परमाणु डील पर खामेनेई: ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर बढ़ते तनाव ने वैश्विक राजनीति में एक नया मोड़ ले लिया है।
ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की भूमिका और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आक्रामक नीति के चलते यह टकराव और भी गंभीर होता जा रहा है।
परमाणु डील पर खामेनेई: ईरान का परमाणु कार्यक्रम और अमेरिका की चिंता
ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया है, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में चिंता बढ़ गई है। डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि यदि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को नहीं रोकता, तो अमेरिका सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
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अमेरिका का इतिहास: तानाशाहों के खिलाफ कार्रवाई
अमेरिका ने अतीत में कई तानाशाहों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की है:
- सद्दाम हुसैन (इराक): 2003 में अमेरिका ने इराक पर हमला कर सद्दाम हुसैन की सत्ता समाप्त की।
- मुअम्मर गद्दाफी (लीबिया): 2011 में नाटो की मदद से गद्दाफी की सरकार गिराई गई और उन्हें मार दिया गया।
- ओसामा बिन लादेन (अल-कायदा): 2011 में अमेरिका ने पाकिस्तान में ऑपरेशन चलाकर बिन लादेन को मार गिराया।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठा सकता है।
अमेरिकी हमला हुआ तो ईरान के प्रॉक्सी संगठन करेंगे बड़ा पलटवार!
ईरान ने हमेशा प्रॉक्सी वॉर की रणनीति अपनाई है। यदि अमेरिका ने सीधे हमला किया, तो ईरान अपने प्रॉक्सी संगठनों को सक्रिय कर सकता है, जिससे इजरायल और खाड़ी क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
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ट्रंप और नेतन्याहू की भूमिका
डोनाल्ड ट्रंप और इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू दोनों ही ईरान के खिलाफ कठोर रुख अपनाए हुए हैं। नेतन्याहू ने तेहरान के लिए लीबिया की शैली की निरस्त्रीकरण योजना पर जोर दिया है, जिससे गद्दाफी के शासन का अंत हुआ था। ट्रंप भी इस दृष्टिकोण का समर्थन कर सकते हैं, जिससे मिडिल ईस्ट में तनाव और बढ़ सकता है।
क्या तीसरे विश्व युद्ध की आहट?
ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक शांति के लिए खतरा बन सकता है। यदि दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से समाधान नहीं निकालते, तो यह टकराव एक बड़े युद्ध में बदल सकता है, जिसका असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा।