SUPREME COURT: बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार को अधिवक्ता अधिनियम, 1961 में संशोधन करने का निर्देश देने की मांग की है, ताकि राज्य बार काउंसिलों में वकीलों के नामांकन शुल्क को बढ़ाया जा सके।
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट का पिछला निर्णय
पिछले साल जुलाई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि राज्य बार काउंसिल और बीसीआई अधिवक्ता अधिनियम द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक नामांकन शुल्क नहीं वसूल सकते। इस निर्णय के अनुसार, बार काउंसिल केवल सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से ₹750 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के उम्मीदवारों से ₹125 का शुल्क ले सकती है।
यह आदेश विभिन्न राज्य बार काउंसिलों द्वारा वसूले जा रहे अत्यधिक नामांकन शुल्क के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद पारित किया गया था।
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बीसीआई ने अपनी याचिका में कहा है कि नामांकन शुल्क उनके लिए आय का मुख्य स्रोत है। बीसीआई का दावा है कि आय के अभाव में बार काउंसिल और बीसीआई के संचालन में गंभीर बाधा उत्पन्न होगी।
याचिका में कहा गया है:
“यदि राज्य बार काउंसिल को वर्तमान सीमा से अधिक शुल्क वसूलने की अनुमति नहीं दी गई, तो बार काउंसिल और बीसीआई का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। वे अपने कर्मचारियों के वेतन और अन्य आवश्यक खर्चों को पूरा करने में असमर्थ होंगे।”
SUPREME COURT: 1993 के बाद नहीं हुआ संशोधन
बीसीआई ने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम के तहत नामांकन शुल्क में आखिरी बार 1993 में संशोधन किया गया था। तीन दशकों से अधिक समय बीतने और बढ़ती मुद्रास्फीति के बावजूद, इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
बीसीआई ने केंद्र सरकार से सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए नामांकन शुल्क ₹25,000 और बीसीआई फंड शुल्क ₹6,250 तक बढ़ाने का अनुरोध किया है।
एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए, प्रस्तावित नामांकन शुल्क ₹10,000 और बीसीआई फंड शुल्क ₹2,500 किया गया है।
बीसीआई ने भारतीय रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति कैलकुलेटर के आधार पर भविष्य में मुद्रास्फीति के अनुरूप नामांकन शुल्क में संशोधन करने की स्वतंत्रता भी मांगी है।
SUPREME COURT: वित्तीय संकट का हवाला
बीसीआई का कहना है कि अगर नामांकन शुल्क नहीं बढ़ाया गया तो बार काउंसिल और बीसीआई का अस्तित्व कठिन हो जाएगा। इसने अदालत को यह भी बताया कि बढ़ती महंगाई और प्रशासनिक खर्चों के चलते आय के स्रोत बढ़ाने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर सुनवाई करेगा, जिसमें यह तय किया जाएगा कि बीसीआई की वित्तीय संकट को देखते हुए नामांकन शुल्क में संशोधन की मांग पर क्या फैसला लिया जाए।