TAMIL NADU VS BHARAT 2025 में राज्य सरकार ने क्यों बदला ‘₹’ चिह्न? केंद्र सरकार ने दिया जवाब. क्या तमिलनाडू हुआ भारत से अलग?
TAMIL NADU VS BHARAT 2025 : तमिल नाडु को भारत से अलग समझते है एम के स्टालिन
‘भारत’ अपनी विवधताओं को लेकर दुनियाभर में मशहूर माना जाता है, चाहे फिर वो हर प्रांत में रहने वाले विविध जाति के लोग हो या फिर उनके द्वारा बोले जाने वाली विभिन्न भाषाएं हो. यहां बोले जाने वाली हर भाषा में अलग मिठास है और उनकी अपनी पहचान हैं. जो भारत को जोड़कर रखता है. लेकिन इसी अखंडता के दुश्मन भारत में भी कई हैं, जिसमें से एक तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन है. जो हिंदी भाषा को राज्यों पर बोझ समझते हैं. इतना ही नहीं, हिंदी से नफ़रत के चक्कर में उन्होंने सदियों से भारतीय करन्सी की पेहचान बने ‘₹’ रुपये के चिह्न को भी राज्य से हटाने की बात कही है.
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दरअसल, डीएमके प्रमुख एम. के स्टालिन की राज्य सरकार ने तमिल नाडु में पेश होने वाले 2025-26 सत्र के बजट पेशी के दौरान बजट LOGO पर रुपये के आधिकारिक चिह्न ‘₹’ को तमिल भाषा के ‘ரூ’ चिह्न से बदल दिया. हालांकि सीएम स्टालिन के इस फैसले को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन और बीजेपी प्रवक्ता नारायण तिरुपति ने उनपर पलटवार किया है.
नारायण तिरुपति ने सीएम स्टालिन के इस फैसले का विरोध करते हुए ये कहा कि “स्टालिन के इस कदम से लग रहा है मानो वो कहना चाहते हैं कि ‘तमिलनाडु भारत से अलग है’.”
वहीं दूसरी तरफ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने डीएमके पर हमला बोलते हुए ये कहा कि अगर उन्हें ‘₹’ से इतनी ही दिक्कत थी, तो पार्टी ने 2010 में इसका विरोध क्यों नहीं किया? साथ ही उनका ये भी कहना है कि ‘₹’ को डीएमके के ही पूर्व विधायक एन. धर्मलिंगम के बेटे टी.डी. उदय कुमार ने रुपये के तौर पर डिजाइन किया था. जिसे मिटाकर न केवल एक राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान होगा, बल्कि एक तमिल युवा के रचनात्मक योगदान की भी पूरी तरह से अवहेलना होगी.
TAMIL NADU VS BHARAT 2025 : विदेशों में भी भारतीय रुपया ‘₹’ का तबका
वित्त मंत्री सीतारमण का कहना है कि भारतीय रुपये का वैश्विक स्तर पर अच्छा मूल्य है. जो अंतरराष्ट्रीय तौर पर वित्तीय रूप में एक पहचान के तौर पर काम करता है. जिसमें इंडोनेशिया, मालदीव, मॉरीशस, नेपाल, सेशेल्स और श्रीलंका सहित कई देश शामिल हैं.
इतना ही नहीं, तमिल शब्द “रुपाई” (ரூபாய்) की उत्पत्ति संस्कृत शब्द “रुप्या” से हुई है, जो चांदी के सिक्के को दर्शाता है. साथ ही, ये शब्द तमिल के व्यापार और उसके साहित्य के साथ सदियों से जुड़ा है. इससे साफ स्पष्ट होता है कि हिंदी भाषा किसी भाषा पर हावी नहीं, बल्कि उसके साथ से, उसके मेल से पूर्ण होती है.
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