KARNATAKA HC: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के युवा सांसद तेजस्वी सूर्या द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस याचिका में सूर्या ने राज्य के हावेरी जिले में एक किसान की आत्महत्या के मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।
मामला सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर सूर्या के एक पोस्ट से जुड़ा है, जिसमें कथित रूप से फर्जी खबर फैलाने का आरोप लगाया गया था।
KARNATAKA HC: एफआईआर का विवरण
हावेरी जिले की पुलिस ने सूर्या पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353(2) के तहत मामला दर्ज किया था। यह आरोप लगाया गया कि सूर्या ने अपने ट्वीट में दावा किया था कि किसान ने वक्फ बोर्ड द्वारा उसकी जमीन कब्जे में लिए जाने के बाद आत्महत्या की।
सूर्या ने 8 नवंबर, 2024 को सोशल मीडिया पर एक स्थानीय पोर्टल की खबर का लिंक साझा किया था, जिसमें दावा किया गया था कि किसान की मौत का कारण भूमि विवाद है। बाद में पुलिस ने इस दावे को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि किसान ने कर्ज के बढ़ते बोझ के कारण आत्महत्या की।
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न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि न्यायालय को राजनीति का मंच न बनाया जाए। उन्होंने कहा:
“एक व्यक्ति की जान चली गई। एक किसान ने कर्ज के बोझ या अन्य कारणों से आत्महत्या की। इस पर राजनीति क्यों हो रही है? न्यायालय ऐसी राजनीतिक लड़ाइयों का मंच नहीं है।”
न्यायमूर्ति ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी मुद्दे का राजनीतिकरण करने से बचा जाना चाहिए।
KARNATAKA HC: राज्य सरकार का पक्ष
कर्नाटक सरकार ने सूर्या की याचिका को खारिज करने की मांग करते हुए दलील दी कि उनका सोशल मीडिया पोस्ट जानबूझकर किया गया था। सरकार ने दावा किया कि सूर्या का ट्वीट यह संकेत देने की कोशिश कर रहा था कि किसान की मौत के लिए कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है, जो पूरी तरह से गलत और भ्रामक है।
राज्य के वकील ने यह भी कहा कि सूर्या का ट्वीट किसानों के प्रति सरकार की छवि को खराब करने का एक प्रयास था।
सूर्या के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अरुणा श्याम ने अदालत को बताया कि भाजपा सांसद ने विवाद पैदा होने के तुरंत बाद ट्वीट को हटा दिया था। उन्होंने दलील दी कि सूर्या का इरादा अशांति या झूठी सूचना फैलाने का नहीं था।
वकील ने कहा कि सूर्या ने एक समाचार पोर्टल की रिपोर्ट के आधार पर ट्वीट किया था और जैसे ही यह स्पष्ट हुआ कि रिपोर्ट सही नहीं थी, उन्होंने उसे डिलीट कर दिया।
इससे पहले, 14 नवंबर को हाईकोर्ट ने सूर्या के खिलाफ एफआईआर पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी। अदालत ने इस पर सभी कार्यवाही को तब तक रोक दिया, जब तक कि याचिका पर अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता।
गुरुवार को न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि वह केवल यह जांच करेगा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 353(2) के तहत मामले के तत्व पूरे हुए हैं या नहीं।
KARNATAKA HC: न्यायालय का संदेश
न्यायालय ने इस प्रकरण में स्पष्ट संदेश दिया कि राजनीति और न्याय प्रक्रिया को अलग रखा जाना चाहिए। न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा:
“न्यायालय राजनीति का मंच नहीं है। मुद्दे अन्य जगहों पर सुलझाए जाएं। यहां कानून और तथ्यों की ही चर्चा होगी।”
इस प्रकरण ने सोशल मीडिया पर जिम्मेदारीपूर्वक पोस्ट करने के महत्व को भी रेखांकित किया है। न्यायालय का रुख दिखाता है कि सार्वजनिक जीवन में व्यक्तियों को अपने बयानों और कार्यों के प्रति सतर्क रहना चाहिए, खासकर जब वे संवेदनशील मुद्दों से जुड़े हों।
इस मामले की अगली सुनवाई की तिथि अभी तय नहीं की गई है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है। इस बीच, अदालत ने सूर्या के खिलाफ पुलिस की किसी भी कार्यवाही पर रोक जारी रखी है।