21 सीटों पर दावेदारी: दिल्ली विधानसभा चुनाव की गहमागहमी में एक नई पार्टी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है।
राइट टू रिकॉल पार्टी, जो पहले भी विभिन्न चुनावों में अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुकी है, ने इस बार 21 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। यह पार्टी दिल्ली चुनावी समीकरणों में क्या बदलाव ला सकती है, इस पर चर्चा तेज हो गई है।
21 सीटों पर दावेदारी: नामांकन प्रक्रिया समाप्त पार्टियों ने तेज किया प्रचार अभियान
17 जनवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। 5 फरवरी को मतदान निर्धारित है और सभी राजनीतिक पार्टियां प्रचार अभियान में जुट गई हैं। इस बार का मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। लेकिन कई छोटी पार्टियां भी चुनावी मैदान में अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं।
राइट टू रिकॉल पार्टी ने 21 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर सबको चौंका दिया है। पार्टी के अध्यक्ष राहुल चिमनभाई मेहता, जो आईआईटी दिल्ली से स्नातक हैं, ने दावा किया है कि उनकी पार्टी भारत की हर समस्या का समाधान पेश करने के लिए तैयार है।
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जनता को अधिकार देने की पहल: राइट टू रिकॉल पार्टी का दृष्टिकोण
राइट टू रिकॉल पार्टी की स्थापना 2019 में हुई थी, लेकिन इसके कार्यकर्ता 1999 से ही अपने मुद्दों और कानून ड्राफ्ट्स का प्रचार कर रहे हैं। पार्टी के प्रमुख मुद्दों में जनता को अधिक अधिकार देने वाले कानून, पारदर्शी शासन और जवाबदेह प्रशासन शामिल हैं।
पार्टी के अध्यक्ष राहुल चिमनभाई मेहता का कहना है कि राइट टू रिकॉल पार्टी भारत की एकमात्र पार्टी है, जिसके पास हर समस्या का कानून ड्राफ्ट आधारित समाधान मौजूद है। उनका दावा है कि उनकी नीतियां देश की समस्याओं का स्थायी समाधान प्रस्तुत करती हैं।
किन 21 सीटों पर उतारे गए उम्मीदवार?
राइट टू रिकॉल पार्टी ने निम्नलिखित 21 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं:
- नई दिल्ली: संतोष तिवारी
- तुगलकाबाद: नरेश कुमार
- ओखला: मोहम्मद इस्लाम
- मॉडल टाउन: अवधेश कुमार झा
- वजीरपुर: महेश बंसल
- उत्तम नगर: रमेश कुमार जैन
- चांदनी चौक: राहुल तिवारी
- मटियाला: योगेश कुमार शर्मा
- नजफगढ़: राहुल कुमार
- मेहरौली: शारदा सिंह
- अम्बेडकर नगर: गुलशन भारती
- मुंडका: संजय कुमार यादव
- मोतीनगर: गौरव बोथरा
- राजौरी गार्डन: विशाल सांगवान
- लक्ष्मी नगर: डॉ. अनिमा ओझा
- घोंडा: शुभम कश्यप
- गोकलपुर: डॉ. चरण सिंह मालियान
- बुराड़ी: ध्रुव कुमार शास्त्री
- कोंडली: निखिल कुमार पिपल
- सीमापुरी: डॉ. चरण सिंह मालियान
- द्वारका: योगेश स्वामी
मुख्य चुनावी मुद्दे
राइट टू रिकॉल पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में कुछ अनूठे और जनता से जुड़े मुद्दों को उठाया है।
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1. ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव
पार्टी का मानना है कि काले कांच वाली ईवीएम मशीनें पारदर्शी नहीं हैं और इससे चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ियां हो सकती हैं। इसलिए पार्टी बैलेट पेपर के माध्यम से चुनाव करवाने की वकालत करती है।
2. ‘सरकारी जमीन किराया बंटवारा’ कानून
पार्टी चाहती है कि दिल्ली में सभी सरकारी जमीन का डेटा इंटरनेट पर सार्वजनिक किया जाए और इन जमीनों को लीज पर दिया जाए। इससे जमीनों के दाम और किराये में कमी आएगी, जिससे मध्यम और निम्न वर्ग के लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
3. आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान
‘आवारा कुत्ता पकड़ अधिकारी’ की नियुक्ति पर जोर देते हुए पार्टी का कहना है कि इससे दिल्ली में आवारा कुत्तों की समस्या से निजात मिलेगी।
4. वोट वापसी कानून
मुख्यमंत्री समेत अन्य पदों पर ‘वोट वापसी कानून’ लागू करने की योजना है, ताकि यदि कोई नेता गलत काम करता है, तो जनता उसे कार्यकाल के बीच में भी हटा सके।
5. पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध का निरस्त्रीकरण
पार्टी चाहती है कि दिल्ली में पुरानी गाड़ियों पर लगे प्रतिबंध को हटाया जाए। उनका मानना है कि इससे मध्यम वर्ग के लोग प्रभावित हो रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का विस्तार
राइट टू रिकॉल पार्टी केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है। पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 33 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। इसके अलावा महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों में क्रमशः 18 और 9 उम्मीदवार खड़े किए थे।
पार्टी अब बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है और दावा किया है कि वे बिहार की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।
MODEL TOWN VIDHANSABHA | AKHILESH PATHI TRIPATHI | Bolega India
SHALIMAR BAGH VIDHANSABHA | PRAVEEN JAIN | JAMINI HAKIKAT
ROHINI VIDHANSABHA | MLA VIJENDAR YADAV | Bolega India
WAZIR PUR VIDHANSABHA | MLA RAJESH GUPTA | NOMINATION
TRI NAGAR VIDHANSABHA | MLA PRITI JITENDAR TOMAR | Bolega India
WAZIR PUR VIDHANSABHA | POONAM BHARDWAJ
क्या राइट टू रिकॉल पार्टी परख में खरी उतरेगी?
दिल्ली विधानसभा चुनाव में राइट टू रिकॉल पार्टी का प्रभाव सीमित हो सकता है, लेकिन यह पार्टी उन वोटरों को आकर्षित कर सकती है जो मौजूदा पार्टियों से निराश हैं।
- सत्ता दलों पर दबाव: राइट टू रिकॉल पार्टी के मुद्दे बड़े दलों को जनता के हितों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकते हैं।
- छोटे दलों का उभार: यदि पार्टी 21 सीटों पर प्रभावी प्रदर्शन करती है, तो यह दिल्ली की राजनीति में छोटे दलों की संभावनाओं को बढ़ा सकता है।
- जनता की उम्मीदें: पार्टी की अनूठी नीतियां और समस्याओं का समाधान वोटरों को आकर्षित कर सकता है।
राइट टू रिकॉल पार्टी की चुनावी रणनीति
राइट टू रिकॉल पार्टी का दिल्ली विधानसभा चुनाव में 21 सीटों पर दावेदारी करना इस बात का संकेत है कि छोटे दल भी बड़े मुद्दों पर चर्चा का हिस्सा बनना चाहते हैं। पार्टी की अनूठी नीतियां और जनता से जुड़े मुद्दे इसे अन्य दलों से अलग बनाते हैं। हालांकि, इसका चुनावी प्रदर्शन कैसा रहेगा, यह 5 फरवरी के मतदान और 8 फरवरी को आने वाले नतीजों पर निर्भर करेगा।












