DELHI AIR POLLUTION: सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) के तहत लागू प्रतिबंधों में ढील देने की अनुमति दी है। न्यायालय ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के हालिया आंकड़ों का अवलोकन करते हुए यह निर्णय लिया, साथ ही यह भी निर्देश दिया कि यदि प्रदूषण का स्तर फिर से गंभीर होता है, तो कड़े उपाय तुरंत लागू किए जाएं।
DELHI AIR POLLUTION: GRAP प्रतिबंधों में ढील का संदर्भ
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने गुरुवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को GRAP के चरण IV से चरण II तक प्रतिबंधों में ढील देने का निर्णय लेने की स्वीकृति दी। हालांकि, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि आयोग को चरण III के अतिरिक्त उपायों को भी लागू करने के लिए सतर्क रहना होगा।
न्यायालय ने कहा, “18 नवंबर से 4 दिसंबर तक के AQI आंकड़ों के अनुसार, 30 नवंबर तक प्रदूषण स्तर लगातार 300 से ऊपर था। हालांकि, पिछले चार दिनों में इसमें सुधार देखा गया है।” न्यायालय ने कहा कि इस स्तर पर GRAP को चरण II से नीचे लाना उचित नहीं होगा।
SUPREME COURT: सूचना आयोगों में खाली पदों को भरने की अपील की
KERALA HC: नाबालिग बेटी के गर्भवती होने से मां के द्वंद्व पर POCSO मामला रद्द
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि मौसम संबंधी स्थितियों में सुधार के कारण वायु गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि GRAP प्रतिबंधों को चरण IV से नीचे लाने की सिफारिश की गई है और इसे चरण II और III के संकर रूप में लागू किया जाना चाहिए।
ASG ने कहा, “दिल्ली की वायु गुणवत्ता नवंबर-दिसंबर के दौरान हमेशा चुनौतीपूर्ण रहती है। हमें GRAP को AQI स्तरों के अनुसार संचालित करना चाहिए। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार, यह चरण II से आगे नहीं जाएगा।”
हालांकि, एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने इस बात पर असहमति जताई कि सुधार की संभावना समाप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में अभी भी कई स्थानों पर खुले में कचरा जलाया जा रहा है।
DELHI AIR POLLUTION: GRAP चरण III की त्वरित पुनः लागू करने का निर्देश
न्यायालय ने निर्देश दिया कि यदि AQI 350 से ऊपर चला जाता है, तो GRAP के चरण III के तहत कड़े उपाय तुरंत लागू किए जाएं। यह निर्णय दिल्ली और एनसीआर में गंभीर वायु प्रदूषण संकट को नियंत्रित करने के लिए किया गया।
न्यायालय ने पराली जलाने और खुले में कचरा जलाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। न्यायालय ने सरकारों को निर्देश दिया कि इन घटनाओं की निगरानी के लिए उपयुक्त तंत्र विकसित किया जाए। न्यायालय ने सुझाव दिया कि इसरो जैसी एजेंसियों की मदद ली जा सकती है ताकि उपग्रह डेटा के माध्यम से आग की घटनाओं पर नज़र रखी जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले दिल्ली और एनसीआर में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध के पालन की निगरानी के लिए 13 अधिवक्ताओं को ‘न्यायालय आयुक्त’ नियुक्त किया था। न्यायालय ने दिल्ली सरकार को इन आयुक्तों को पारिश्रमिक प्रदान करने का निर्देश दिया।
DELHI AIR POLLUTION: आगे की कार्रवाई
न्यायालय ने निर्देश दिया कि जब तक GRAP उपाय लागू रहेंगे, न्यायालय आयुक्तों की नियुक्ति जारी रहेगी। साथ ही, सभी राज्यों के मुख्य सचिवों की उपस्थिति की आवश्यकता को समाप्त कर दिया गया है।
न्यायालय ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण और वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सभी संबंधित एजेंसियों को सक्रिय रूप से काम करना होगा। वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कड़े उपायों की आवश्यकता पर भी बल दिया गया।
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में सुधार के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण नियंत्रण में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। GRAP प्रतिबंधों में ढील का निर्णय वायु गुणवत्ता में सुधार के अनुरूप लिया गया है, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण का स्तर फिर से न बढ़े।