SUPREME COURT: धारा 27 साक्ष्य अधिनियम: बिना बरामदगी बयान मान्य नहीं

SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा कि अगर कोई कथित बरामदगी आरोपी के खुलासा बयान के अनुसार नहीं की

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SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में कहा कि अगर कोई कथित बरामदगी आरोपी के खुलासा बयान के अनुसार नहीं की जाती, तो उस बयान को साक्ष्य के रूप में मान्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने 1997 में धारा 304 भाग I (गंभीर हत्या न मानते हुए) के तहत दोषी ठहराए गए दो आरोपियों को बरी करते हुए यह महत्वपूर्ण बात कही।

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अदालत ने यह भी कहा कि अभियोजन पक्ष को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह किसी साधारण रिकवरी मामले को साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 27 के तहत आरोपित तथ्यों की खोज के रूप में पेश न करे, ताकि वह आरोपी के बयान का सही ढंग से उपयोग कर सके।

SUPREME COURT: कोर्ट का महत्वपूर्ण निरीक्षण

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरोपी का खुलासा बयान पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जबकि उसकी बरामदगी पुलिस स्टेशन जाते समय उस स्थान से की गई, जिसे आरोपी ने अपनी निशानदेही के आधार पर बताया था। न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने इस संबंध में स्पष्ट रूप से कहा,

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“क्योंकि बरामदगी उस बयान के अनुसार नहीं की गई थी, इसलिए खुलासा बयान साक्ष्य के रूप में मान्य नहीं हो सकता। यह एक सामान्य रिकवरी का मामला था, न कि किसी खुलासा बयान पर आधारित कोई तथ्यात्मक खोज।”

यह मामला एक एफआईआर के संदर्भ में था, जिसमें मृतक के चचेरे भाई ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने उसे हत्या कर दी। सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय ने आरोपियों को दोषी ठहराया था, लेकिन उच्च न्यायालय ने उनकी सजा को धारा 302 (हत्या) से घटाकर धारा 304 भाग I (गंभीर हत्या न मानते हुए) में बदल दिया।

SUPREME COURT: सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपियों की दोषिता को साबित करने के लिए आवश्यक परिस्थितिजन्य साक्ष्यों की कड़ी स्थापित करने में पूरी तरह से विफल रहा। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य एक पूरी कड़ी के रूप में प्रस्तुत किए जाने चाहिए, जो निष्कलंक रूप से आरोपी की दोषिता या निर्दोषिता की पुष्टि कर सके।

कोर्ट ने यह भी कहा कि मृतक को आखिरी बार आरोपियों के साथ देखे जाने का प्रमाण निर्णायक नहीं हो सकता, क्योंकि जहां आरोपियों को मृतक के साथ देखा गया था, वह स्थान मृतक के शव मिलने की जगह से काफी दूर था। इसके अलावा, समय अंतराल को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की,

“अगर समय अंतराल बहुत बड़ा हो, तो इस दौरान किसी तीसरे पक्ष द्वारा किए गए किसी भी क्रिया-कलाप को नकारा नहीं किया जा सकता।”

SUPREME COURT: साक्ष्य अधिनियम और धारा 27 का उचित उपयोग

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की धारा 27 के गलत उपयोग के प्रति चेतावनी दी और कहा कि पुलिस के द्वारा आरोपियों से प्राप्त बयान का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है, जब वह किसी वास्तविक तथ्यों की खोज से संबंधित हो, न कि केवल एक सामान्य रिकवरी के रूप में। न्यायालय ने अपने पूर्व निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि

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“धारा 27 का उपयोग अक्सर गलत तरीके से किया जाता है, इसलिए अदालतों को इस धारा के लागू होने में बेहद सतर्क रहना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि किसी भी साक्ष्य को केवल इस कारण से संदिग्ध माना जाए कि वह पुलिस अधिकारी से जांच के दौरान लिया गया था।”

अंततः सुप्रीम कोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि अभियोजन पक्ष आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त परिस्थितिजन्य साक्ष्य प्रस्तुत करने में असफल रहा है। इसके कारण, अदालत ने आरोपियों को दोषमुक्त करते हुए उनके खिलाफ दी गई सजा को समाप्त कर दिया। कोर्ट ने याचिका स्वीकार की और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त कर दिया।

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SUPREME COURT: मामले के पक्षकार

याचिकाकर्ता: एओआर निधि
उत्तरदाता: अधिवक्ता अनूबा धुलिया; एओआर सुवेनी भगत

यह निर्णय भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत आरोपी के बयान के उपयोग में सतर्कता और उचित प्रक्रियाओं के पालन का महत्व दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मजबूत संदेश दिया है कि पुलिस या अभियोजन पक्ष द्वारा गलत तरीके से बयान का उपयोग नहीं किया जा सकता, और साक्ष्य की स्थिति को स्पष्ट रूप से स्थापित करने की आवश्यकता है।

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JUDGES ON LEAVE

Regards:- Adv.Radha Rani for LADY MEMBER EXECUTIVE in forthcoming election of Rohini Court Delhi

'50 सीटों' का फॉर्मूला 1 'NFS कांग्रेस की देन है' धर्मेंद्र प्रधान का पलटवार 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द का प्रभाव 1 'अपरिवर्तनीय' शब्द के प्रयोग मात्र से पावर ऑफ अटॉर्नी अपरिवर्तनीय नहीं 1 'अब का सलाद खईब' गाने से मनोज तिवारी ने दिखाया महंगाई का दर्द 1 'आतंकवादी' शब्द ने बिगाड़ा माहौल 1 'आप' और बीजेपी के बीच मुकाबला 1 'कस्टम अधिकारी' 'पुलिस अधिकारी' नहीं 1 'कांग्रेस को पीलिया हो गया है' 1 'केसरी चैप्टर 2' का ट्रेलर दर्शकों के दिलों को कर गया छू 1 'गलती से मिस्टेक' 1 'जलसा' बंगला श्वेता बच्चन को किया गिफ्ट? 1 'जाट' की रिलीज से पहले उठे सवाल क्या कला और आस्था के बीच संभव है संतुलन? 1 'जाट' टाइटल पर रणदीप हुड्डा का तीखा जवाब "पहचान खुद फिल्म में सामने आएगी" 1 'जुमलों पर झाड़ू चलाएंगे फिर केजरीवाल को लाएंगे' 1 'ट्रिपल इंजन' सरकार की दिशा में सुदृढ़ कदम 1 'देवा' फिल्म की स्क्रीनिंग में रुकावट से अली गोनी का गुस्सा INOX को किया निशाना 1 'पराक्रमो विजयते' बोले अखिलेश यादव 1 'पुष्पा' पर बड़े प्रड्यूसर की विवादित टिप्पणी 1 'बड़ा भाई' 1 'बिग बॉस 18' के विनर बने करण 1 'बिग बॉस 18' में भी दिखा था अनोखा रिश्ता 1 'बिग बॉस 18' से बनी दोस्ती 1 'बिस्मिल्लाह' के साथ मां बनने की भावुक घोषणा 1 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' का नारा 0 'भूल भुलैया 2' की सफलता और तैमूर का प्यार 1 'भूल भुलैया 2'और 'भूल भुलैया 3' की सफलता 1 'मर्दानी' फ्रेंचाइजी की वापसी का ऐलान 1 'मुफ्त की रेवड़ी' आरोपों पर भाजपा को जवाब 1 'मैया यशोदा' गाने की शूटिंग के दौरान क्या हुआ था? 1 'मोहल्ला बस' से 'नमो बस सेवा' तक 1 'रावण के वंशज' आरोप 1 'लाफ्टर शेफ्स 2' में बर्थडे सेलिब्रेशन 0

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GEMINI 3 FEATURES उन्नत reasoning और मल्टीमॉडल कौशल

Gemini 3, LMArena leaderboard में शीर्ष स्थान पर है, PhD-स्तर की reasoning क्षमता रखता है और विज्ञान, गणित जैसे विषयों में उच्च सफलता प्राप्त करता है। वीडियो, इमेज और मल्टीमॉडल क्वेरी पर भी यह बेहतरीन प्रदर्शन करता है, जो इसे व्यापक और बहु-आयामी प्रश्नों के लिए उपयुक्त बनाता है।

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Gemini 3 Deep Think मोड

यह नया मोड Gemini 3 की reasoning और समझ को और भी गहरा बनाता है, जिससे कठिन से कठिन समस्याओं का समाधान संभव होता है। इसका प्रदर्शन AI परीक्षाओं में अप्रत्याशित रूप से बेहतर है, जो इसे विश्लेषण और योजना कार्यों में उपयोगी बनाता है।

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सीखना, बनाना, और योजना बनाना

Gemini 3 के साथ सीखना आसान है, चाहे वह परिवार की परंपरागत रेसिपी ट्रांसलेट करना हो या ऐडवांस रिसर्च पेपर का विश्लेषण। यह ब्लॉक्स, कोड और विजुअलाइजेशन के माध्यम से जटिल जानकारियों को समझाने और प्रदर्शित करने में सक्षम है।

डेवलपर्स के लिए नया अनुभव

Google ने Google Antigravity नामक एजेंटिक डेवलपमेंट प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिससे डेवलपर्स Gemini 3 के साथ अधिक स्वायत्त और कार्य-केंद्रित एप्लिकेशन बना सकते हैं। यह कोडिंग को नए स्तर पर ले जाता है और निरंतर स्व-पुष्टिकरण प्रदान करता है।

योजना और ऑटोमेशन में सुधार

Gemini 3 लंबे समय के लिए योजना बनाने और जटिल, बहु-चरण वाली प्रक्रियाओं को संचालित करने में सक्षम है। यह आपके ईमेल को व्यवस्थित कर सकता है, स्थानीय सेवाएं बुक कर सकता है, और दैनिक कार्यों में मदद करता है।

सुरक्षा और जिम्मेदारी

Google ने Gemini 3 को सबसे सुरक्षित AI मॉडल बनाया है। इसमें साइबर हमलों, गलत जानकारी, और हानिकारक प्रोत्साहनों से सुरक्षा के लिए व्यापक परीक्षण और सहयोग किया गया है।

Gemini 3 का भविष्य

Gemini 3 अभी भी विकास के प्रारंभिक चरण में है और जल्द ही इसके कई नए संस्करण और फीचर जारी होंगे। Google इसे Google एजेंसियों, डेवलपर्स, और एंटरप्राइज क्लाइंट्स तक पहुंचा रहा है।

Gemini 3 की उपलब्धता

Gemini 3 एप्लिकेशन, AI Studio, Vertex AI, Google Antigravity, और Gemini CLI के माध्यम से उपलब्ध है। कॉलैबोरेशन प्लेटफॉर्म्स जैसे GitHub, Replit में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।

Gemini 3 पर Google की यह नई पहल AI के आयामों का विस्तार करती है और इसे हर क्षेत्र में व्यावहारिक, सुलभ और अधिक सक्षम बनाती है। इसका लक्ष्य AI को उपयोगकर्ता की आवश्यकताओं के अनुसार व्यक्तिगत और प्रभावी बनाना है।

विषयविवरण
मॉडल का नामGemini 3
मुख्य विशेषताएंउन्नत reasoning, मल्टीमॉडल इनपुट, एजेंटिक कोडिंग
प्रमुख प्रदर्शन मानकLMArena leaderboard topper, PhD-level reasoning
नया मोडGemini 3 Deep Think
उपयोगकर्ता लाभबेहतर सीखना, निर्माण, योजना, और ऑटोमेशन
डेवलपर टूल्सGoogle Antigravity, AI Studio, Vertex AI
सुरक्षाव्यापक परीक्षण, सुरक्षा सुधार
उपलब्धताGemini app, AI Studio, Vertex AI, CLI, Dritt platforms
भविष्य की योजनानए संस्करण, फीचर्स, व्यापक उपयोग
लक्ष्यAI को ज्यादा प्रभावी और व्यक्तिकृत बनाना