SUPREME COURT: यति नरसिंहानंद की धर्म संसद पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका”

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारत में घृणास्पद भाषणों के मामलों में कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। इस क्रम में, उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में प्रस्तावित यति नरसिंहानंद द्वारा आयोजित धर्म संसद के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग करते हुए पूर्व नौकरशाहों और नागरिक समाज के सदस्यों के एक समूह ने न्यायालय का रुख किया।

SUPREME COURT

याचिकाकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश पुलिस पर आरोप लगाया कि वह इस आयोजन को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने में विफल रही है।

SUPREME COURT: याचिका का विवरण

इस याचिका को सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) संजीव खन्ना के समक्ष प्रस्तुत किया। याचिका में आरोप लगाया गया कि यह प्रस्तावित धर्म संसद, जो इस सप्ताह आयोजित की जानी है, शीर्ष अदालत के 2022 के उन निर्देशों का उल्लंघन करती है, जिनमें घृणा फैलाने वाले भाषणों के मामलों में सख्त कार्रवाई करने की बात कही गई थी।

भूल भुलैया 3: तैमूर के लिए कार्तिक आर्यन की अपील भूल भुलैया 3 दिखाने की खास रिक्वेस्ट

बम धमकियां और जबरन वसूली: केजरीवाल ने दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए 2024 !

2022 के निर्देशों के तहत, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि घृणास्पद भाषण देने वालों के खिलाफ बिना उनके धर्म को देखे कार्रवाई की जानी चाहिए। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश पुलिस इन निर्देशों का पालन करने में विफल रही है और इस प्रकार घृणास्पद भाषणों को रोकने के लिए अदालत के आदेशों की अवमानना हो रही है।

SUPREME COURT: यति नरसिंहानंद और धर्म संसद

यति नरसिंहानंद पर अतीत में भी मुसलमानों के खिलाफ बार-बार भड़काऊ और घृणास्पद भाषण देने का आरोप लगा है। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि इस धर्म संसद के लिए बनाए गए विज्ञापनों और वेबसाइट पर इस्लाम के अनुयायियों के खिलाफ आपत्तिजनक और सांप्रदायिक बयान दर्ज हैं, जो स्पष्ट रूप से समुदाय विशेष के खिलाफ हिंसा को उकसाते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत से अपील की कि वह इस धर्म संसद के आयोजन को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करे। याचिका में कहा गया है:
“इस संसद की वेबसाइट और विज्ञापनों में इस्लाम के अनुयायियों के खिलाफ कई सांप्रदायिक बयान हैं, जो हिंसा भड़काने का स्पष्ट प्रयास करते हैं।”

याचिकाकर्ताओं में प्रमुख नागरिक समाज के सदस्य और पूर्व नौकरशाह शामिल हैं। इनमें अरुणा रॉय, अशोक कुमार शर्मा, देब मुखर्जी, नवरेखा शर्मा, सैयदा हमीद, और विजयन एमजे जैसे कार्यकर्ता और सेवानिवृत्त अधिकारी प्रमुख हैं। उन्होंने यति नरसिंहानंद और इस धर्म संसद को भारत में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाने वाला करार दिया और इसे तुरंत रोकने की मांग की।

SUPREME COURT: न्यायालय की प्रतिक्रिया

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत किया। इस पर शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से तत्काल आवेदन दाखिल करने को कहा, हालांकि याचिकाकर्ताओं ने पहले ही दावा किया कि उन्होंने आवेदन जमा कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि भारत में घृणास्पद भाषणों के मामलों में सख्ती बरतने की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करना अदालत की जिम्मेदारी है कि किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के खिलाफ हिंसा और घृणा फैलाने वाले भाषणों पर रोक लगाई जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी घृणास्पद भाषणों को देश के सामाजिक ताने-बाने के लिए गंभीर खतरा बताया है। 2022 में शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक निर्णय में कहा था कि घृणास्पद भाषण समाज में वैमनस्य फैलाते हैं और इन्हें किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि राज्य सरकारें ऐसी घटनाओं पर सख्त कदम उठाएं, चाहे अपराधी किसी भी धर्म या समुदाय से संबंध रखते हों।

Headlines Live News

SUPREME COURT: याचिका में प्रमुख बिंदु

  1. यति नरसिंहानंद और उनके समर्थकों द्वारा आयोजित धर्म संसद का उद्देश्य सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देना है।
  2. धर्म संसद के विज्ञापनों और वेबसाइट पर घृणा और हिंसा भड़काने वाले बयान दर्ज हैं।
  3. उत्तर प्रदेश पुलिस ने आयोजन को रोकने के लिए कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है।
  4. यह आयोजन सुप्रीम कोर्ट के 2022 के निर्देशों का उल्लंघन करता है।

सुप्रीम कोर्ट में यति नरसिंहानंद की धर्म संसद के खिलाफ दायर याचिका ने देश में घृणास्पद भाषणों के मुद्दे को फिर से उजागर कर दिया है। यह मामला न केवल न्यायपालिका बल्कि सरकार और समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।

अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि शीर्ष अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है और क्या इस धर्म संसद को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं। यह फैसला भारत में घृणास्पद भाषणों के खिलाफ भविष्य की कार्रवाई के लिए एक मिसाल बन सकता है।

SUPREME COURT: यति नरसिंहानंद की धर्म संसद पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका"
Sharing This Post:

Leave a Comment

Optimized by Optimole
DELHI HC: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को सत्येंद्र जैन के मानहानि केस में नोटिस जारी किया BOMBAY HC: पतंजलि पर जुर्माने पर रोक लगाई अतुल सुभाष आत्महत्या: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी और परिवार को न्यायिक हिरासत में भेजा SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी” SUPREME COURT: मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता