भारतीय कंपनियों पर American Ban: हाल ही में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा 19 भारतीय कंपनियों और दो व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, जिन पर रूस को यूक्रेन युद्ध के दौरान सामग्री और प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने का आरोप है।
भारतीय कंपनियों पर American Ban: अमेरिकी प्रतिबंधों पर भारत का कड़ा रुख कानून का नहीं हुआ कोई उल्लंघन
भारतीय कंपनियों पर American Ban: भारत के विदेश मंत्रालय (एमईए) ने इस कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि ये भारतीय कंपनियां किसी भी राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं कर रही हैं।
भारतीय कंपनियों पर American Ban: एमईए के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इस मुद्दे पर कहा कि भारत में एक मजबूत कानूनी और नियामक ढांचा है जो रणनीतिक व्यापार और अप्रसार नियंत्रण को नियंत्रित करता है। भारत, वासेनार अरेंजमेंट, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप और मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजीम जैसे तीन प्रमुख बहुपक्षीय अप्रसार निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं का सदस्य है। इसके अलावा, भारत यूएनएससी प्रतिबंधों और यूएनएससी संकल्प 1540 को भी प्रभावी ढंग से लागू कर रहा है।
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विदेश मंत्रालय का बयान: भारतीय कंपनियां कर रही हैं कानून का पालन
भारतीय कंपनियों पर American Ban: एमईए ने कहा कि भारत का मानना है कि इन प्रतिबंधों के अंतर्गत आने वाले भारतीय कंपनियों की गतिविधियाँ भारत के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करती हैं। जायसवाल ने यह भी बताया कि भारत की अप्रसार प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, भारतीय विभाग और एजेंसियां निरंतर भारतीय कंपनियों को आवश्यक निर्यात नियंत्रण प्रावधानों और नए उपायों के बारे में जानकारी देती रहती हैं। जायसवाल ने यह भी कहा कि भारतीय उद्योगों और हितधारकों को जागरूक करने के लिए नियमित रणनीतिक व्यापार/निर्यात नियंत्रण कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।
श्रीजी इम्पेक्स का बयान: व्यापार पर प्रतिबंधों का कोई प्रभाव नहीं
भारतीय कंपनियों पर American Ban: अमेरिकी प्रतिबंधों की सूची में शामिल भारतीय कंपनियों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और कहा है कि उनका काम भारत के कानूनों के अनुसार ही होता है। मेरठ स्थित श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक प्रवीण त्यागी का कहना है कि उनका कंपनी का अमेरिका से कोई व्यवसाय नहीं है, और इसलिए, इन प्रतिबंधों से उनके व्यापार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारतीय कंपनियों पर American Ban: इसी प्रकार, टीएसएमडी ग्लोबल के निदेशक राहुल कुमार सिंह ने कहा कि वे समझ नहीं पा रहे हैं कि उनकी कंपनी पर यह प्रतिबंध क्यों लगाया गया है, क्योंकि उनकी कंपनी का अमेरिका से कोई व्यापारिक संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि वे रूस को ऑटोमोबाइल पार्ट्स और अन्य उपकरणों की आपूर्ति करते हैं, लेकिन वे यह कार्य भारतीय कारोबारी मानकों के अनुरूप ही कर रहे हैं।
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अमेरिका की नई प्रतिबंध सूची में 19 भारतीय कंपनियां शामिल
भारतीय कंपनियों पर American Ban: इसके अतिरिक्त, अमेरिका ने रूस के सैन्य-औद्योगिक प्रतिष्ठानों का सहयोग करने के आरोप में भारतीय इकाइयों समेत कुल 275 कंपनियों और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाया है। इन प्रतिबंधों का उद्देश्य उन कंपनियों और संस्थानों को निशाना बनाना है जो रूस को उन्नत तकनीक और उपकरण उपलब्ध करा रहे हैं। इन प्रतिबंधों के तहत जिन भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधित किया गया है उनमें आभार टेक्नोलॉजीज एंड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, डेनवास सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, एमसिस्टेक, गैलेक्सी बियरिंग्स लिमिटेड, ऑर्बिट फिनट्रेड एलएलपी, इनोवियो वेंचर्स, केडीजी इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, और खुशबू होनिंग प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं।
इसके अलावा, लोकेश मशीन्स लिमिटेड, पॉइंटर इलेक्ट्रॉनिक्स, आरआरजी इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, शार्पलाइन ऑटोमेशन प्राइवेट लिमिटेड, शौर्य एयरोनॉटिक्स प्राइवेट लिमिटेड, श्रीजी इम्पेक्स प्राइवेट लिमिटेड, और श्रेया लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड को भी इस सूची में रखा गया है।
अर्थशास्त्रियों की राय: अमेरिकी प्रतिबंधों का चुनावी प्रभाव
भारतीय कंपनियों पर American Ban: इस मुद्दे पर भारतीय अर्थशास्त्रियों ने भी अपनी राय दी है। इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मनोरंजन शर्मा का मानना है कि यह कदम अमेरिका के आगामी चुनावों को प्रभावित करने के लिए भी हो सकता है।
भारतीय कंपनियों पर American Ban: अमेरिका के इस कदम के तहत भारत सहित अन्य देशों की कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जिनमें चीन, स्विट्जरलैंड, थाईलैंड, और तुर्किए भी शामिल हैं। अमेरिकी वित्त विभाग का कहना है कि इन कंपनियों के जरिए रूस को प्रौद्योगिकी और उपकरण की आपूर्ति हो रही है, जिसका उपयोग रूस अपने युद्ध तंत्र को बढ़ावा देने में कर रहा है।
भारत के प्रवक्ता का बयान: प्रवास और आवागमन पर दोनों देशों के बीच नियमित वार्ता
भारतीय कंपनियों पर American Ban: इस प्रतिबंधों की कार्रवाई से पहले अमेरिकी अधिकारियों ने अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों के एक समूह को भी निर्वासित किया था। इस घटना के बाद, भारत ने कहा कि आवागमन और प्रवास पर भारत-अमेरिका के बीच सहयोग से अवैध प्रवास को नियंत्रित किया जा सकेगा। भारत के प्रवक्ता ने कहा कि इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच नियमित बातचीत होती रहती है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने एक बयान में बताया कि उन्होंने हाल ही में एक उड़ान के माध्यम से उन भारतीय नागरिकों को निर्वासित किया, जिनके पास अमेरिका में रहने के लिए वैध कानूनी आधार नहीं था।
रूस को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला से अलग करने का अमेरिकी प्रयास
भारतीय कंपनियों पर American Ban: अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस प्रतिबंध का उद्देश्य रूस को वैश्विक सप्लाई चेन से अलग करना और उसके सैन्य-औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए आवश्यक तकनीकी और अन्य सामग्री के स्रोतों को रोकना है। अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि रूस अपनी जरूरतें विभिन्न देशों के माध्यम से पूरी करने की कोशिश कर रहा है, और यह प्रतिबंध उसी को ध्यान में रखकर लगाया गया है।
भारतीय कंपनियों पर American Ban: भारत ने अमेरिका के इस फैसले को कूटनीतिक तरीके से सुलझाने का प्रयास किया है और अमेरिकी अधिकारियों से संवाद कर रहा है ताकि इस मुद्दे को स्पष्ट किया जा सके। यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और प्रतिबंधों के बीच उभर कर आया है, और इसका असर दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर पड़ सकता है। भारतीय कंपनियों ने दावा किया है कि वे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार काम कर रही हैं और उनका कोई भी कार्य गैरकानूनी नहीं है।