BJP GOVERNMENT की नई नीति: दिल्ली में AAP सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद कानून विभाग ने केंद्र सरकार और उपराज्यपाल (LG) के खिलाफ दायर अदालती मामलों की समीक्षा शुरू कर दी है।
कानून विभाग ने सभी संबंधित मामलों की विस्तृत सूची मांगी है और यह संभावना जताई जा रही है कि नए प्रशासन के तहत कुछ मामलों को वापस लिया जा सकता है। इससे मुकदमेबाजी का खर्च कम होगा और केंद्र-राज्य संबंधों में सुधार हो सकता है।
BJP GOVERNMENT की नई नीति: AAP सरकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई और BJP की नई नीति
दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद कानून विभाग सक्रिय हो गया है। उसने केंद्र और उपराज्यपाल के खिलाफ पिछले कुछ वर्षों में दायर सभी अदालती मामलों की जानकारी जुटाने के लिए सभी विभागों को निर्देश दिया है। सूत्रों के अनुसार, AAP सरकार और केंद्र के बीच हुई कानूनी लड़ाइयों में अब तक 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। यह खर्च सरकारी संसाधनों और समय की बड़ी बर्बादी के रूप में देखा जा रहा है।
BJP की नई सरकार का मानना है कि अनावश्यक मुकदमेबाजी को समाप्त कर केंद्र और राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि एक बार विस्तृत रिपोर्ट आने के बाद, नई सरकार अदालत से उन मामलों को वापस लेने का अनुरोध कर सकती है, जो अब प्रासंगिक नहीं हैं।
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AAP बनाम केंद्र और LG बढ़ते टकराव का कानूनी असर
AAP सरकार के दौरान कई बार केंद्र और उपराज्यपाल के साथ टकराव देखने को मिला। इस वजह से अदालतों में कई याचिकाएं दायर की गईं। खासकर मई 2022 में वीके सक्सेना के उपराज्यपाल बनने के बाद अदालती मामलों की संख्या में काफी इजाफा हुआ। इनमें से कुछ प्रमुख मामलों में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सेवाओं से जुड़े मामलों पर विवाद: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने यह याचिका दायर की थी कि प्रशासनिक सेवाओं का नियंत्रण उनके पास रहना चाहिए, लेकिन केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश लाकर यह अधिकार LG को सौंप दिया।
- यमुना प्रदूषण मामला: LG वीके सक्सेना की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसे AAP सरकार ने अदालत में चुनौती दी।
- विभिन्न विभागीय अधिकारों पर विवाद: कई ऐसे मामले भी दर्ज किए गए, जिनमें दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के अधिकारों को लेकर टकराव हुआ।
नई सरकार के रुख में बदलाव
दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार में सेवाओं से जुड़े मामलों को LG के अधीन करने का फैसला लिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एक अध्यादेश लाया गया और फिर कानून बनाया गया। अब, चूंकि दिल्ली में BJP की सरकार आ चुकी है, ऐसे मामलों को जारी रखने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। नई सरकार इन मुकदमों को वापस लेने के लिए अदालत का रुख कर सकती है।
अधिकारी ने आगे कहा कि “इन मामलों को वापस लेने से केंद्र सरकार, LG और निर्वाचित सरकार के बीच टकराव खत्म हो जाएगा। इससे प्रशासनिक कामकाज में तेजी आएगी और विकास कार्यों को गति मिलेगी। BJP सरकार की प्राथमिकता विकास कार्यों को आगे बढ़ाना है, न कि कानूनी लड़ाइयों में उलझे रहना।”
कानून विभाग ने मांगी विस्तृत जानकारी
दिल्ली सरकार के कानून, न्याय और विधायी मामलों के विभाग ने सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों और अतिरिक्त मुख्य सचिवों को निर्देश दिया है कि वे अदालती मामलों की सूची तैयार करें। इसमें निम्नलिखित बिंदुओं का उल्लेख होना चाहिए:
- केस का संक्षिप्त विवरण
- संबंधित अदालत की ओर से जारी अंतिम निर्देश
- विभाग की ओर से अब तक दायर जवाब
- AAP सरकार द्वारा नियुक्त वकीलों के नाम और उनके कार्यों का विवरण
- प्रशासनिक विभागों के बचाव पक्ष के वकीलों की जानकारी
- अदालत में सुनवाई की अगली तारीख
इसके अलावा, कानून विभाग ने सभी सरकारी वकीलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि वे अदालत में कोई भी बयान विभाग के प्रशासनिक सचिव की मंजूरी के बाद ही दें। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सरकार के पक्ष को सही तरीके से रखा जाए और कोई भ्रामक जानकारी न दी जाए।
AAP सरकार के कानूनी खर्च पर उठे सवाल
सूत्रों के अनुसार, AAP सरकार के कार्यकाल में केंद्र और उपराज्यपाल के खिलाफ दर्ज मामलों पर 300 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च हुआ। यह धनराशि कानूनी फीस, वकीलों की नियुक्ति, अदालत में लंबित मामलों से जुड़े खर्चों और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं में खर्च की गई। इस भारी-भरकम खर्च को लेकर भी नई सरकार सवाल उठा सकती है और जांच करा सकती है कि यह राशि कहां और कैसे खर्च की गई।
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कानूनी मामलों की वापसी पर AAP ने उठाए सवाल
AAP नेताओं की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि यह कदम राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा हो सकता है। AAP सरकार ने हमेशा केंद्र सरकार पर हस्तक्षेप का आरोप लगाया था और इसे अदालत में चुनौती दी थी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि यदि BJP सरकार मामलों को वापस लेती है, तो यह इस बात का प्रमाण होगा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार के खिलाफ जानबूझकर कानूनी कार्रवाई की थी।
AAP सरकार के कानूनी मामलों की समीक्षा शुरू
दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद AAP सरकार के कार्यकाल में दर्ज कानूनी मामलों की समीक्षा शुरू हो चुकी है। नए प्रशासन के तहत, केंद्र और उपराज्यपाल के खिलाफ दायर कई मुकदमों को वापस लिया जा सकता है। इससे मुकदमेबाजी का खर्च बचेगा और केंद्र-राज्य संबंधों में सुधार होगा। हालांकि, इस फैसले का राजनीतिक असर भी देखने को मिल सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में BJP सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है और AAP इस पर कैसी प्रतिक्रिया देती है।












