2025 !

वह सीधे अपीलीय अदालत में जाकर डिक्री को चुनौती नहीं दे सकता। शीर्ष अदालत ने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) के तहत Order XLIII Rule 1-A स्वतंत्र रूप से अपील का अधिकार नहीं देता।

यह फैसला जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने सुनाया, जब वे एक अपील पर विचार कर रहे थे, जिसमें अपीलकर्ता ने समझौते की जानकारी के अभाव का दावा करते हुए अपीलीय अदालत (हाईकोर्ट) के समक्ष सीधे चुनौती दी थी।

SC का अहम फैसला: समझौता डिक्री क्या होती है?

समझौता डिक्री वह कानूनी आदेश होता है जो अदालत द्वारा पारित किया जाता है, जब मुकदमे के पक्षकार आपस में किसी विवाद का समाधान कर लेते हैं और अदालत उनके बीच हुए समझौते को रिकॉर्ड कर लेती है। CPC के Order XXIII Rule 3 में इसका विस्तृत प्रावधान दिया गया है। इस नियम के अनुसार, यदि अदालत को यह संतुष्टि होती है कि पक्षों ने समझौते से मुकदमे का निपटारा कर लिया है, तो वह उस समझौते के आधार पर डिक्री पारित कर सकती है।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

शीर्ष अदालत ने दो टूक कहा कि यदि कोई पक्ष यह दावा करता है कि कोई वैध समझौता नहीं हुआ था या उसे जानकारी के बिना डिक्री पारित कर दी गई, तो उसे पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष Order XXIII Rule 3 के तहत आपत्ति उठानी होगी। ट्रायल कोर्ट यह तय करेगा कि क्या वास्तव में कोई वैध समझौता था या नहीं।

न्यायालय ने कहा:
एक पक्ष जो समझौते से इनकार करता है, उसे सीधे उच्च अदालत में अपील नहीं करनी चाहिए, बल्कि पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष आपत्ति दर्ज करानी चाहिए। अगर ट्रायल कोर्ट आपत्ति को खारिज कर देता है और प्रतिकूल डिक्री पारित करता है, तभी धारा 96 (1) CPC के तहत पहली अपील संभव होगी।”

SC का अहम फैसला

समझौते की जानकारी नहीं होने का दावा करते हुए अपील दायर

इस मामले में अपीलकर्ता ने गुजरात हाईकोर्ट के समक्ष Order XLIII Rule 1-A का हवाला देकर अपील दायर की थी। उसने दावा किया कि उसे समझौते की जानकारी नहीं थी और बिना उसकी सहमति के डिक्री पारित कर दी गई। एकल न्यायाधीश ने, डिवीजन बेंच के परस्पर विरोधी विचारों को देखते हुए, तीन प्रश्नों को एक बड़ी बेंच को संदर्भित किया। बड़ी बेंच ने निर्णय दिया कि किसी भी पक्ष को पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष Order XXIII Rule 3 के तहत आपत्ति करनी होगी, न कि सीधे अपीलीय अदालत में आना चाहिए।

बड़ी बेंच की राय के आधार पर, एकल न्यायाधीश ने अपीलकर्ता की अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

सुप्रीम कोर्ट का विश्लेषण

जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले ने निर्णय लिखते हुए कहा कि:

  1. Order XLIII Rule 1-A स्वतंत्र अपील का स्रोत नहीं है। यह केवल तभी लागू होता है जब कोई अन्य वैध अपील पहले से मौजूद हो।
  2. CPC की धारा 96(3) के अनुसार, सहमति से पारित डिक्री के खिलाफ अपील प्रतिबंधित है। यदि कोई पक्ष सहमति को अस्वीकार करता है, तो उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष Order XXIII Rule 3 के अंतर्गत आपत्ति उठानी होगी।
  3. Order XXIII Rule 3-A स्पष्ट रूप से कहता है कि सहमति डिक्री को अलग मुकदमे के माध्यम से चुनौती नहीं दी जा सकती।
  4. यदि ट्रायल कोर्ट समझौते की वैधता पर निर्णय करता है और प्रतिकूल निर्णय देता है, तभी पक्षकार धारा 96(1) के तहत पहली अपील कर सकता है और उस अपील में Order XLIII Rule 1-A के तहत समझौते की वैधता को मुद्दा बना सकता है।

कोर्ट ने कहा:
“Order XLIII Rule 1-A कोई स्वतंत्र अपील नहीं बनाता। यह केवल मौजूदा अपीलों के भीतर एक तरीका प्रदान करता है कि अपीलकर्ता डिक्री के आधारभूत आदेश को चुनौती दे सकता है।”

समझौता डिक्री पर सीधा प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि समझौता डिक्री से जुड़े विवादों में, न्यायिक अनुशासन और प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। यदि हर असंतुष्ट पक्षकार सीधे अपीलीय अदालत का रुख करेगा, तो इससे न्यायिक प्रक्रिया अस्त-व्यस्त हो जाएगी और ट्रायल कोर्ट की भूमिका कमजोर पड़ जाएगी।

nishikant dubey on supreme court

तीसरे पक्ष का क्या अधिकार है?

कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण स्थिति को भी स्पष्ट किया — यदि कोई व्यक्ति, जो मुकदमे में पक्षकार नहीं था, लेकिन उसकी कानूनी स्थिति या अधिकार समझौता डिक्री से प्रभावित हुए हैं, तो वह व्यक्ति पहली अपील कर सकता है। हालांकि, उसे भी पहले ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया का पालन करना होगा, जब तक कि उसे अपील की अनुमति न मिल जाए।

SC का अहम फैसला

समझौता डिक्री के खिलाफ सीधे अपील नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए गुजरात हाईकोर्ट की बड़ी बेंच के फैसले की पुष्टि की। कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने CPC के ढांचे का सही अनुपालन किया है और उसमें किसी भी तरह के हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है।

न्यायालय ने कहा:
इस प्रकार, अपीलकर्ता द्वारा दायर की गई अपील विधि अनुसार योग्य नहीं है और इसलिए खारिज की जाती है।”

यह निर्णय उन सभी पक्षकारों के लिए एक महत्वपूर्ण मार्गदर्शक सिद्धांत है, जो समझौता डिक्री से असंतुष्ट हैं। अब यह स्पष्ट हो गया है कि उन्हें सीधे अपील करने का अधिकार नहीं है, बल्कि उन्हें पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष उचित आपत्ति दर्ज करानी होगी और उसके बाद ही अपीलीय अदालत का रुख कर सकते हैं।

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DIGITAL INDIA की सुविधा: अब नहीं होगी RC गुम होने की टेंशन, जानिए आसान डिजिटल तरीका 2025 !

DIGITAL INDIA: अगर आपकी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) खो गई है या आप उसे साथ

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DIGITAL INDIA: अगर आपकी गाड़ी की रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) खो गई है या आप उसे साथ ले जाना भूल गए हैं, तो घबराने की कोई जरूरत नहीं है।

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अब भारत सरकार की ओर से लॉन्च किए गए DigiLocker और mParivahan जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की मदद से आप अपनी RC को मोबाइल फोन से ही डाउनलोड कर सकते हैं। यह डिजिटल डॉक्यूमेंट कानूनी रूप से मान्य होता है और ट्रैफिक पुलिस या किसी भी सरकारी जांच एजेंसी द्वारा इसे स्वीकार किया जाता है।

क्या है RC और क्यों है जरूरी?

DIGITAL INDIA: RC यानी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट वह दस्तावेज है, जो यह प्रमाणित करता है कि वाहन कानूनी रूप से रजिस्टर्ड है और किस व्यक्ति के नाम पर है। जब आप कोई नई गाड़ी खरीदते हैं, चाहे वह दोपहिया हो या चारपहिया, तो RTO द्वारा जारी की गई RC आपके नाम पर दी जाती है। इसमें वाहन की रजिस्ट्रेशन संख्या, इंजन नंबर, चेसिस नंबर और मालिक की जानकारी जैसे विवरण होते हैं।

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RC की जरूरत तब पड़ती है जब:

  • आप ट्रैफिक पुलिस द्वारा रोके जाते हैं
  • गाड़ी बेचनी हो
  • इंश्योरेंस क्लेम करना हो
  • वाहन के लोन या ट्रांसफर की प्रक्रिया करनी हो
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RC खो गई? ऐसे करें ऑनलाइन डाउनलोड

DIGITAL INDIA अगर आपकी RC गुम हो गई है तो आप उसे घर बैठे ही दो तरीके से डाउनलोड कर सकते हैं — पहला Vahan Portal के जरिए और दूसरा DigiLocker App के जरिए।

1. Vahan Portal से RC डाउनलोड करने की प्रक्रिया:
  1. सबसे पहले Vahan Parivahan वेबसाइट पर जाएं।
  2. “Online Services” टैब पर क्लिक करें और “Vehicle Related Services” को चुनें।
  3. अब अपने राज्य का चयन करें।
  4. अगली स्क्रीन पर आपसे रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर और OTP मांगा जाएगा, उसे दर्ज करें।
  5. लॉग इन करने के बाद आपको रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर डालना होगा।
  6. इसके बाद ‘Download Document’ या ‘RC Print’ जैसा विकल्प चुनें।
  7. कुछ ही सेकंड में आपकी डिजिटल RC स्क्रीन पर दिखाई दे जाएगी, जिसे आप डाउनलोड या प्रिंट कर सकते हैं।
2. DigiLocker से RC डाउनलोड करने का तरीका:
  1. DigiLocker ऐप या वेबसाइट पर जाएं।
  2. अपने आधार लिंक्ड मोबाइल नंबर से लॉगिन करें।
  3. ‘Issued Documents’ सेक्शन में जाएं और ‘Ministry of Road Transport and Highways’ को सिलेक्ट करें।
  4. अब ‘Registration Certificate’ पर क्लिक करें।
  5. अपने वाहन की डिटेल्स (जैसे रजिस्ट्रेशन नंबर) भरें।
  6. ध्यान रखें कि आधार पर जो नाम है, वही RC पर भी होना चाहिए, तभी डॉक्यूमेंट लिंक हो पाएगा।
  7. डॉक्यूमेंट आपके अकाउंट में सेव हो जाएगा, जिसे आप कभी भी देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर प्रेजेंट कर सकते हैं।

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क्या डिजिटल RC मान्य है?

जी हां, भारत सरकार द्वारा स्पष्ट किया गया है कि DigiLocker या mParivahan से डाउनलोड की गई डिजिटल आरसी पूरी तरह से वैध है। आप चाहे किसी भी राज्य में हों, यह डॉक्यूमेंट सभी सरकारी अधिकारियों और ट्रैफिक पुलिस द्वारा स्वीकार किया जाएगा। फिजिकल कॉपी साथ न होने की स्थिति में डिजिटल डॉक्यूमेंट दिखाना पर्याप्त है।

SC का अहम फैसला

DIGITAL INDIA अब ऑनलाइन पाए मिनटों में समाधान

DIGITAL INDIA की पहल के तहत अब वाहन संबंधित दस्तावेजों को ऑनलाइन एक्सेस करना बेहद आसान हो गया है। RC जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज को गुम हो जाने पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। बस अपने मोबाइल से कुछ स्टेप्स फॉलो करें और कुछ ही मिनटों में कानूनी रूप से मान्य RC प्राप्त करें। यह सुविधा ना केवल समय बचाती है, बल्कि आपको कागजी दस्तावेजों को साथ रखने की झंझट से भी छुटकारा देती है।