DELHI HC: दिल्ली उच्च न्यायालय ने नागरिक अधिकार संरक्षण संघ (एसीपीआर) के राष्ट्रीय सचिव मोहम्मद वसीक नदीम खान को दुश्मनी फैलाने और आपराधिक साजिश के आरोपों से जुड़े एक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने बुधवार को यह निर्देश दिया कि खान बिना अदालत की अनुमति के दिल्ली-एनसीआर से बाहर नहीं जाएंगे।
DELHI HC: गिरफ्तारी से संरक्षण और पुलिस को निर्देश
अदालत ने कहा कि यदि दिल्ली पुलिस को खान की हिरासत की आवश्यकता होगी, तो उन्हें सात दिन पहले लिखित में सूचना देनी होगी। न्यायालय ने खान को पहले से ही गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी और इस सुनवाई के दौरान उस संरक्षण को आगे बढ़ाते हुए स्पष्ट किया कि मामले की जांच जारी रहेगी।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, “याचिकाकर्ता को अदालत की अनुमति के बिना दिल्ली-एनसीआर नहीं छोड़ना चाहिए।”
BJP की पहली लिस्ट का इंतजार: 70 सीटों पर टिकट दावेदारों की बढ़ती संख्या की वजह से फैसला मुश्किल
दिल्ली चुनाव 2024: कांग्रेस और आप गठबंधन की अटकलों पर विराम, केजरीवाल ने दिया बड़ा बयान
खान ने न्यायालय में दो याचिकाएं दायर की थीं। पहली याचिका में उन्होंने प्राथमिकी (एफआईआर) को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उन पर दुश्मनी फैलाने, सौहार्द को नुकसान पहुंचाने, सार्वजनिक शरारत और आपराधिक साजिश रचने के आरोप लगाए गए थे। दूसरी याचिका में उन्होंने जांच पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।
एफआईआर के अनुसार, खान पर आरोप है कि वह एक वीडियो में अल्पसंख्यक समुदाय को पीड़ित दिखाने और लोगों को भड़काने वाले बयान दे रहे थे। यह वीडियो हैदराबाद में एक प्रदर्शनी से संबंधित था, जिसमें खान कथित तौर पर “नदीम, अखलाक, रोहित वेमुला, पहलू खान और शाहीन बाग में सीएए/एनआरसी विरोध” का उल्लेख कर रहे थे।
DELHI HC: वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलील
सुनवाई के दौरान खान का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि खान जांच में सहयोग कर रहे हैं और ऐसा करना जारी रखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस को जांच की आड़ में खान को परेशान करने से बचना चाहिए और जांच को शीघ्र पूरा करना चाहिए।
सिब्बल ने पुलिस द्वारा खान के फोन तक पहुंच की मांग का विरोध करते हुए इसे “घुमंतू जांच” करार दिया। उन्होंने तर्क दिया कि पुलिस उनके पूरे जीवन की गतिविधियों की जांच करने का प्रयास कर रही है, जो अनुचित है।
न्यायमूर्ति सिंह ने यह स्वीकार किया कि पुलिस को मामले की जांच करने का अधिकार है। उन्होंने कहा, “आपकी स्वतंत्रता का अधिकार सुरक्षित है। आपको गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है, लेकिन पुलिस को जांच करने का पूरा अधिकार है।”
दिल्ली पुलिस ने अदालत को आश्वासन दिया कि खान को गिरफ्तार नहीं किया जाएगा। अगर हिरासत में पूछताछ की जरूरत होगी तो उन्हें अग्रिम सूचना दी जाएगी।
DELHI HC: गैर-जमानती वारंट रद्द
न्यायालय ने खान के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट को भी रद्द कर दिया, यह देखते हुए कि वह जांच में शामिल हो गए हैं। अदालत ने कहा कि जांच के दौरान खान ने जो सहयोग किया है, उसके मद्देनजर यह वारंट अनावश्यक है।
खान ने अपनी याचिका में कहा कि वीडियो में उन्होंने कोई ऐसा बयान नहीं दिया जिससे वैमनस्य पैदा हो। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह मामला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत आता है।
खान ने कहा कि एफआईआर में उनके खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर नहीं हैं और इससे अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने दावा किया कि वीडियो के कारण कोई प्रतिकूल घटना नहीं हुई और न ही किसी ने ऐसी शिकायत दर्ज कराई, जिससे एफआईआर दर्ज हो सके।
DELHI HC: अदालत की अगली कार्रवाई
मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को निर्धारित की गई है। तब तक खान को गिरफ्तारी से संरक्षण मिलेगा और पुलिस जांच जारी रखेगी।
अदालत ने मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए यह सुनिश्चित किया कि जांच निष्पक्ष हो और खान के अधिकारों का उल्लंघन न हो। अदालत ने कहा कि पुलिस को जांच में तेजी लानी चाहिए ताकि मामला जल्द से जल्द सुलझाया जा सके।
यह फैसला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और वैधानिक जांच के बीच संतुलन बनाए रखने की अदालत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।