SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की हत्या के मामले में उसके पति और सास को दोषी ठहराते हुए उनकी उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। अदालत ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि मृतका ने खुद पर 9 लीटर मिट्टी का तेल डाला, खुद को आग लगाई और 100% जलने तक जलती रही, जबकि घर में परिवार के अन्य सदस्य मौजूद थे और उन्हें इसकी कोई भनक नहीं लगी।
यह मामला मृतका के भाई द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित है, जिसमें पति और सास पर हत्या और क्रूरता का आरोप लगाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट और उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसलों को सही ठहराते हुए दोषियों की अपील खारिज कर दी।
SUPREME COURT: मामले की पृष्ठभूमि
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- घटना का विवरण: मृतका की शादी के कुछ साल बाद, उसे उसके ससुराल में मृत पाया गया। उसके शरीर पर 100% जलने के निशान थे। मृतका के भाई ने आरोप लगाया कि उसकी बहन को ससुराल में प्रताड़ित किया गया और अंततः उसकी हत्या कर दी गई।
- एफआईआर और जांच: एफआईआर के मुताबिक, मृतका को लगातार दहेज और अन्य कारणों से प्रताड़ित किया गया। घटना के दिन, ससुराल वालों ने दावा किया कि उसने आत्महत्या की है।
- निचली अदालत का फैसला: ट्रायल कोर्ट ने पति और सास को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई।
- हाईकोर्ट का रुख: हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराया, जिसके खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट की मुख्य टिप्पणियां
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
- आत्महत्या की संभावना खारिज: कोर्ट ने कहा, “यह विश्वास करना कठिन है कि मृतका ने 9 लीटर मिट्टी का तेल अपने ऊपर डाला, खुद को आग लगाई और 100% जलने तक जलती रही, जबकि आरोपी उसी घर में मौजूद थे। यदि यह आत्महत्या होती, तो आरोपियों ने उसे बचाने का प्रयास जरूर किया होता।”
- गर्भवती महिला की आत्महत्या पर सवाल: कोर्ट ने कहा कि मृतका उस समय गर्भवती थी, और यह मानना कठिन है कि वह ऐसी स्थिति में आत्महत्या जैसा कदम उठा सकती थी।
- मिट्टी के तेल की गंध का अभाव: घटना स्थल और मृतका के शरीर पर मिट्टी के तेल की गंध नहीं मिली, जो आत्महत्या के दावे के विपरीत था।
- कमरे का दरवाजा खुला: घटना के समय कमरे का दरवाजा अंदर से बंद नहीं था, जिससे यह साफ हुआ कि घटना की परिस्थितियां हत्या की ओर इशारा करती हैं।
- आरोपियों का गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार: कोर्ट ने यह भी कहा कि घटना के बाद आरोपियों ने तुरंत मेडिकल सहायता नहीं दी, जो उनके दोष को साबित करता है।
SUPREME COURT: अपीलकर्ताओं की दलीलें और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
- अपीलकर्ताओं की दलील:
अपीलकर्ताओं ने दावा किया कि मृतका ने आत्महत्या की थी। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने साक्ष्यों का गलत विश्लेषण किया है। - सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया:
कोर्ट ने पाया कि साक्ष्यों का मूल्यांकन सही तरीके से किया गया और ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने दोषियों के खिलाफ ठोस सबूतों पर भरोसा किया।
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने कहा, “ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों में कोई त्रुटि नहीं है। उन्होंने साक्ष्यों का गहराई से मूल्यांकन किया और सही निष्कर्ष निकाला। अपीलकर्ताओं की सजा कानूनी रूप से उचित है।”
कोर्ट ने कहा कि दो अदालतों के समान निर्णय को केवल अटकलों या अनुमान के आधार पर पलटा नहीं जा सकता। कोर्ट ने दोषियों की अपील को खारिज करते हुए उनकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को राहत देने से इनकार कर दिया और कहा कि उनकी दोषसिद्धि और सजा दोनों सही हैं। अदालत ने इसे घरेलू हिंसा और हत्या का गंभीर मामला मानते हुए कहा कि ऐसे मामलों में न्याय प्रक्रिया को सटीक और कठोर होना चाहिए।
मामला: विजय सिंह और अन्य बनाम उत्तराखंड राज्य
अधिवक्ता:
- अपीलकर्ताओं के लिए: सचिन पाटिल, सत्यजीत ए. देसाई, सिद्धार्थ गौतम, अभिनव के. मुथालवार और सचिन सिंह।
- उत्तरदाताओं के लिए: सुदर्शन सिंह रावत, साक्षी सिंह रावत और रचना गांधी।
Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi













1 thought on “SUPREME COURT: महिला की जलने की घटना पर पति-सास की उम्रकैद बरकरार रखी”
यह उचित न्याय व्यवस्था की परिचय हैं,,, निर्मम हत्यारी को फांसी का ही सजा देना चाहिए था,,, पर यह तो भारतीय न्याय हैं…
सुप्रीम कोर्ट को नमन…🙏