POCSO ACT: पश्चिम बंगाल के जयनगर में नौ वर्षीय बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या के मामले में कोलकाता की एक अदालत ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी को मौत की सजा दी है। यह फैसला अक्टूबर 2024 में यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO अधिनियम) के तहत सुनाया गया।
POCSO ACT: घटना का विवरण
यह दर्दनाक घटना जयनगर के महिसमारी इलाके में 5 अक्टूबर 2024 को घटी थी। सुबह के समय इलाके में बच्ची का शव मिला, जिससे पूरे क्षेत्र में शोक और आक्रोश फैल गया। प्रारंभिक जांच में यह पता चला कि बच्ची के साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या कर दी गई।
इस घटना ने पूरे पश्चिम बंगाल को झकझोर कर रख दिया था, और इसे लेकर पुलिस और न्यायिक प्रणाली ने तीव्र कार्रवाई की।
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POCSO ACT: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में न्याय प्रक्रिया को तेज करने के लिए राज्य प्रशासन और पुलिस की प्रशंसा की। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, एक्स (पूर्व में ट्विटर), पर इस ऐतिहासिक निर्णय की जानकारी साझा की।
उन्होंने कहा, “जघन्य घटना के 62 दिनों के भीतर कोलकाता के बरुईपुर कोर्ट ने आरोपी को मौत की सजा सुनाई है। इस तरह के मामले में दो महीने से भी कम समय में दोषसिद्धि और मृत्युदंड राज्य के इतिहास में अभूतपूर्व है।”
उन्होंने राज्य पुलिस और अभियोजन पक्ष की सराहना करते हुए कहा कि सरकार महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति पर कायम है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि न्याय में कोई देरी न हो और पीड़ितों को शीघ्रता से न्याय मिले।
POCSO ACT: हाईकोर्ट का हस्तक्षेप
घटना के बाद, हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि मामले में पोक्सो अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाए। इसके अलावा, बच्ची के शव का पोस्टमार्टम कल्याणी स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कराने का आदेश दिया गया।
इस निर्देश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जांच में कोई कोताही न हो और वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर मामला मजबूत बनाया जा सके।
बरुईपुर कोर्ट ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए मात्र 62 दिनों में फैसला सुना दिया। यह पश्चिम बंगाल के इतिहास में पहली बार हुआ जब इतने कम समय में किसी गंभीर आपराधिक मामले में दोषी को मृत्युदंड दिया गया।
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों को रोकने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि सरकार इस तरह के मामलों में तेजी से न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगी।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, “सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध करने वालों को बख्शा न जाए। हमारा उद्देश्य न्याय में देरी और इनकार को समाप्त करना है।”
POCSO ACT: समाज और कानून का संदेश
यह फैसला न केवल न्यायिक प्रणाली की तीव्रता का उदाहरण है, बल्कि समाज को भी यह संदेश देता है कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।
ऐसे मामलों में तेजी से न्याय सुनिश्चित करने के लिए पुलिस, अभियोजन और न्यायालय की संयुक्त भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इस मामले में पुलिस ने वैज्ञानिक जांच और सबूतों के आधार पर दोषी को सजा दिलाने में अहम भूमिका निभाई।
जयनगर बलात्कार और हत्या मामले में कोलकाता की अदालत का यह फैसला न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को बढ़ाने वाला है।
इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि जब प्रशासन, पुलिस और न्यायपालिका मिलकर काम करते हैं, तो पीड़ितों को शीघ्र और उचित न्याय मिलता है। यह फैसला अन्य मामलों में भी तेजी से न्याय की प्रेरणा बनेगा और अपराधियों को एक सख्त संदेश देगा।












