DELHI HC: दिल्ली हाईकोर्ट ने न्यूज चैनल News18 को एक डिबेट वीडियो हटाने का आदेश दिया है जिसमें भाजपा प्रवक्ता संजू वर्मा ने कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. शमा मोहम्मद के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक और मानहानिकारक टिप्पणियां की थीं। इस मामले में न्यायमूर्ति विकास महाजन की एकल पीठ ने यह आदेश पारित किया, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X (पूर्व में ट्विटर) को भी निर्देश दिया कि वह दर्जन से अधिक ऐसे ट्वीट्स हटाए जिनमें मोहम्मद की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची हो।
यह याचिका अधिवक्ता मुहम्मद अली खान ने दायर की थी और उनका दावा था कि उक्त वीडियो और ट्वीट्स से डॉ. शमा मोहम्मद की सार्वजनिक छवि को गंभीर क्षति पहुंची है। याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई कि चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को इन अपमानजनक सामग्री को हटाने के निर्देश दिए जाएं ताकि उनकी प्रतिष्ठा की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। मामले में अधिवक्ता मुहम्मद अली खान ने अदालत में डॉ. मोहम्मद का प्रतिनिधित्व किया।
DELHI HC: “बेवकूफ औरत” और “मदरसा ब्रीड” जैसी टिप्पणी
News18 के डिबेट में संजू वर्मा ने डॉ. शमा मोहम्मद के लिए “बेवकूफ औरत,” “मदरसा ब्रीड” और “बेशर्म” जैसे शब्दों का प्रयोग किया था। अदालत ने इन शब्दों को संभावित रूप से मानहानिकारक और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने वाला माना, खासकर उनके पेशेवर और राजनीतिक जीवन के संदर्भ में, जहां वे एक दंत चिकित्सक और कांग्रेस प्रवक्ता के रूप में कार्यरत हैं। अदालत ने वर्मा के इस आचरण को लापरवाह और सार्वजनिक चर्चा में अपेक्षित बुनियादी शिष्टाचार से रहित करार दिया।
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दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 19(1)(क) प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग करते समय दूसरे व्यक्तियों के अधिकारों और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति महाजन ने अपने आदेश में कहा कि “प्रत्येक व्यक्ति की प्रतिष्ठा उसकी गरिमा का अभिन्न हिस्सा होती है।
अनुच्छेद 19(1)(क) में प्रदत्त अधिकारों पर सार्वजनिक हित, शालीनता और नैतिकता के संदर्भ में उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।” अदालत ने कहा कि इस प्रकार की अपमानजनक टिप्पणियों का सार्वजनिक जीवन में कार्यरत व्यक्तियों की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो उन्होंने वर्षों से बनाई होती है।
राजनीतिक नेताओं की प्रतिष्ठा का महत्व
अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक जीवन में कार्यरत व्यक्तियों को अपने व्यक्तित्व और छवि के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, जो इस प्रकार की असंगत और मानहानिकारक टिप्पणियों से धूमिल नहीं होनी चाहिए। जस्टिस महाजन ने कहा कि किसी राजनीतिक कार्यकर्ता की प्रतिष्ठा उसके सार्वजनिक जीवन में उसकी पहचान का अभिन्न हिस्सा होती है और इसे नष्ट करना किसी भी राजनीतिक उद्देश्य के लिए उचित नहीं है।
याचिकाकर्ता के वकील ने यह भी तर्क दिया कि चैनल पर पहले भी इस प्रकार के अपमानजनक टिप्पणियों के लिए नेशनल ब्रॉडकास्टिंग और डिजिटल स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी (NBDSA) द्वारा जुर्माना लगाया गया है। अदालत को बताया गया कि चैनल अपने डिबेट्स में अपमानजनक टिप्पणियों को शामिल करने का इतिहास रखता है, जिससे कई बार इसकी नीतियों और संचालन पर सवाल उठते रहे हैं। इस संदर्भ में अदालत ने इसे मीडिया के जिम्मेदार व्यवहार की अनदेखी के रूप में देखा और इसे गंभीरता से लिया।
DELHI HC: अदालत का निष्कर्ष और निर्णय
अंतरिम आदेश में, अदालत ने चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को निर्देश दिया कि वे उक्त वीडियो और ट्वीट्स को तत्काल हटाएं। अदालत ने यह भी कहा कि मानहानि का मामला विचाराधीन रहते हुए चैनल को ऐसी गतिविधियों से बचना चाहिए, जो किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
अंततः अदालत ने यह फैसला दिया कि News18 चैनल द्वारा किए गए इस आचरण ने डॉ. शमा मोहम्मद की प्रतिष्ठा को गंभीर ठेस पहुंचाई है और इस प्रकार की टिप्पणी किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि मीडिया और राजनीतिक प्रवक्ता, दोनों ही सार्वजनिक जीवन में मर्यादा बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं।
मामला शीर्षक: डॉ. शमा मोहम्मद बनाम संजू वर्मा और अन्य
तटस्थ संदर्भ संख्या: 2024: DHC: 8354
प्रतिनिधित्व:
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता मुहम्मद अली खान, उमर होदा, ईशा बख्शी, एस. एम. खुर्शीद, उदय भाटिया, के. शर्मा