WAQF ACT: मुनंबम भूमि विवाद ने केरल में एक नया मोड़ लिया है, जहाँ वक्फ बोर्ड और भूमि मालिकों के बीच बढ़ते तनाव के बीच लगभग 600 पक्षों ने आंदोलन शुरू किया है। इन पक्षों का दावा है कि वे फारूक कॉलेज, कोझिकोड की समिति से वक्फ अधिनियम के लागू होने से पहले मुनंबम में स्थित भूमि के वैध खरीदार हैं।
यह विवाद न केवल भूमि अधिकारों को लेकर है, बल्कि इसके साथ ही वक्फ अधिनियम, 1995 की वैधता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। पिछले महीने से यह मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है, जब वक्फ बोर्ड ने भूमि स्वामित्व पर दावा किया और उसके बाद बेदखली नोटिस जारी किए।
WAQF ACT: केरल उच्च न्यायालय की टिप्पणी
केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को इस मामले पर अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी दी, जिसमें न्यायमूर्ति अमित रावल और न्यायमूर्ति केवी जयकुमार की खंडपीठ ने कहा कि भूमि मालिकों को इस मामले में सिविल मुकदमा दायर करना चाहिए, क्योंकि यह मूलतः भूमि विवाद से संबंधित मामला है।
ALLAHABAD HC: कपिल सिब्बल ने जस्टिस एसके यादव के खिलाफ महाभियोग की मांग की
ALLAHABAD HC: महिला को सिविल जज नियुक्ति का आदेश दिया
न्यायमूर्ति रावल ने कहा, “आपको यह घोषणा करवानी होगी कि आप मालिक हैं। हम आपको बेदखली पर स्थगन दे सकते हैं, और यह तब तक जारी रहेगा जब तक आप नया अंतरिम स्थगन प्राप्त नहीं कर लेते। हम आपकी रक्षा करेंगे।” हालांकि, इस दौरान पीठ ने कोई आदेश पारित नहीं किया, लेकिन यह टिप्पणी स्पष्ट करती है कि उच्च न्यायालय भूमि मालिकों की अस्थायी रक्षा करेगा, जब तक वे कानूनी रास्ते से इसे साबित नहीं कर लेते।
WAQF ACT: वक्फ बोर्ड और भूमि मालिकों के बीच विवाद
वक्फ अधिनियम, 1995 के तहत, वक्फ संपत्तियों के नियंत्रण और संरक्षण के लिए वक्फ बोर्ड को अधिकार प्राप्त हैं। मुनंबम भूमि विवाद में वक्फ बोर्ड का कहना है कि भूमि का स्वामित्व उसके पास है, और इसे बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
इसके जवाब में, फारूक कॉलेज की समिति से भूमि खरीदने का दावा करने वाले लगभग 600 पक्षों ने विरोध प्रदर्शन किया है और यह आंदोलन पिछले महीने से जारी है। इन पक्षों का कहना है कि भूमि उनके द्वारा वैध रूप से खरीदी गई थी, और वक्फ बोर्ड का दावा अनुचित है।
राजस्व विभाग ने भी वक्फ बोर्ड के अनुरोध पर भूमि के अधिकारों का रिकॉर्ड (ROR) जारी करने से इनकार कर दिया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। मुनंबम में विरोध प्रदर्शन जारी हैं, और राजनीतिक दल भी इस मुद्दे पर अपने-अपने रुख को लेकर विभाजित हैं।
WAQF ACT: संवैधानिक चुनौतियाँ और वक्फ अधिनियम
मुनंबम भूमि विवाद के मामले में, फारूक कॉलेज की भूमि के विभिन्न हिस्सों के खरीदारों ने वक्फ अधिनियम, 1995 के विभिन्न प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। उनका मुख्य तर्क यह है कि वक्फ अधिनियम के प्रावधान असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण हैं क्योंकि वे वक्फ संपत्तियों को विशेष दर्जा देते हैं, जबकि अन्य धार्मिक संस्थाओं जैसे ट्रस्ट, मठ, अखाड़ा और सोसाइटियों को समान दर्जा देने से इनकार करते हैं।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि वक्फ अधिनियम में गैर-इस्लामिक समुदायों के लिए कोई सुरक्षा प्रावधान नहीं है, जिसके कारण वे अपनी धार्मिक और निजी संपत्तियों को वक्फ सूची में शामिल होने से बचा नहीं सकते।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस प्रावधान के कारण संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), अनुच्छेद 15 (भेदभाव निषेध), अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता), अनुच्छेद 27 (धर्मार्थ उद्देश्य के लिए करों में छूट), और अनुच्छेद 300-ए (संपत्ति के अधिकार) का उल्लंघन हो रहा है।
याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया है कि वक्फ अधिनियम में यह सुनिश्चित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं है कि प्रभावित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया जाए, जिससे प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है।
उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के मनमाने तरीके से वक्फ अधिनियम के तहत अनुचित शक्तियों का उपयोग करते हुए अन्य समुदायों की भूमि और सरकारी भूमि पर कब्जा कर लेता है, जबकि इन भूमि पर किसी मुस्लिम का कोई अधिकार या दावा नहीं हो सकता।
WAQF ACT: राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ
मुनंबम भूमि विवाद केवल कानूनी मामला नहीं बल्कि एक राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा भी बन गया है। विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे पर अपने-अपने रुख को लेकर स्पष्ट हैं। जहां एक ओर कुछ दल वक्फ बोर्ड के पक्ष में हैं, वहीं अन्य दल भूमि मालिकों के अधिकारों की रक्षा करने की बात कर रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप मुनंबम में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं, और इस मामले पर राजनीतिक बयानबाजी भी लगातार जारी है।
WAQF ACT: अंतिम विचार
मुनंबम भूमि विवाद में वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता पर चुनौती और वक्फ बोर्ड द्वारा भूमि पर कब्जे की कार्रवाई ने केरल में एक गंभीर कानूनी और सामाजिक विवाद को जन्म दिया है।
उच्च न्यायालय ने इस मामले पर अस्थायी सुरक्षा देने की बात की है, लेकिन यह विवाद तब तक जारी रहेगा जब तक इसे अदालतों में अंतिम रूप से हल नहीं किया जाता। इस मामले में सरकार और वक्फ बोर्ड की भूमिका महत्वपूर्ण होगी, और यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में उच्च न्यायालय इस विवाद का समाधान कैसे करता है।