झुग्गी तोड़फोड़: वजीर पुर बी ब्लॉक रेलवे लाइन के नजदीक बनी झुग्गी बस्ती मे सुबह कई बुलडोजर एक साथ भारी फोर्स के साथ पहुच गए|
कई मकानों को आज तोड़ दिया गया है बताया जा रहा है की ये कोर्ट के ऑर्डर से तोड़ फोड़ हुई है लेकिन वही आप पार्टी इसे भाजपा की साजिश बात रही है इस मोके पर इलाके के कई लोकल नेता भी पहुच गए थे जिन्होंने अपना कडा विरोध दर्ज करवाया है वही कल निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के निकट बारापुला नाले के किनारे बसी मद्रासी बस्ती में रविवार सुबह दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर बुलडोजर चलाकर 600 से अधिक पक्के मकानों को ध्वस्त कर दिया।
ज्यादातर दो से तीन मंजिला इन मकानों में मालिकों के साथ-साथ कई किराएदार परिवार भी रहते थे। इस कार्रवाई से प्रभावित दक्षिण भारतीय मूल के ज्यादातर निवासी साउथ एक्सटेंशन, जंगपुरा और निजामुद्दीन जैसे इलाकों में घरेलू नौकर, प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड और अन्य छोटे-मोटे काम करते हैं।
बिना ठोस नोटिस के तोड़े गए मकान
सुबह करीब 7 बजे PWD अधिकारियों ने कई थानों की पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ तीन जेसीबी मशीनों के साथ बस्ती में प्रवेश किया। कार्रवाई को देखकर बस्ती में भगदड़ मच गई। कुछ निवासियों ने हल्का विरोध किया, लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी में स्थिति नियंत्रित रही। प्रभावित लोगों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त नोटिस नहीं दिया गया। कुछ घरों को PWD ने नोटिस जारी किया था, लेकिन सभी मकानों तक यह सूचना नहीं पहुंची। निवासियों का दावा है कि वे 40-50 साल से यहां रह रहे हैं, और कई लोग यहीं पैदा हुए हैं।
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40 साल से बस्तियों में रह रहे लोगों को आवास से वंचित
प्रभावित निवासियों ने बताया कि शनिवार को 170 लोगों को नरेला में फ्लैट आवंटित किए गए, लेकिन बाकी लोगों को यह सुविधा नहीं मिली। एक निवासी ने कहा, “हम भी 40 साल से यहां रह रहे हैं, हमें फ्लैट क्यों नहीं दिए गए?” दूसरी ओर, आसपास की अन्य बस्तियों में किराए के मकानों का किराया दोगुना होकर 12,000 से 15,000 रुपये तक पहुंच गया है, जो पहले 6,000 से 8,000 रुपये था। निवासियों ने आरोप लगाया कि पास की अन्य बस्तियां भी नाले की जमीन पर बसी हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश और नाले की सफाई
दिल्ली हाई कोर्ट ने 9 मई 2025 को बारापुला नाले की सफाई और अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था, ताकि मानसून के दौरान जलभराव की समस्या से बचा जा सके। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मद्रासी कैंप के निवासी सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करने वाले हैं और उन्हें पुनर्वास के अधिकार के अलावा कोई अन्य अधिकार नहीं है। 370 झुग्गियों में से 189 परिवारों को दिल्ली स्लम एंड झुग्गी पुनर्वास नीति 2015 के तहत नरेला में फ्लैट आवंटित किए गए हैं। कोर्ट ने PWD, DDA, MCD और DUSIB को 20 मई से पात्र निवासियों को नरेला शिफ्ट करने और 1 जून से ध्वस्तीकरण शुरू करने का निर्देश दिया था।
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झुग्गी तोड़फोड़ पर AAP-BJP आमने-सामने
इस कार्रवाई को लेकर आम आदमी पार्टी (AAP) और बीजेपी में तीखी सियासी जंग छिड़ गई है। AAP के प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी ने 24 घंटे में ही “झुग्गी नहीं तोड़ने” का वादा तोड़ दिया। उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध किया। नेता प्रतिपक्ष आतिशी ने भी बीजेपी सरकार पर हमला बोला, दावा किया कि AAP शासनकाल में ऐसी कार्रवाइयों को रोका गया था।
दूसरी ओर, बीजेपी दिल्ली अध्यक्ष नरेंद्र सचदेवा ने कहा कि यह कार्रवाई AAP शासनकाल में ही जारी दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर आधारित है। उन्होंने बीजेपी की “जहां झुग्गी, वहां मकान” नीति का हवाला देते हुए कहा कि पात्र परिवारों को नरेला में फ्लैट दिए गए हैं, और नाले की सफाई न होने से जलभराव की समस्या बढ़ रही थी।
प्रभावित परिवारों का कहना है कि नरेला में शिफ्टिंग उनके लिए मुश्किल है, क्योंकि यह उनके कार्यस्थल से 40 किलोमीटर दूर है। इससे उनकी आजीविका और बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ेगा। निवासियों ने वैकल्पिक आवास की मांग की है।
मुंडका-पंजाबी बाग मेट्रो रूट पर ट्रैफिक जाम से राहत की तैयारी
यह कार्रवाई दिल्ली में मानसून से पहले नालों की सफाई और जलभराव रोकने के लिए हाई कोर्ट के व्यापक निर्देशों का हिस्सा है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि नाले के प्रवाह में रुकावट पैदा करने वाली किसी भी संरचना को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस बीच, पंजाबी बाग से मुंडका मेट्रो स्टेशन तक जाम की समस्या से निपटने के लिए भी नाले की सफाई और अतिक्रमण हटाने पर जोर दिया जा रहा है।












