SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 (NFSA) के तहत पात्र व्यक्तियों को राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाते हुए, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 19 नवंबर 2024 की अंतिम तिथि निर्धारित की है। कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन व्यक्तियों को पहले ही राशन कार्ड के लिए पात्र के रूप में पहचाना जा चुका है, उन्हें इस तारीख तक अनिवार्य रूप से राशन कार्ड जारी किए जाने चाहिए।
SUPREME COURT: NFSA के तहत राशन कार्ड जारी करने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से कहा, “जिन सभी व्यक्तियों को NFSA के तहत राशन कार्ड या खाद्यान्न के लिए पात्र माना गया है और जिन्हें संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा पहचाना गया है, उन्हें 19.11.2024 से पहले राशन कार्ड जारी किए जाने चाहिए और उन्हें तत्काल खाद्यान्न भी उपलब्ध कराया जाएगा।”
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि इस अंतिम तिथि तक आदेश का पालन नहीं किया गया, तो संबंधित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभागों के सचिवों को व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष पेश होना होगा। कोर्ट ने NFSA के तहत पात्र व्यक्तियों को राशन कार्ड जारी करने में हो रही देरी पर गहरी नाराजगी व्यक्त की और बताया कि इस संबंध में कई बार आदेश दिए गए हैं, लेकिन कुछ राज्यों में कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई है।
कोर्ट ने बढ़ती नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा, “धैर्य एक गुण हो सकता है, लेकिन हमारा धैर्य अब समाप्ति की ओर है।” यह टिप्पणी अदालत ने उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए की, जिन्होंने पात्र लाभार्थियों की पहचान के बावजूद राशन कार्ड जारी नहीं किए हैं।
SUPREME COURT: 19 नवंबर 2024 अंतिम तिथि
अदालत ने कहा कि जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पात्र व्यक्तियों की पहचान हो चुकी है, वहां उन्हें 19 नवंबर 2024 तक राशन कार्ड जारी करना अनिवार्य है। आदेश में कहा गया, “जिन राज्यों में पहचान के बावजूद 19.11.2024 तक राशन कार्ड जारी नहीं किए गए, वहां के संबंधित खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग के सचिवों को अगली सुनवाई की तिथि पर इस कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहना होगा और यह बताना होगा कि राशन कार्ड क्यों जारी नहीं किए गए हैं।” अदालत ने आगे कहा कि यह मामला 19.11.2024/मंगलवार को उच्च प्राथमिकता के साथ सूचीबद्ध किया जाएगा।
SUPREME COURT: e-Shram पोर्टल पर प्रवासी और असंगठित श्रमिकों का पंजीकरण
सुप्रीम कोर्ट ने e-Shram पोर्टल पर प्रवासी और असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण को “सराहनीय कार्य” बताया है। अदालत ने कहा कि 28.60 करोड़ श्रमिक इस पोर्टल पर पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से केवल 20.63 करोड़ श्रमिक राशन कार्ड डेटा पर पंजीकृत हैं। कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए सभी पात्र श्रमिकों को राशन कार्ड जारी करने का निर्देश दिया।
इससे पहले, अप्रैल 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को e-Shram पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड जारी करने के लिए तीन महीने का समय दिया था।
कोर्ट ने कहा था, “हम संबंधित राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को e-Shram पोर्टल पर पंजीकृत व्यक्तियों को राशन कार्ड जारी करने के लिए तीन महीने का और समय देते हैं। इस कार्य के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए और संबंधित जिला कलेक्टर के माध्यम से इन व्यक्तियों से संपर्क किया जाए, ताकि अधिक से अधिक पंजीकृत व्यक्तियों को राशन कार्ड जारी किए जा सकें और वे केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ उठा सकें, जिसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत मिलने वाले लाभ भी शामिल हैं।”
SUPREME COURT: प्रवासी श्रमिकों के लिए अदालत के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों के लिए कई निर्देश जारी किए थे। तीन कार्यकर्ताओं की याचिका पर, कोर्ट ने प्रवासी श्रमिकों के कल्याण के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे कोविड-19 महामारी के दौरान प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त सूखा राशन उपलब्ध कराने के लिए योजनाएं तैयार करें।
अदालत ने केंद्र सरकार से भी कहा था कि वह इन योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त खाद्यान्न आवंटित करे। इसके साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कानून के तहत सभी प्रतिष्ठानों का पंजीकरण करना होगा और सभी ठेकेदारों को लाइसेंस जारी करना होगा। इसके अलावा, ठेकेदारों पर यह कर्तव्य भी लागू होगा कि वे प्रवासी श्रमिकों का पूरा विवरण दें, ताकि उनकी पहचान हो सके और उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके।
SUPREME COURT: प्रवासी श्रमिकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं का लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए जिन योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है, उनमें सबसे प्रमुख राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) है, जिसके तहत राशन कार्ड प्राप्त करना अनिवार्य है। अदालत ने जोर देते हुए कहा कि सभी पात्र व्यक्तियों को समय पर राशन कार्ड जारी किए जाने चाहिए, ताकि उन्हें खाद्यान्न और अन्य कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
मामले का शीर्षक: In Re Problems and Miseries of Migrant Labourers
इस आदेश के बाद, अब राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा के भीतर राशन कार्ड जारी कर दें। अदालत ने स्पष्ट किया है कि यदि 19 नवंबर 2024 तक पात्र व्यक्तियों को राशन कार्ड नहीं दिए जाते, तो संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होना होगा और इसका कारण बताना होगा।












