SCBA चुनाव सुधार: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) में चुनावी सुधारों के मुद्दे पर विचार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एल नागेश्वर राव ने SCBA में चुनावी सुधारों के लिए गठित समिति का नेतृत्व करने की सहमति दे दी है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बीडी कौशिक मामले में लिया गया, जहां SCBA के चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित बनाने के लिए सुधारों की आवश्यकता महसूस की गई।
SCBA चुनाव सुधार: समिति का गठन और उद्देश्य
SCBA की कार्यकारी समिति के चुनाव को अधिक पारदर्शी और सुचारू रूप से संचालित करने के लिए गठित की गई इस समिति का मुख्य उद्देश्य उपनियमों में सुधार और उपयुक्त संशोधनों के लिए मानदंड/दिशानिर्देश/मापदंडों की सिफारिश करना है। समिति में वरिष्ठ अधिवक्ताओं और अनुभवी वकीलों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने कभी भी SCBA के पदाधिकारियों के रूप में चुनाव लड़ने में रुचि नहीं ली है। इससे निष्पक्ष और प्रभावी सुझावों की संभावना बढ़ जाती है।
न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावित सुधारों में चुनाव लड़ने की पात्रता से संबंधित शर्तें भी शामिल हो सकती हैं। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल योग्य और सक्षम उम्मीदवार ही SCBA के शीर्ष पदों के लिए चुनाव लड़ सकें।
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SCBA सुधारों के सुझाव और प्रस्ताव
यह मामला तब उठा जब वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में SCBA में सुधारों का सुझाव देने के लिए एक हस्तक्षेप आवेदन दायर किया। उन्होंने कुछ महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए, जिनमें से एक यह था कि SCBA अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार को सुप्रीम कोर्ट में कम से कम 100 बार मुख्य रूप से पेश होना चाहिए। इस प्रकार की शर्तों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल अनुभवी और सुप्रीम कोर्ट में सक्रिय रूप से प्रैक्टिस करने वाले वकील ही इस प्रतिष्ठित पद के लिए पात्र हों।
न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए यह स्पष्ट किया कि समिति का गठन जस्टिस एल नागेश्वर राव के विवेक पर निर्भर करेगा। समिति के सदस्यों के चयन की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर छोड़ी गई है। साथ ही, बार के सदस्यों को यह अनुमति दी गई है कि वे दो सप्ताह के भीतर जस्टिस राव को समिति के लिए नाम सुझा सकते हैं। हालांकि, अंतिम निर्णय जस्टिस राव का होगा और यदि बार के सदस्य कोई नाम नहीं देते हैं तो वह स्वयं समिति के सदस्यों का चयन करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी और दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल थे, ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि समिति को बार के सदस्यों और अन्य हितधारकों से सुझाव आमंत्रित करने की पूरी स्वतंत्रता होगी। यह समिति SCBA चुनावों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर विचार करेगी और अपनी सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि सुधार प्रक्रिया में कोई बाधा न आए और इसे निष्पक्षता के साथ लागू किया जाए। न्यायालय ने निर्देश दिया कि यह समिति SCBA के चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ठोस सुझाव पेश करेगी।
आने वाली सुनवाई और संभावित परिणाम
इस मामले को अगली सुनवाई के लिए 7 अप्रैल, 2025 को सूचीबद्ध किया गया है। तब तक समिति अपने सुझावों को तैयार करेगी और आवश्यक सुधारों को लेकर अपनी रिपोर्ट पेश कर सकती है।
इससे पहले, 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मौखिक रूप से टिप्पणी की थी कि वह सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज के नेतृत्व में एक समिति का गठन करेगी, जिसमें दो वरिष्ठ अधिवक्ता (एक पुरुष और एक महिला), दो एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एक पुरुष और एक महिला) और अनुभवी वकील शामिल होंगे। पीठ ने यह भी संकेत दिया कि दो पूर्व जजों के नाम शॉर्टलिस्ट किए गए थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन बार में बिताया है। अंततः जस्टिस एल नागेश्वर राव को यह जिम्मेदारी दी गई।
जस्टिस एल नागेश्वर राव का प्रोफाइल
जस्टिस एल नागेश्वर राव ने मई 2016 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला था। इससे पहले, उन्होंने 1995 से 2016 तक सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील अपनी सेवाएं दीं। अपने करियर के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों में फैसले सुनाए और भारतीय न्याय प्रणाली में सुधार लाने की दिशा में योगदान दिया।
उनकी अध्यक्षता में गठित इस समिति से यह अपेक्षा की जा रही है कि वह SCBA चुनावों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक सुधारों को चिन्हित करेगी।
बार एसोसिएशन में पारदर्शिता बढ़ाने की पहल
सुप्रीम कोर्ट का यह कदम SCBA में चुनावी सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इससे बार एसोसिएशन की कार्यप्रणाली अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी होगी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सुझावों के आधार पर आने वाले समय में SCBA चुनावों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
यह मामला न केवल बार एसोसिएशन बल्कि पूरे न्यायिक समुदाय के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है। आगामी सुनवाई में यह देखना दिलचस्प होगा कि समिति क्या सिफारिशें प्रस्तुत करती है और सुप्रीम कोर्ट इन सुझावों को किस तरह लागू करता है।
केस टाइटल: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन बनाम बी.डी. कौशिक, डायरी नंबर 13992-2023
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