राष्ट्रपति शासन अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तार होने के बाद, रिमांड के दौरान व्यक्त किए गए दावों के अनुसार, एक अभियान जिसे ‘Operation Lotus’ कहा जाता है, फिर से उजागर हो गया है। यह घटना राजनीतिक दलों के बीच का गहरा विवाद उत्पन्न कर रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई आप पार्टी के महत्वपूर्ण नेताओं को BJP ने जेल में जाने के धमकी देकर अपनी पकड़ में करने की कोशिश की है। एक MLA ने साक्ष्य प्रस्तुत किया है कि उन्हें संघर्ष के बावजूद ब्रिबरी किया जा रहा है, जिसमें उन्हें मंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया गया है। इस घटना ने राजनीतिक दलों के बीच गहरे अस्थिरता का माहौल उत्पन्न किया है, जो नेताओं के और लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है। इस समय में, सख्त कार्यवाही और अधिक जांच की आवश्यकता है ताकि राजनीतिक प्रक्रिया की सख्ती सुनिश्चित की जा सके।
Headlines Live News : Mohammad Rafi
आपको बताया जाता है कि BJP ने अपनी “Operation Lotus” को पुनः उजागर किया है। इस घटना के बारे में सूचना मिलने के बाद, कई सदस्यों ने इसे स्वीकार किया है और अपने साक्ष्य भी प्रस्तुत किए हैं। इस घटना के बारे में विवाद उठा है क्योंकि इसमें भ्रष्टाचार का संदेश समाहित है।
एक MLA द्वारा की गई रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें साधुवाद की जगह ब्राह्मणों के समुदाय में बुलाया गया था, जहां उन्हें BJP के प्रतिनिधियों द्वारा विभिन्न विभागों में मंत्री पद के लिए प्रस्तावित किया गया। यहां तक कि उन्हें प्रत्येक विधायक को 25 करोड़ रुपये की राशि और मंत्री पद का वादा किया गया।
इस घटना के बाद, उन्हें अनजान फोन द्वारा धमकी भी मिली कि यदि वे इसके बारे में किसी को बताते हैं तो उनके साथ सख्ती से कार्रवाई की जाएगी। यह घटना राजनीतिक दलों के बीच के आपसी संघर्ष की नई कहानी उजागर करती है। इस घटना को गंभीरता से लेकर जांच की जानी चाहिए ताकि राजनीतिक प्रक्रिया में न्याय की सुरक्षा हो सके।
राष्ट्रपति शासन का मतलब होता है उस स्थिति से, जब किसी राज्य की منتخب सरकार को कुछ समय के लिए हटा दिया जाता है और उस राज्य को केंद्र सरकार के अंतर्गत ला दिया जाता है। इसे आप आपातकालीन स्थिति के तौर पर भी समझ सकते हैं, जहाँ राज्य में सामान्य रूप से शासन नहीं चल पा रहा होता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है। आइये विस्तार से जानते हैं कि राष्ट्रपति शासन किन परिस्थितियों में लगाया जाता है:
- कोई भी दल बहुमत ना हासिल कर पाए: अगर किसी राज्य में चुनाव होने के बाद भी कोई भी पार्टी या गठबंधन सरकार बनाने के लिए जरूरी बहुमत हासिल नहीं कर पाता है, और ऐसी स्थिति में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- संवैधानिक संकट: अगर राज्य में संविधान के अनुसार शासन नहीं चल पा रहा है, कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है या राज्यपाल को लगता है कि सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है, तो ऐसी स्थिति में भी राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- गठबंधन सरकार टूट जाना: अगर किसी राज्य में गठबंधन की सरकार है, और वह किसी कारण से टूट जाती है, जिससे विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाता है या फिर सरकार बहुमत खो देती है, तो ऐसी स्थिति में भी राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
राष्ट्रपति शासन लगने पर राज्य में मंत्रिपरिषद भंग कर दी जाती है और राज्य का सारा प्रशासन राष्ट्रपति के अधीन हो जाता है. राष्ट्रपति राज्यपाल को सारी शक्तियां सौंप देता है, जो राज्य के मुख्य प्रशासक के तौर पर काम करता है। राष्ट्रपति चाहे तो यह भी घोषणा कर सकता है कि राज्य विधानसभा के काम को भी केंद्र सरकार संभाल लेगी।
सर्वाधिक बार राष्ट्रपति शासन मणिपुर राज्य में लगा। यह 10 बार लगाया गया है। इसके बाद पंजाब और उत्तर प्रदेश में 9-9 बार, बिहार में 8 बार, और केरल में 7 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
यहां कुछ अन्य राज्यों का भी उल्लेख है जहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया है:
- जम्मू और कश्मीर: 6 बार
- पश्चिम बंगाल: 5 बार
- आंध्र प्रदेश: 4 बार
- असम: 4 बार
- राजस्थान: 4 बार
- महाराष्ट्र: 3 बार
- गुजरात: 3 बार
- ओडिशा: 3 बार
- तमिलनाडु: 3 बार
- कर्नाटक: 2 बार
- मध्य प्रदेश: 2 बार
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन किसी भी राज्य में लगाना एक गंभीर निर्णय होता है, और यह केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है.
यहां कुछ कारण दिए गए हैं जिनके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है:
- राजनीतिक अस्थिरता: यदि किसी राज्य में सरकार बार-बार बदल रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- अराजकता: यदि किसी राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- प्राकृतिक आपदा: यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- संवैधानिक संकट: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट होता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की रिपोर्ट पर लिया जाता है। राज्यपाल, केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में, राज्य की राजनीतिक स्थिति और कानून व्यवस्था पर नजर रखता है। यदि राज्यपाल को लगता है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता है, तो वह राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजता है। राष्ट्रपति रिपोर्ट की जांच करता है और यदि वह रिपोर्ट से सहमत होता है, तो वह राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा करता है.
राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने की होती है। इसे हर 6 महीने में संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है। यदि संसद राष्ट्रपति शासन को अनुमोदित नहीं करती है, तो राष्ट्रपति शासन समाप्त हो जाता है.
बिहार में पहली बार राष्ट्रपति शासन 25 मार्च 1968 को लगाया गया था। यह राज्य विधानसभा चुनावों के बाद लगाया गया था, जिसमें किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। राष्ट्रपति शासन 6 महीने तक चला और 24 सितंबर 1968 को समाप्त हुआ, जब बिहार में संयुक्त विधानसभा दल की सरकार बनी।
यहां बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तारीखों की सूची दी गई है:
- 25 मार्च 1968
- 29 जून 1971
- 16 फरवरी 1972
- 23 मार्च 1975
- 29 जनवरी 1990
- 17 मार्च 1995
- 28 मार्च 1995
- 12 फरवरी 1999
- 14 मार्च 2005
- 20 जून 2005
- 24 फरवरी 2020
जैसा कि आप देख सकते हैं, बिहार में राष्ट्रपति शासन 11 बार लगाया गया है। यह किसी भी अन्य भारतीय राज्य की तुलना में अधिक है।
राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के कारण:
- राजनीतिक अस्थिरता: बिहार में अक्सर राजनीतिक अस्थिरता रही है, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
- अराजकता: बिहार में कभी-कभी कानून व्यवस्था बिगड़ जाती है, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
- संवैधानिक संकट: बिहार में कभी-कभी संवैधानिक संकट होता है, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
राष्ट्रपति शासन का प्रभाव:
- राजनीतिक: राष्ट्रपति शासन राज्य की राजनीतिक व्यवस्था को अस्थिर कर सकता है।
- आर्थिक: राष्ट्रपति शासन राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है।
- सामाजिक: राष्ट्रपति शासन राज्य में सामाजिक अशांति पैदा कर सकता है.
राष्ट्रपति शासन के नियम:
राष्ट्रपति शासन, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लगाया जाता है। यह एक असाधारण व्यवस्था है, जिसके तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार की शक्तियों को अपने हाथों में ले लेती है। राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना होता है:
1. राज्यपाल की रिपोर्ट:
- राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए, राज्यपाल को राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजनी होती है।
- रिपोर्ट में, राज्यपाल को यह बताना होता है कि राज्य में ऐसी परिस्थितियां हैं जिनके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया जाना आवश्यक है।
2. राष्ट्रपति की घोषणा:
- राज्यपाल की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद, राष्ट्रपति राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा कर सकते हैं।
- घोषणा को राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है।
3. राष्ट्रपति शासन की अवधि:
- राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने की होती है।
- इसे हर 6 महीने में संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है।
- यदि संसद राष्ट्रपति शासन को अनुमोदित नहीं करती है, तो राष्ट्रपति शासन समाप्त हो जाता है.
4. राष्ट्रपति शासन के दौरान:
- राष्ट्रपति राज्यपाल को राज्य का प्रशासन चलाने के लिए विशेष शक्तियां प्रदान करते हैं।
- राज्य विधानसभा और राज्य मंत्रिमंडल भंग हो जाते हैं।
- राज्यपाल, केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं।
5. राष्ट्रपति शासन समाप्त होने पर:
- राष्ट्रपति शासन समाप्त होने पर, राज्य विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाते हैं।
- चुनावों में जीतने वाली पार्टी या गठबंधन, राज्य सरकार बनाता है.
राष्ट्रपति शासन लगाने के कुछ कारण:
- राजनीतिक अस्थिरता: यदि किसी राज्य में सरकार बार-बार बदल रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- अराजकता: यदि किसी राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- प्राकृतिक आपदा: यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- संवैधानिक संकट: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट होता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
राष्ट्रपति शासन एक गंभीर निर्णय होता है, और इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है.
बिहार में राष्ट्रपति शासन 11 बार लागू हुआ है, जिनकी तारीखें निम्नलिखित हैं:
- 25 मार्च 1968
- 29 जून 1971
- 16 फरवरी 1972
- 23 मार्च 1975
- 29 जनवरी 1990
- 17 मार्च 1995
- 28 मार्च 1995
- 12 फरवरी 1999
- 14 मार्च 2005
- 20 जून 2005
- 24 फरवरी 2020
सबसे हालिया राष्ट्रपति शासन 24 फरवरी 2020 को लागू हुआ था, जब नीतीश कुमार की नेतृत्व वाली NDA सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले इस्तीफा दे दिया था। यह 15 जून 2020 को समाप्त हुआ, जब नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री बने।
राष्ट्रपति शासन लगाने के कारण:
- राजनीतिक अस्थिरता: बिहार में अक्सर राजनीतिक अस्थिरता रही है, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
- अराजकता: बिहार में कभी-कभी कानून व्यवस्था बिगड़ जाती है, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
- संवैधानिक संकट: बिहार में कभी-कभी संवैधानिक संकट होता है, जिसके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया गया है।
राष्ट्रपति शासन का प्रभाव:
- राजनीतिक: राष्ट्रपति शासन राज्य की राजनीतिक व्यवस्था को अस्थिर कर सकता है।
- आर्थिक: राष्ट्रपति शासन राज्य की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है।
- सामाजिक: राष्ट्रपति शासन राज्य में सामाजिक अशांति पैदा कर सकता है.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन किसी भी राज्य में लगाना एक गंभीर निर्णय होता है, और यह केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है.
भारत में पहली बार राष्ट्रपति शासन 31 मार्च 1959 को केरल राज्य में लगाया गया था।
यह उस समय लगाया गया था जब कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेतृत्व वाली ई.एम.एस. नम्बूदरीपाद सरकार ने शिक्षा नीति में बदलाव करने का प्रयास किया था। इस बदलाव के विरोध में कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन शुरू कर दिया था।
आंदोलन हिंसक हो गया और राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ गई। इस स्थिति को देखते हुए, राष्ट्रपति ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया।
यहां भारत में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तारीखों की सूची दी गई है:
- 31 मार्च 1959 (केरल)
- 24 मार्च 1968 (पंजाब)
- 29 जून 1971 (बिहार)
- 16 फरवरी 1972 (मणिपुर)
- 23 मार्च 1975 (तमिलनाडु)
- 29 जनवरी 1990 (जम्मू और कश्मीर)
- 17 मार्च 1995 (उत्तर प्रदेश)
- 28 मार्च 1995 (बिहार)
- 12 फरवरी 1999 (उत्तराखंड)
- 14 मार्च 2005 (बिहार)
- 20 जून 2005 (झारखंड)
- 24 फरवरी 2020 (बिहार)
जैसा कि आप देख सकते हैं, भारत में राष्ट्रपति शासन 12 बार लगाया गया है।
राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के कारण:
- राजनीतिक अस्थिरता: यदि किसी राज्य में सरकार बार-बार बदल रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- अराजकता: यदि किसी राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- प्राकृतिक आपदा: यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- संवैधानिक संकट: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट होता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
राष्ट्रपति शासन एक गंभीर निर्णय होता है, और इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है.
शायद आपने यह खबर नहीं पढ़ी है
यह भी पढ़ें…GUJRAT UNIVERSITY में हिंसात्मक घटना: विदेशी छात्रों की सुरक्षा में कदम
इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख | electrol bond | Supream court judgmet
राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 महीने की होती है। इसे हर 6 महीने में संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है। यदि संसद राष्ट्रपति शासन को अनुमोदित नहीं करती है, तो राष्ट्रपति शासन समाप्त हो जाता है.
कुछ विशेष परिस्थितियों में, राष्ट्रपति शासन की अवधि 3 साल तक बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए, संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा राष्ट्रपति शासन को मंजूरी देनी होती है।
यहां राष्ट्रपति शासन की अवधि से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं:
- अधिकतम अवधि: राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि 3 साल है।
- नवीनीकरण: राष्ट्रपति शासन को हर 6 महीने में संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है।
- संसद की भूमिका: संसद राष्ट्रपति शासन को लागू करने, नवीनीकृत करने या समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- असाधारण परिस्थितियां: राष्ट्रपति शासन को केवल असाधारण परिस्थितियों में ही लगाया जाता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन किसी भी राज्य में लगाना एक गंभीर निर्णय होता है, और यह केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है.
राष्ट्रपति शासन क्यों लगाया जाता है?
राष्ट्रपति शासन भारत के संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत लगाया जाता है। यह एक असाधारण व्यवस्था है, जिसके तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार की शक्तियों को अपने हाथों में ले लेती है।
राष्ट्रपति शासन लगाने के कुछ मुख्य कारण:
1. राजनीतिक अस्थिरता: यदि किसी राज्य में सरकार बार-बार बदल रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
2. कानून व्यवस्था का बिगड़ना: यदि किसी राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
3. संवैधानिक संकट: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट होता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
4. प्राकृतिक आपदा: यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
5. राज्य विधानसभा का भंग होना: यदि किसी राज्य में विधानसभा भंग हो जाती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
6. राज्यपाल की रिपोर्ट: यदि राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट करते हैं कि राज्य में ऐसी परिस्थितियां हैं जिनके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया जाना आवश्यक है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन लगाना एक गंभीर निर्णय होता है, और इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है।
राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक प्रभाव:
- राज्य की स्वायत्तता का हनन: राष्ट्रपति शासन राज्य की स्वायत्तता का हनन करता है।
- राजनीतिक अस्थिरता: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर सकता है।
- सामाजिक अशांति: राष्ट्रपति शासन राज्य में सामाजिक अशांति पैदा कर सकता है।
- आर्थिक नुकसान: राष्ट्रपति शासन राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है.
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन हमेशा नकारात्मक नहीं होता है। कुछ मामलों में, यह राज्य में शांति और व्यवस्था बहाल करने में मदद कर सकता है।
राष्ट्रपति शासन के कुछ सकारात्मक प्रभाव:
- कानून व्यवस्था का सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में कानून व्यवस्था को सुधारने में मदद कर सकता है।
- राजनीतिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है।
- आर्थिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में आर्थिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है.
निष्कर्ष:
राष्ट्रपति शासन एक असाधारण व्यवस्था है, जिसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकार की शक्तियों को अपने हाथों में ले लेती है। इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाना चाहिए। राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था करता है। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देता है, यदि वह यह मानता है कि राज्य में ऐसी परिस्थितियां हैं जिनके कारण राज्य सरकार का शासन चलाना असंभव हो गया है।
अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने के कुछ मुख्य कारण:
- राजनीतिक अस्थिरता: यदि किसी राज्य में सरकार बार-बार बदल रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- कानून व्यवस्था का बिगड़ना: यदि किसी राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- संवैधानिक संकट: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट होता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- प्राकृतिक आपदा: यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- राज्य विधानसभा का भंग होना: यदि किसी राज्य में विधानसभा भंग हो जाती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- राज्यपाल की रिपोर्ट: यदि राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट करते हैं कि राज्य में ऐसी परिस्थितियां हैं जिनके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया जाना आवश्यक है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन लगाना एक गंभीर निर्णय होता है, और इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है।
राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक प्रभाव:
- राज्य की स्वायत्तता का हनन: राष्ट्रपति शासन राज्य की स्वायत्तता का हनन करता है।
- राजनीतिक अस्थिरता: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर सकता है।
- सामाजिक अशांति: राष्ट्रपति शासन राज्य में सामाजिक अशांति पैदा कर सकता है।
- आर्थिक नुकसान: राष्ट्रपति शासन राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है.
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन हमेशा नकारात्मक नहीं होता है। कुछ मामलों में, यह राज्य में शांति और व्यवस्था बहाल करने में मदद कर सकता है।
राष्ट्रपति शासन के कुछ सकारात्मक प्रभाव:
- कानून व्यवस्था का सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में कानून व्यवस्था को सुधारने में मदद कर सकता है।
- राजनीतिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है।
- आर्थिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में आर्थिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है.
निष्कर्ष:
राष्ट्रपति शासन एक असाधारण व्यवस्था है, जिसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकार की शक्तियों को अपने हाथों में ले लेती है। इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाना चाहिए। राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं.
भारत में अब तक 132 बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है।
यह पहली बार 31 मार्च 1959 को केरल राज्य में लगाया गया था।
सबसे ज्यादा बार राष्ट्रपति शासन उत्तर प्रदेश में लगाया गया है।
यहां भारत में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की तारीखों की सूची दी गई है:
- 31 मार्च 1959 (केरल)
- 24 मार्च 1968 (पंजाब)
- 29 जून 1971 (बिहार)
- 16 फरवरी 1972 (मणिपुर)
- 23 मार्च 1975 (तमिलनाडु)
- 29 जनवरी 1990 (जम्मू और कश्मीर)
- 17 मार्च 1995 (उत्तर प्रदेश)
- 28 मार्च 1995 (बिहार)
- 12 फरवरी 1999 (उत्तराखंड)
- 14 मार्च 2005 (बिहार)
- 20 जून 2005 (झारखंड)
- 24 फरवरी 2020 (बिहार)
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन लगाना एक गंभीर निर्णय होता है, और इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है.
राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के कारण:
- राजनीतिक अस्थिरता: यदि किसी राज्य में सरकार बार-बार बदल रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- कानून व्यवस्था का बिगड़ना: यदि किसी राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- संवैधानिक संकट: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट होता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- प्राकृतिक आपदा: यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक प्रभाव:
- राज्य की स्वायत्तता का हनन: राष्ट्रपति शासन राज्य की स्वायत्तता का हनन करता है।
- राजनीतिक अस्थिरता: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर सकता है।
- सामाजिक अशांति: राष्ट्रपति शासन राज्य में सामाजिक अशांति पैदा कर सकता है।
- आर्थिक नुकसान: राष्ट्रपति शासन राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है.
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन हमेशा नकारात्मक नहीं होता है। कुछ मामलों में, यह राज्य में शांति और व्यवस्था बहाल करने में मदद कर सकता है।
राष्ट्रपति शासन के कुछ सकारात्मक प्रभाव:
- कानून व्यवस्था का सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में कानून व्यवस्था को सुधारने में मदद कर सकता है।
- राजनीतिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है।
- आर्थिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में आर्थिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है.
निष्कर्ष:
राष्ट्रपति शासन एक असाधारण व्यवस्था है, जिसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकार की शक्तियों को अपने हाथों में ले लेती है। इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाना चाहिए। राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं.
राष्ट्रपति शासन: अनुच्छेद 356
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था करता है। यह अनुच्छेद राष्ट्रपति को राज्य सरकार को भंग करने और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का अधिकार देता है, यदि वह यह मानता है कि राज्य में ऐसी परिस्थितियां हैं जिनके कारण राज्य सरकार का शासन चलाना असंभव हो गया है।
अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने के कुछ मुख्य कारण:
- राजनीतिक अस्थिरता: यदि किसी राज्य में सरकार बार-बार बदल रही है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- कानून व्यवस्था का बिगड़ना: यदि किसी राज्य में कानून व्यवस्था बिगड़ चुकी है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- संवैधानिक संकट: यदि किसी राज्य में संवैधानिक संकट होता है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- प्राकृतिक आपदा: यदि किसी राज्य में प्राकृतिक आपदा आती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.
- राज्य विधानसभा का भंग होना: यदि किसी राज्य में विधानसभा भंग हो जाती है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
- राज्यपाल की रिपोर्ट: यदि राज्यपाल राष्ट्रपति को रिपोर्ट करते हैं कि राज्य में ऐसी परिस्थितियां हैं जिनके कारण राष्ट्रपति शासन लगाया जाना आवश्यक है, तो राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन लगाना एक गंभीर निर्णय होता है, और इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाता है।
राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक प्रभाव:
- राज्य की स्वायत्तता का हनन: राष्ट्रपति शासन राज्य की स्वायत्तता का हनन करता है।
- राजनीतिक अस्थिरता: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर सकता है।
- सामाजिक अशांति: राष्ट्रपति शासन राज्य में सामाजिक अशांति पैदा कर सकता है।
- आर्थिक नुकसान: राष्ट्रपति शासन राज्य को आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है.
यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रपति शासन हमेशा नकारात्मक नहीं होता है। कुछ मामलों में, यह राज्य में शांति और व्यवस्था बहाल करने में मदद कर सकता है।
राष्ट्रपति शासन के कुछ सकारात्मक प्रभाव:
- कानून व्यवस्था का सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में कानून व्यवस्था को सुधारने में मदद कर सकता है।
- राजनीतिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में राजनीतिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है।
- आर्थिक सुधार: राष्ट्रपति शासन राज्य में आर्थिक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है.
निष्कर्ष:
राष्ट्रपति शासन एक असाधारण व्यवस्था है, जिसके तहत केंद्र सरकार राज्य सरकार की शक्तियों को अपने हाथों में ले लेती है। इसे केवल अत्यंत आवश्यक परिस्थितियों में ही लगाया जाना चाहिए। राष्ट्रपति शासन के कुछ नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं.
अनुच्छेद 356 के अलावा, राष्ट्रपति शासन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- अधिकतम अवधि: राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि 3 साल है।
- नवीनीकरण: राष्ट्रपति शासन को हर 6 महीने में संसद द्वारा अनुमोदित किया जाना होता है।
- संसद की भूमिका: संसद राष्ट्रपति शासन को लागू करने, नवीनीकृत करने या समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- असाधारण परिस्थितियां: राष्ट्रपति शास
इस पूरी खबर को यहाँ से अपने दोस्तों में साझा करें सिर्फ एक क्लिक में