SUPREME COURT: भाजपा नेता गिर्राज सिंह मलिंगा को मारपीट मामले में जमानत दी”

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By headlineslivenews.com

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SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और राजस्थान के पूर्व विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को 2022 के एक मारपीट के मामले में जमानत दी है। यह मामला राज्य के बिजली विभाग के सहायक अभियंता के साथ कथित रूप से जातिवादी गालियों और मारपीट से जुड़ा है। यह निर्णय राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा मलिंगा की जमानत रद्द करने के फैसले को पलटते हुए आया है।

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SUPREME COURT: उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती

मलिंगा ने राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा 5 जुलाई, 2023 को उनकी जमानत रद्द करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय ने शिकायतकर्ता की अपील पर जमानत रद्द करते हुए मलिंगा को अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था। इसके बाद, मलिंगा ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

13 दिसंबर को न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह निर्णय दिया कि उच्च न्यायालय का आदेश रद्द किया जाए और मलिंगा की जमानत बहाल की जाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “अपीलकर्ता को उन्हीं शर्तों और नियमों पर तुरंत रिहा किया जाएगा, जिनके आधार पर उन्हें पहले जमानत दी गई थी।” अदालत ने यह भी उल्लेख किया कि दो साल बाद जमानत रद्द करने का कोई औचित्य नहीं था, खासकर जब सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी थी।

अदालत ने यह भी नोट किया कि मलिंगा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करते हुए अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, जो उनके पक्ष में एक महत्वपूर्ण पहलू था।

SUPREME COURT: मामला और आरोप

यह मामला 2022 में दर्ज एक प्राथमिकी (एफआईआर) से जुड़ा है। शिकायतकर्ता, जो एक दलित सहायक अभियंता हैं, ने आरोप लगाया था कि मार्च 2022 में तत्कालीन कांग्रेस विधायक मलिंगा अपने समर्थकों के साथ उनके कार्यालय में घुसे और जातिवादी गालियां देते हुए उन पर हमला किया।

घटना कथित तौर पर एक गांव में बिजली कनेक्शन काटने और ट्रांसफार्मर हटाने को लेकर हुई। मलिंगा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

शिकायतकर्ता ने जमानत रद्द करने की अपील में यह दावा किया था कि मलिंगा ने जमानत पर रिहा होने के बाद एक रोड शो आयोजित किया और धमकी भरे भाषण दिए। इसके अलावा, शिकायतकर्ता ने मलिंगा के आपराधिक इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने जमानत प्राप्त करते समय इसे छिपाया था।

राजस्थान उच्च न्यायालय ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए मलिंगा की जमानत रद्द कर दी थी।

मारपीट के आरोपों के कारण कांग्रेस ने 2023 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में मलिंगा को टिकट देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद मलिंगा ने भाजपा का दामन थाम लिया।

SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मलिंगा की ओर से दलीलें पेश कीं। उन्होंने तर्क दिया कि जमानत रद्द करने का आदेश अनुचित है क्योंकि सह-आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि मलिंगा ने आत्मसमर्पण कर दिया है और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं।

राजस्थान राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने तर्क दिया कि मलिंगा का मामला सह-आरोपियों से अलग है और उनकी जमानत रद्द करना उचित था।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जमानत रद्द करते समय उन कारकों पर पर्याप्त विचार नहीं किया, जो जमानत बहाल करने के पक्ष में थे। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि दो साल बाद जमानत रद्द करने का निर्णय न्याय के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है।

अदालत ने मलिंगा को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया और मामले की अंतिम सुनवाई के लिए बाद की तारीख निर्धारित की।

SUPREME COURT: निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय न केवल जमानत के मुद्दों पर, बल्कि न्याय प्रक्रिया में देरी और इसके प्रभाव पर भी प्रकाश डालता है। मलिंगा को जमानत बहाल करना इस बात का उदाहरण है कि न्यायालय कैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।

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