जोमैटो या स्विगी? शेयर बाजार में निवेश करना एक चुनौतीपूर्ण और सूझबूझ वाला कार्य है, खासकर तब जब निवेशक ऐसी कंपनियों में निवेश करना चाहते हैं जिनके भविष्य में बढ़ने की संभावना हो।
आजकल जोमैटो और स्विगी जैसे बड़े ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के शेयर निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। इन कंपनियों के शेयरों को लेकर निवेशकों के बीच बहस चलती रहती है कि इन दोनों में से किसका भविष्य बेहतर है और किसे खरीदा जाए। इस निर्णय में मदद करने के लिए ईटी मार्केट्स द्वारा एक ऑनलाइन वर्कशॉप आयोजित की जा रही है, जिसमें वैल्यू इन्वेस्टिंग के सिद्धांतों और विभिन्न कंपनियों के मूल्यांकन पर चर्चा की जाएगी। इस वर्कशॉप में टाटा मोटर्स, जोमैटो, और पेटीएम जैसी कंपनियों के केस स्टडीज भी शामिल हैं, जो निवेशकों को सही निर्णय लेने में मदद करेंगी।
जोमैटो या स्विगी? वैल्यू इन्वेस्टिंग का महत्व और तकनीकी पहलू
जोमैटो या स्विगी? वैल्यू इन्वेस्टिंग, यानी किसी कंपनी के वास्तविक मूल्य (इंट्रिंसिक वैल्यू) का सही अनुमान लगाकर निवेश करना, निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इसका उद्देश्य केवल स्टॉक्स के वर्तमान बाजार मूल्य को देखना नहीं होता, बल्कि कंपनी के भविष्य के लाभ, उसकी बढ़ोतरी की संभावनाओं और उसके वित्तीय स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सही निवेश का निर्णय लेना होता है। इस वर्कशॉप में भाग लेने वाले निवेशकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि किस तरह किसी कंपनी का मूल्यांकन किया जाता है और उसके आधार पर निवेश के सही अवसरों का चयन किया जाता है।
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जोमैटो या स्विगी? शेयर की सही वैल्यू कैसे पहचानें
किसी शेयर की सही वैल्यू को पहचानना आसान नहीं होता। इसके लिए एक निवेशक को कंपनी के वित्तीय विवरणों का गहराई से विश्लेषण करना होता है। इन विवरणों में आय विवरण, बैलेंस शीट, और कैश फ्लो शामिल होते हैं। इस वर्कशॉप के माध्यम से प्रतिभागियों को इन महत्वपूर्ण वित्तीय आंकड़ों को समझने और उनका विश्लेषण करने की तकनीकें सिखाई जाएंगी, जिससे वे अधिक informed और सुरक्षित निवेश निर्णय ले सकें।
जोमैटो या स्विगी? वैल्यूएशन की विभिन्न तकनीकें
शेयर के मूल्य का विश्लेषण करने के लिए वैल्यूएशन की कई तकनीकें मौजूद हैं। इन तकनीकों का उपयोग करते हुए निवेशक यह समझ सकते हैं कि किसी कंपनी का मूल्य उसकी वर्तमन बाजार कीमत से ज्यादा या कम है। इस वर्कशॉप में डिस्काउंटेड कैश फ्लो (DCF) और कम्पैरेबल कंपनी एनालिसिस जैसी तकनीकों का प्रयोग करके वास्तविक मूल्य का निर्धारण किया जाएगा।
- इंट्रिंसिक वैल्यू कैलकुलेशन: इस प्रक्रिया में कंपनी के भविष्य के आय और संभावित बढ़ोतरी का अनुमान लगाकर उस कंपनी का असली मूल्य निकाला जाता है।
- वित्तीय विवरणों का विश्लेषण: यह निवेशकों को कंपनी की वित्तीय स्थिति को समझने का मौका देता है। इसमें आय विवरण, बैलेंस शीट, और कैश फ्लो का गहराई से विश्लेषण किया जाता है।
- वैल्यूएशन तकनीकें: इन तकनीकों के माध्यम से निवेशक सही मूल्यांकन करते हैं और उन कंपनियों में निवेश करने के लिए सही विकल्प चुनते हैं जिनका भविष्य में अच्छा लाभ होने की संभावना हो।
जोमैटो या स्विगी? वैल्यू इन्वेस्टिंग के सिद्धांतों से परिचित होने का अवसर
यह वर्कशॉप न केवल निवेशकों को वैल्यू इन्वेस्टिंग के सिद्धांतों से परिचित कराएगी, बल्कि इसमें व्यावहारिक अनुभव भी प्रदान किया जाएगा। इसमें शामिल केस स्टडीज से निवेशक यह समझ पाएंगे कि विभिन्न कंपनियों का मूल्यांकन कैसे किया जाता है। जैसे कि जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियों पर चर्चा की जाएगी, जो वर्तमान समय में बहुत चर्चा में हैं। इसके अलावा, इस वर्कशॉप में भाग लेने वाले लोग अपने सवालों के जवाब पा सकेंगे और विशेषज्ञों से महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्राप्त कर सकेंगे।
यह वर्कशॉप खासतौर पर उन निवेशकों के लिए फायदेमंद है जो शेयर बाजार में निवेश करते समय केवल स्टॉक्स के वर्तमान बाजार मूल्य को नहीं, बल्कि उस कंपनी के भविष्य की विकास संभावनाओं और उसके वित्तीय स्वास्थ्य को भी समझना चाहते हैं।
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जोमैटो और स्विगी का वैल्यूएशन
जोमैटो और स्विगी दोनों ही बड़े नाम हैं और ऑनलाइन डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स के क्षेत्र में अग्रणी हैं। इन दोनों कंपनियों के बीच की प्रतिस्पर्धा भी निवेशकों के लिए चर्चा का विषय रही है। स्विगी के IPO के समय उसे अपने प्रतिद्वंद्वियों से सस्ता बताया गया था और उसे एक आकर्षक निवेश अवसर के रूप में प्रस्तुत किया गया था। हालांकि, सवाल यह उठता है कि क्या सिर्फ इस आधार पर निवेश किया जाए कि स्विगी का शेयर अपने प्रतिद्वंद्वियों से सस्ता है? क्या यह सही तरीका है?
वास्तव में, वैल्यूएशन का असली सिद्धांत यह है कि कंपनी के भविष्य के लाभ और उसकी बढ़ोतरी की संभावना को ध्यान में रखते हुए उसके वास्तविक मूल्य का अनुमान लगाया जाए। यदि कंपनी का व्यापार बढ़ेगा और उसका कैश फ्लो सकारात्मक होगा, तो उसका मूल्य भी बढ़ेगा। निवेशकों को केवल कीमत से प्रभावित नहीं होना चाहिए, बल्कि कंपनी की आंतरिक क्षमता और भविष्य की योजनाओं पर भी ध्यान देना चाहिए।
वैल्यूएशन में नैरेटिव और नंबर का अंतर
वैल्यूएशन में नंबर और नैरेटिव दोनों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। नंबर यानी कंपनी के वित्तीय आंकड़े जैसे कि आय विवरण, लाभ, और हानि, बैलेंस शीट आदि, जो यह दर्शाते हैं कि कंपनी का वित्तीय स्वास्थ्य कैसा है। वहीं, नैरेटिव यानी वह कहानी जो कंपनी के भविष्य और विकास की संभावनाओं के बारे में बताती है। किसी कंपनी का नैरेटिव ही अक्सर उसकी वैल्यूएशन को प्रभावित करता है, और यही वजह है कि कई बार कंपनी का बाजार मूल्य वास्तविक मूल्य से अधिक या कम हो सकता है।
शेयर बाजार में निवेश करने से पहले सीखने का महत्व
शेयर बाजार में पैसा कमाने का सही तरीका यह है कि पहले सीखें, फिर निवेश करें। निवेशक यदि वैल्यूएशन और कंपनी के वित्तीय विवरणों को समझकर निवेश करते हैं, तो उन्हें संभावित फायदे मिल सकते हैं। इस वर्कशॉप के जरिए निवेशक ऐसी तकनीकों को सीख सकते हैं जो उन्हें किसी भी कंपनी का सही मूल्यांकन करने में मदद करेंगी।
सही वैल्यूएशन से निवेश के निर्णय को सुदृढ़ बनाएं
जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियों का शेयर खरीदते समय निवेशकों को केवल सस्ते मूल्य या चिप्स पर ध्यान नहीं देना चाहिए, बल्कि कंपनी के भविष्य के विकास, वित्तीय स्थिति और संभावित लाभ को ध्यान में रखना चाहिए। सही वैल्यूएशन के जरिए निवेशक सही निवेश निर्णय ले सकते हैं और अपने निवेश पोर्टफोलियो को मजबूत बना सकते हैं।