SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट की SCBA कैन्टीन ने नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज़ भोजन परोसने का निर्णय लिया है, जो 3 अक्टूबर 2024 को कुछ वकीलों द्वारा भेजे गए एक पत्र के बाद हुआ। इस पत्र में SCBA से मांग की गई थी कि केवल नवरात्रि-अनुकूल भोजन ही परोसा जाए। हालाँकि, इस पत्र का जवाब देते हुए, लगभग 100 वकीलों ने SCBA और SCORA के खिलाफ एक याचिका दायर की, जिसमें नवरात्रि के दौरान केवल नवरात्रि-अनुकूल भोजन परोसने के निर्णय का समर्थन किया गया।
SUPREME COURT: नवरात्रि के दौरान भोजन की परंपरा का महत्व
नवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो देवी दुर्गा की पूजा के लिए समर्पित है। यह त्योहार श्रद्धालुओं के लिए व्रत और उपवास का समय होता है, जिसमें कई लोग नॉन-वेज़, प्याज, लहसुन और अन्य प्रतिबंधित खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करते। इसलिए, नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज़ भोजन परोसना न केवल धार्मिक भावनाओं के प्रति असम्मान माना जाता है, बल्कि यह त्योहार के अनुष्ठान और परंपराओं का भी उल्लंघन है।
SCBA कैन्टीन की निर्णय प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए, कुछ वकीलों ने यह मांग की थी कि नवरात्रि के दौरान केवल नवरात्रि-अनुकूल भोजन ही परोसा जाए। लेकिन कैन्टीन ने नॉन-वेज़ भोजन परोसने का निर्णय लेकर इस परंपरा का पालन नहीं किया।
SUPREME COURT: वकीलों की चिंताएँ और SCBA का समर्थन
एक पत्र में, वकीलों ने यह स्पष्ट किया कि नवरात्रि परंपराओं का पालन करना आवश्यक है और यह Supreme Court Bar के बहुवादी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है। पत्र में उल्लेख किया गया कि Supreme Court परिसर में अन्य कैन्टीन और निजी भोजनालय ऐसे हैं जो नॉन-वेज़ भोजन परोसते हैं, और जो वकील नवरात्रि का पालन नहीं करना चाहते, वे वहां जा सकते हैं।
पत्र में कहा गया, “यह स्पष्ट है कि नवरात्रि का पालन करना SCBA बार की परंपराओं का हिस्सा है। जो वकील इस त्योहार का पालन करते हैं, उनके लिए यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें नवरात्रि-अनुकूल भोजन मिले।”
इस बात पर भी जोर दिया गया कि नवरात्रि का पालन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का हिस्सा है। पत्र में कहा गया, “यह आवश्यक है कि हम अपनी धार्मिक परंपराओं का सम्मान करें और कैन्टीन में नवरात्रि-अनुकूल भोजन परोसा जाए।”
SUPREME COURT: कैन्टीन के मेन्यू पर विवाद
हालाँकि, SCBA के सचिव, अधिवक्ता विक्रांत यादव ने नॉन-वेज़ भोजन परोसने के निर्णय पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा, “यह मुद्दा अब समाप्त हो चुका है, और अदालतें दशहरा के लिए छुट्टी पर हैं।”
इस दौरान, वकीलों ने SCBA के इस निर्णय की आलोचना करते हुए कहा कि नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज़ भोजन परोसने से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचती है। पत्र में लिखा गया, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केवल दो दिन, 3 और 4 अक्टूबर 2024 को, इस निर्णय पर चर्चा की जा रही है।”
वकीलों ने नवरात्रि परंपराओं का पालन करते हुए SCBA कैन्टीन में नॉन-वेज़ भोजन परोसने की आलोचना की है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि परिसर में अन्य विकल्प उपलब्ध हैं। पत्र में कहा गया, “हमारे पास अन्य कैन्टीन और निजी भोजनालय हैं, जो बिना किसी प्रतिबंध के भोजन परोसते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि हम धार्मिक संवेदनाओं का सम्मान करें और नवरात्रि के दौरान अनुकूल भोजन की व्यवस्था करें।”
उन्होंने यह भी कहा कि SCBA के निर्णय से धार्मिक विविधता को बढ़ावा मिलता है और यह सभी वकीलों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करता है।
SUPREME COURT: वकीलों के बीच समर्थन
जब कुछ वकीलों ने नवरात्रि के दौरान अपने घर से खाना लाने का सुझाव दिया, तो जवाबी पत्र में इसे “बेमिसाल” करार दिया गया। पत्र में कहा गया, “यह सुझाव अनावश्यक है और यह ध्यान में नहीं रखता कि सभी वकीलों की व्यावहारिक वास्तविकताएँ भिन्न होती हैं।”
SCBA की कैन्टीन में नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज़ भोजन परोसने का निर्णय कई वकीलों द्वारा आलोचना का विषय बना। वकीलों ने नवरात्रि की परंपराओं का पालन करने की आवश्यकता को रेखांकित किया और SCBA के निर्णय का समर्थन किया। पत्र में स्पष्ट किया गया कि धार्मिक परंपराओं का सम्मान करना आवश्यक है और नवरात्रि के दौरान नॉन-वेज़ भोजन परोसना उचित नहीं है।
इससे साफ पता चलता है कि वकील नवरात्रि की परंपराओं का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और SCBA से अनुरोध कर रहे हैं कि वह धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए केवल नवरात्रि-अनुकूल भोजन परोसना जारी रखे।












