SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने डीएमके नेता और तमिलनाडु सरकार के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की नियुक्ति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। यह नियुक्ति तब हुई जब बालाजी को नौकरी के बदले पैसे के घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गवाहों की स्वतंत्रता पर संभावित खतरे के संबंध में दायर याचिका पर सुनवाई करने का निर्णय लिया है।
SUPREME COURT: कोर्ट की प्रमुख टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की पीठ ने मामले पर सुनवाई के दौरान कहा कि बालाजी को जमानत मिलने के तुरंत बाद मंत्री बनाए जाने से गवाहों पर दबाव पड़ सकता है।
कोर्ट ने टिप्पणी की,
“हमने आपको जमानत दी, और आप कुछ दिनों बाद मंत्री बन गए। इससे यह धारणा बन सकती है कि मंत्री पद पर रहते हुए गवाहों पर दबाव डाला जा सकता है। यह सब क्या हो रहा है?”
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हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि वह 26 सितंबर को दिए गए जमानत आदेश को वापस नहीं लेगी, लेकिन गवाहों की स्वतंत्रता के मुद्दे पर विचार करेगी। अदालत ने कहा कि वह केवल इस पहलू की जांच करेगी कि क्या गवाह मंत्री पद पर आसीन बालाजी के खिलाफ स्वतंत्र रूप से बयान दे सकते हैं।
SUPREME COURT: याचिका का आधार
यह याचिका शिकायतकर्ता के. विद्या कुमार द्वारा दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि जमानत मिलने के तुरंत बाद बालाजी को तमिलनाडु सरकार में मंत्री नियुक्त किया गया। याचिका में आशंका जताई गई कि मंत्री पद पर रहते हुए बालाजी गवाहों पर प्रभाव डाल सकते हैं।
अदालत ने इस मामले में बालाजी के वकील राम शंकर से निर्देश प्राप्त करने को कहा और सुनवाई की अगली तारीख 13 दिसंबर तय की।
तमिलनाडु सरकार के वरिष्ठ मंत्री वी. सेंथिल बालाजी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 14 जून, 2023 को गिरफ्तार किया था। यह गिरफ्तारी नौकरी के बदले पैसे के घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर हुई थी।
मामले की शुरुआत 2018 में तमिलनाडु पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से हुई थी। इसके बाद ईडी ने 2021 में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया। आरोप है कि बालाजी ने 2011-2015 के बीच परिवहन मंत्री रहते हुए भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्टाचार का माध्यम बना दिया। ईडी ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान बालाजी और उनके सहयोगियों ने अवैध तरीके से धन अर्जित किया।
ईडी की चार्जशीट के अनुसार:
- परिवहन विभाग में भर्ती प्रक्रिया को “भ्रष्ट तंत्र” बना दिया गया।
- बालाजी ने सार्वजनिक पद का दुरुपयोग करते हुए घोटाले से अवैध धन अर्जित किया।
- भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार उनके अधिकार और स्वीकृति के तहत हुआ।
SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट का जमानत आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर, 2024 को बालाजी को जमानत दी थी। कोर्ट ने यह आदेश इसलिए दिया क्योंकि मामले का निपटारा शीघ्र संभव नहीं था। इस आदेश से बालाजी की 471 दिनों की हिरासत समाप्त हो गई। हालांकि, अदालत ने बालाजी के खिलाफ मुकदमे को देखने के लिए मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को नया न्यायाधीश नियुक्त करने का निर्देश दिया।
बालाजी को 29 सितंबर, 2024 को तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन. रवि ने मंत्री के रूप में शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की सरकार ने उन्हें उनके पुराने विभाग, बिजली, गैर-पारंपरिक ऊर्जा विकास, निषेध और आबकारी, का प्रभार सौंपा।
सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों की स्वतंत्रता पर विशेष ध्यान दिया है। अदालत ने कहा कि गंभीर आरोपों को देखते हुए यह आशंका उत्पन्न हो सकती है कि गवाह मंत्री पद पर आसीन बालाजी के खिलाफ बयान देने में असमर्थ महसूस करें। अदालत ने स्पष्ट किया कि वह मामले के अन्य पहलुओं में हस्तक्षेप नहीं करेगी लेकिन गवाहों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है।
SUPREME COURT: सुनवाई की अगली तारीख
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 13 दिसंबर, 2024 को निर्धारित की है।
मामला: यूनियन ऑफ इंडिया बनाम वी. सेंथिल बालाजी
न्यायालय का आदेश: गवाहों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के मुद्दे पर विचार करना।
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