MADRAS HC: मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक प्रधानाध्यापक की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (POCSO अधिनियम) के तहत रिपोर्ट न करने के आरोपों से राहत की मांग की थी। अदालत ने कहा कि स्कूल के प्रधानाध्यापक का यह कर्तव्य है कि वह POCSO अधिनियम के तहत किसी भी यौन शोषण की घटना की सूचना तत्काल पुलिस या जिला बाल संरक्षण अधिकारी को दें।
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि POCSO अधिनियम के अंतर्गत किसी भी घटना को सूचित न करने में लापरवाही गंभीर कानूनी परिणामों का कारण बन सकती है।
MADRAS HC: प्रधानाध्यापक का POCSO अधिनियम के अंतर्गत दायित्व
न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने कहा कि स्कूल के प्रधानाध्यापक का एक संरक्षक के रूप में यह दायित्व है कि वह POCSO अधिनियम के तहत किसी भी घटना की सूचना जिला बाल संरक्षण अधिकारी या पुलिस को तुरंत दे। इसके बावजूद इस मामले में प्रधानाध्यापक ने 8वीं कक्षा की छात्रा के यौन शोषण से संबंधित मामले की रिपोर्ट समय पर नहीं की।
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न्यायालय ने स्पष्ट कहा,
“हेडमास्टर पूरे स्कूल का अभिभावक है। यदि POCSO अधिनियम के तहत कोई घटना हुई है, तो इसकी सूचना जिला बाल संरक्षण अधिकारी या पुलिस को दी जानी चाहिए।”
इस बयान के आधार पर न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता इस कर्तव्य को पूरा करने में विफल रहा।
याचिकाकर्ता अथिमूलम ने न्यायालय में दलीलें दीं कि उन्हें दुर्व्यवहार की जानकारी नहीं थी और 2018 में जब यह घटना हुई थी, तब पीड़िता ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। इसके अलावा, उन्होंने यह भी तर्क दिया कि आरोप पत्र दाखिल करने में देरी हुई है, और यह देरी अभियोजन पक्ष की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है।
हालांकि, अदालत ने इन तर्कों को मान्यता देने से इनकार कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा रिपोर्ट न करना POCSO अधिनियम की धारा 21(2) का उल्लंघन है।
MADRAS HC: पुलिस से विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश
मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस को मामले में याचिकाकर्ता के खिलाफ की गई कार्रवाई पर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया जाना चाहिए कि पुलिस ने शिक्षा विभाग के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है या नहीं।
न्यायालय ने आदेश दिया कि रिपोर्ट 12 दिसंबर, 2024 तक पेश की जाए।
इसके अलावा, अगली सुनवाई 26 दिसंबर, 2024 को होगी, जिसमें पुलिस को रिपोर्ट पेश करनी होगी।
कोयंबटूर में एक स्कूल के प्रधानाध्यापक अथिमूलम पर आरोप था कि उन्होंने 8वीं कक्षा की छात्रा के यौन शोषण के मामले में पुलिस या बाल संरक्षण अधिकारी को तत्काल सूचना नहीं दी। इसके चलते POCSO अधिनियम के तहत उन पर कार्रवाई की गई।
यद्यपि उनका नाम एफआईआर में नहीं था, लेकिन पुलिस ने मामले की जांच के दौरान उन्हें आरोप पत्र में शामिल कर लिया। अदालत ने इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई को वैध ठहराया।
MADRAS HC: पुलिस कार्रवाई और सुनवाई की अगली तारीख
अधिवक्ता पी कृष्णमूर्ति ने याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी की, जबकि प्रतिवादियों की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक एस. सुगेन्द्रन अदालत में पेश हुए।
मद्रास हाईकोर्ट ने पुलिस से निर्देशित किया कि इस मामले में वे एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें, जिसमें यह स्पष्ट किया जाए कि क्या शिक्षा विभाग ने अथिमूलम के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की है।
याचिका में यह भी कहा गया कि रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष 12 दिसंबर, 2024 तक पेश की जानी चाहिए।
MADRAS HC: मुख्य बिंदु
- प्रधानाध्यापक ने POCSO अधिनियम के तहत जानकारी न देकर अपना कर्तव्य पूरा नहीं किया।
- न्यायालय ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए प्रधानाध्यापक के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया।
- पुलिस को रिपोर्ट 12 दिसंबर, 2024 तक पेश करने का आदेश।
- अगली सुनवाई 26 दिसंबर, 2024 को होगी।
- न्यायालय ने कहा कि शिक्षा विभाग के खिलाफ कोई कार्रवाई की सिफारिश पुलिस द्वारा की गई है या नहीं, इसका भी खुलासा रिपोर्ट में होना चाहिए।
इस मामले में प्रधानाध्यापक के कर्तव्यों की विफलता और अदालत द्वारा दिए गए निर्देश मामले की गहनता को दर्शाते हैं। पुलिस को रिपोर्ट के बाद क्या कार्रवाई की जाएगी, इसका इंतजार किया जाएगा।