VICTORY DAY PARADE: रूस में ‘विक्ट्री डे परेड’ हर साल 9 मई को मॉस्को के रेड स्क्वायर पर आयोजित की जाती है।
.यह परेड द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ की विजय की स्मृति में होती है। इस वर्ष, रूस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस परेड में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है।
VICTORY DAY PARADE: विक्ट्री डे परेड का इतिहास
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, सोवियत संघ ने नाजी जर्मनी के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। युद्ध के अंत में, 8 मई 1945 को जर्मनी ने मित्र देशों के सामने आत्मसमर्पण किया। मॉस्को के समयानुसार यह 9 मई था, इसलिए रूस इस दिन को ‘विक्ट्री डे’ के रूप में मनाता है। पहली विक्ट्री डे परेड 24 जून 1945 को जोसेफ स्टालिन के आदेश पर रेड स्क्वायर में आयोजित की गई थी, जिसमें सोवियत सेना ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया था
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विक्ट्री डे परेड का महत्व
यह परेड रूस के लिए न केवल ऐतिहासिक विजय का प्रतीक है, बल्कि अपनी सैन्य शक्ति और राष्ट्रीय गर्व का प्रदर्शन भी है। हर साल, इस परेड में हजारों सैनिक, टैंक, मिसाइलें और अन्य सैन्य उपकरण प्रदर्शित किए जाते हैं, जिससे रूस अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन करता है。
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निमंत्रण
रूस के उप विदेश मंत्री एंड्री रुडेंको ने पुष्टि की है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 9 मई को मॉस्को में होने वाली विक्ट्री डे परेड में शामिल होने के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा गया है। यह निमंत्रण भारत और रूस के बीच मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक है।
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वर्तमान संघर्षों में विक्ट्री डे की नई प्रासंगिकता
वर्तमान में, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के कारण विक्ट्री डे परेड का महत्व और बढ़ गया है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस परेड का उपयोग राष्ट्रीय एकता और सैन्य शक्ति के प्रदर्शन के लिए करते हैं। हालांकि, पश्चिमी देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच, इस परेड को विभिन्न दृष्टिकोणों से देखा जा रहा है।
सैन्य शक्ति का प्रतीक बन चुकी है विक्ट्री डे परेड
रूस की विक्ट्री डे परेड इतिहास, सैन्य शक्ति और राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस परेड में आमंत्रित किया जाना भारत-रूस संबंधों की गहराई को दर्शाता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में यह परेड क्या संदेश देती है।