supreme court: RG कर मेडिकल कॉलेज बलात्कार मामले में सिविक वॉलंटियर्स की नियुक्ति पर WB सरकार से रिपोर्ट मांगी

Photo of author

By headlineslivenews.com

Spread the love

supreme court: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक पोस्टग्रेजुएट प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को कई महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। इस मामले की सुनवाई के दौरान, न्यायमूर्ति DY चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति JB पारदीवाला, और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य से नागरिक स्वयंसेवकों की नियुक्ति के संबंध में विस्तृत जानकारी मांगी।

supreme court

supreme court: नागरिक स्वयंसेवकों की जानकारी

कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को यह बताना होगा कि नागरिक स्वयंसेवकों को नियुक्त करने का कानूनी आधार क्या है, उनकी योग्यता क्या है, उन्हें किन संस्थानों में तैनात किया गया है, और उनके दैनिक और मासिक भुगतान का क्या प्रावधान है। पीठ ने यह भी निर्देश दिया कि संवेदनशील स्थानों जैसे अस्पतालों, स्कूलों और पुलिस स्टेशनों में नागरिक स्वयंसेवकों की तैनाती की प्रक्रिया को स्पष्ट किया जाए। वरिष्ठ अधिवक्ता करुणा नंदी ने अदालत को बताया कि वर्तमान में राज्य में 1500 से अधिक ऐसे स्वयंसेवक तैनात हैं।

इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि राष्ट्रीय कार्य बल (NTF) प्रगति पर काम कर रहा है और बताया कि 7 अक्टूबर 2024 को आरोपी संजय रॉय के खिलाफ बीएनएस की धारा 64, 66 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या के मामले की सुनवाई के दौरान जांच की प्रगति और सुरक्षा उपायों पर ध्यान दिया। कोर्ट ने कहा कि पिछले कुछ समय से मामले की सुनवाई हो रही है और राज्य सरकार से अपेक्षा की जाती है कि वह अदालत को नियमित रूप से स्थिति रिपोर्ट प्रदान करे।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि NTF की बैठकों को नियमित रूप से आयोजित किया जाए, और उपसमूहों को अपनी बैठकें आयोजित करने का निर्देश दिया गया। यह प्रक्रिया तीन सप्ताह के भीतर पूरी की जानी चाहिए।

सलमान खान और बिश्नोई समुदाय: 1998 के शिकार मामले से विवादों (controversy) की जड़ें!

SUPREME COURT: यदि प्राथमिकी में बेईमान आचरण का आरोप संज्ञेय अपराध को उजागर करता है, तो जांच को रद्द कर बाधित नहीं किया जाना चाहिए

वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत में हलफनामा पेश करते हुए कहा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कार्य की कमी दिखाई दे रही है, लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि अन्य सभी अस्पतालों में कार्य पूर्ण हो चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज का काम 31 अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा।

supreme court: शिकायत निवारण प्रणाली और सुरक्षा ऑडिट

कोर्ट ने यह भी बताया कि पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य स्तर पर एक शिकायत निवारण समिति का गठन किया है। इस समिति का मुख्य उद्देश्य शिकायतों का निवारण करना और राज्य एवं जिला स्तर पर सुरक्षा ऑडिट कराना है। अदालत ने कहा कि अस्पतालों में तैनात सुरक्षा कर्मियों की जांच भी पूरी हो चुकी है।

कोर्ट ने यह भी कहा कि ऑनलाइन डिस्चार्ज और ऑनलाइन दवा प्रिस्क्रिप्शन की व्यवस्था की गई है। ऑनलाइन वास्तविक समय में बिस्तर की उपलब्धता की निगरानी की जाएगी, जिससे मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकेंगी।

सुनवाई के दौरान, व्रिंदा ग्रोवर ने मृतक पीड़िता के परिवार की ओर से अदालत में पेश होकर मामले की गंभीरता को रेखांकित किया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सवाल उठाए और बताया कि इस मामले की सुनवाई दीवाली की छुट्टियों के बाद जारी रहेगी।

30 सितंबर को, कोर्ट ने राज्य से सीसीटीवी कैमरों की स्थापना, शौचालयों और अलग आराम कमरों के निर्माण की प्रगति के बारे में पूछा था। अदालत ने पूछा था कि इस कार्य में प्रगति इतनी धीमी क्यों है।

गृह मंत्रालय (MHA) ने भी इस मामले में अपनी चिंताओं को व्यक्त किया था। मंत्रालय ने कहा था कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के कर्मियों को पश्चिम बंगाल में उचित आवास और मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।

MHA ने यह भी कहा कि महिला कर्मियों के लिए अलग आवास की अनुपलब्धता और सुरक्षा उपकरणों की कमी के कारण ड्यूटी कर्मियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मंत्रालय ने यह कहा कि इस तरह का गैर-समन्वय किसी राज्य सरकार से अपेक्षित नहीं है।

supreme court: डॉक्टरों की सुरक्षा और उनकी वापसी

22 अगस्त को, अदालत ने डॉक्टरों से अपील की थी कि वे आरजी कर मेडिकल कॉलेज में कार्य पर वापस लौटें। सुनवाई के दौरान, अदालत ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा मामले को संभालने के तरीके पर चिंता व्यक्त की थी। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि राज्य पुलिस द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया पहले कभी नहीं देखी गई।

अदालत ने पहले भी प्रदर्शन स्थल पर विध्वंस को संभालने के तरीके को लेकर निराशा व्यक्त की थी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए “राष्ट्रीय कार्य बल” के गठन का आदेश दिया था।

Headlines Live News

20 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बलात्कार और हत्या की शिकार प्रशिक्षु डॉक्टर के नाम, तस्वीरें और वीडियो को तुरंत सोशल मीडिया से हटा दिया जाए।

supreme court: उच्च न्यायालय का हस्तक्षेप

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया था और जांच को पुलिस से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के पास स्थानांतरित करने का आदेश दिया। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से यह भी पूछा कि नवीनीकरण कार्य को अंजाम देने की जल्दबाजी क्यों है।

इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पश्चिम बंगाल सरकार को नागरिक स्वयंसेवकों की नियुक्ति, सुरक्षा उपायों और जांच की प्रगति के संबंध में पूरी पारदर्शिता के साथ काम करना होगा। इसके साथ ही, कोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से अपेक्षा की है कि वे अपने दायित्वों का पालन करें ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो सके।

Headlines Live News

मामला शीर्षक: आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या की घटना और संबंधित मुद्दे [SMW (Crl) संख्या 000002/2024]

Sharing This Post:

Leave a Comment

Optimized by Optimole
DELHI HC: भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज को सत्येंद्र जैन के मानहानि केस में नोटिस जारी किया BOMBAY HC: पतंजलि पर जुर्माने पर रोक लगाई अतुल सुभाष आत्महत्या: बेंगलुरु कोर्ट ने पत्नी और परिवार को न्यायिक हिरासत में भेजा SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी” SUPREME COURT: मामूली अपराधों में जमानत में देरी पर जताई चिंता